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चोपता में इको टूरिज्म जोन का कार्य शुरू, कल्चरल-हेरिटेज सेंटर जैसी व्यवस्थाएं होंगी स्थापित

Chopta Eco Tourism Zone रुद्रप्रयाग के चोपता में इको टूरिज्म जोन का कार्य शुरू हो चुका है. वन विभाग ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है. ये इको टूरिज्म जोन 500 हेक्टेयर भूमि में तैयार होगा. टूरिज्म जोन के तहत ट्री हाउस, बर्ड-इंटरप्रेटेशन सेंटर और कल्चरल और हेरिटेज सेंटर बनाए जाएंगे.

CHOPTA
चोपता
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 2, 2023, 6:38 PM IST

Updated : Dec 2, 2023, 7:19 PM IST

चोपता में इको टूरिज्म जोन का कार्य शुरू.

रुद्रप्रयाग: मिनी स्विटजरलैंड के नाम से विख्यात पर्यटक स्थल चोपता-दुगलबिटटा के लिए अच्छी खबर है. पहली बार यहां पर्यटकों को सुविधाएं देने को लेकर इको टूरिज्म जोन तैयार होने जा रहा है. इसके लिए वन विभाग को करीब पांच करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिली है. जिसमें एक करोड़ की धनराशि विभाग को प्राप्त हो चुकी है. अब चोपता के बुग्यालों में घने जंगलों के बीच पर्यटकों के लिए पार्क, ट्री हाउस, बर्ड-इंटरप्रेटेशन सेंटर और कल्चरल और हेरिटेज सेंटर विस्थापित होंगे. चोपता इको-टूरिज्म जोन कुल पांच सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में तैयार होगा, जिसमें एनएच-107 के आस-पास के रागसी, मक्कू और उषाड़ा आरक्षित वन के क्षेत्र को सम्मलित किया जाएगा.

मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से प्रसिद्ध रुद्रप्रयाग जिले की चोपता घाटी में इको टूरिज्म जोन तैयार होने जा रहा है. वन विभाग ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है. वन विभाग की ओर से किए गए सर्वे के आधार पर चोपता घाटी को जिले में इको टूरिज्म जोन के रूप में विकसित करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है. चोपता में देश-विदेश से पर्यटक हर साल पहुंचते हैं. यहां दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ स्थित है, जिसके दर्शनों को प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इसके अलावा विंटर टूरिज्म के लिए भी हजारों पर्यटक हर साल आते हैं. यहां पर व्यवस्थित टूरिज्म जोन विकसित होने से राज्य सरकार एवं स्थानीय जनता दोनों को लाभ होगा.

ये होंगे आकर्षण का केंद्र: चोपता इको-टूरिज्म जोन कुल 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में तैयार होगा, जिसमें एनएच-107 के आस-पास के रागसी, मक्कू और उषाडा आरक्षित वन के क्षेत्र को सम्मलित किया जाएगा. इसका मुख्य आकर्षण इको पार्क, ट्री हाउस, बर्ड-इंटरप्रेटेशन सेंटर और कल्चरल और हेरिटेज सेंटर होंगे. इको-टूरिज्म विकास के समस्त कार्यों को इको-फ्रेंडली तरीके से प्रकृति को अनावश्यक छेड़छाड़ किए बिना तैयार किया जाएगा.
ये भी पढ़ेंः खुशखबरी: चोपता घाटी में तैयार होगा इको टूरिज्म जोन, स्थानीय लोगों को मिलेगी संचालन की अनुमति

पर्यटकों को मिलेगा सुखद समय व्यतीत करने का मौका: चोपता राजमार्ग के आस-पास फोटो प्वाइंट, साइनेज एवं एंट्रेंस प्लाजा और जानवरों के थ्री डी मॉडल भी स्थापित किए जाएंगे. उषाड़ा वन पंचायत के आरक्षित वन क्षेत्र में इको-पार्क विकसित किया जाएगा. इसमें इको-टेल, ट्री हाउस, एडवेंचर गतिविधियां और कैनोपी ब्रिज, फोटो प्वाइंट, साइनेजेज आदि विकसित होंगे, जिससे पर्यटकों को प्रकृति के बीच सुखद समय व्यतीत करने का मौका मिले. बर्ड-इंटरप्रेटेशन सेंटर में क्षेत्र के स्थानीय पक्षियों के मॉडल और उनके संबंध में जानकारी तथा साथ ही दुर्लभ वन्यजीव व पक्षियों का विवरण और रोचक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. यहां बर्ड वाचिंग के लिए आए सैलानियों को बर्ड गाइड, दूरबीन, बर्ड बुक और पक्षियों से संबंधित सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी.

स्थानीय लोगों एवं वन पंचायत की होगी अहम भूमिका: जिले में तैयार होने जा रहे इको-टूरिज्म जोन के संचालन में स्थानीय लोगों एवं वन पंचायत की अहम भूमिका होगी. इनकी मदद से ही कैंपिंग साइट का संचालन, पार्किंग, एडवेंचर स्पोर्ट्स का संचालन, ट्रेकिंग, बर्ड वाचिंग गाइड, अपशिष्ट कूड़ा प्रबंधन आदि कार्य वन विभाग की देख-रेख में किए जाएंगे. इको-टूरिज्म जोन में पर्यावरण संरक्षण एवं सुधार कार्य के लिए बुग्यालों को जियो जूट विधि से उपचार, जल एवं मृदा संरक्षण कार्य एवं सुरक्षा और संचालन को लेकर इंट्रेंस प्लाजा, चेकपोस्ट का निर्माण और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी.
ये भी पढ़ेंः प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज है देवभूमि की वादियां, इन पर्यटक स्थलों का दीदार करने पर मिलेगा सुकून

स्थानीय लोगों और पर्यटकों की सुविधा के लिए बायो-टॉयलेट, फूड कैफे, टूरिस्ट इन्फॉरमेशन बूथ, सोवेनियर शॉप भी विकसित किए जाएंगे. वहीं औषधीय एवं सुगंध पादपों के संरक्षण के लिए हर्बल गार्डन की भी स्थापना की जाएगी. कल्चर एंड हेरिटेज सेंटर में पारंपरिक वेशभूषा, पुरातन औजार, क्षेत्र के हस्तकृति की झलक के साथ-साथ स्थानीय लोक कथा, धार्मिंक आस्था और आध्यात्मिक महत्व की जानकारी मिलेगी. कैंप साइट के लिए चयनित क्षेत्र में ही परमिट के आधार पर स्थानीय ग्रामीणों को सशर्त अनुमति दी जाएगी.

इको टूरिज्म जोन से खुलेंगे रोजगार के अवसर: वन प्रभाग रुद्रप्रयाग के डीएफओ अभिमन्यु सिंह ने बताया कि चोपता में इको टूरिज्म विकसित करने को लेकर 11 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई है. इको टूरिज्म पार्क को धनौल्टी एवं मुनस्यारी की तर्ज पर बनाया जा रहा है. यह कार्य तीन चरणों में पूरा होना है. प्रथम चरण में पांच करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है, जिसमें एक करोड़ रूपये वन विभाग को प्राप्त हो चुके हैं. इन दिनों चोपता में अतिक्रमण हटाने का कार्य जोरों पर चल रहा है. अतिक्रमण हटाए जाने के बाद इको टूरिज्म का कार्य तेजी से कर दिया जाएगा. इको टूरिज्म पार्क निर्माण के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे.

चोपता में इको टूरिज्म जोन का कार्य शुरू.

रुद्रप्रयाग: मिनी स्विटजरलैंड के नाम से विख्यात पर्यटक स्थल चोपता-दुगलबिटटा के लिए अच्छी खबर है. पहली बार यहां पर्यटकों को सुविधाएं देने को लेकर इको टूरिज्म जोन तैयार होने जा रहा है. इसके लिए वन विभाग को करीब पांच करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिली है. जिसमें एक करोड़ की धनराशि विभाग को प्राप्त हो चुकी है. अब चोपता के बुग्यालों में घने जंगलों के बीच पर्यटकों के लिए पार्क, ट्री हाउस, बर्ड-इंटरप्रेटेशन सेंटर और कल्चरल और हेरिटेज सेंटर विस्थापित होंगे. चोपता इको-टूरिज्म जोन कुल पांच सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में तैयार होगा, जिसमें एनएच-107 के आस-पास के रागसी, मक्कू और उषाड़ा आरक्षित वन के क्षेत्र को सम्मलित किया जाएगा.

मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से प्रसिद्ध रुद्रप्रयाग जिले की चोपता घाटी में इको टूरिज्म जोन तैयार होने जा रहा है. वन विभाग ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है. वन विभाग की ओर से किए गए सर्वे के आधार पर चोपता घाटी को जिले में इको टूरिज्म जोन के रूप में विकसित करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है. चोपता में देश-विदेश से पर्यटक हर साल पहुंचते हैं. यहां दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ स्थित है, जिसके दर्शनों को प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इसके अलावा विंटर टूरिज्म के लिए भी हजारों पर्यटक हर साल आते हैं. यहां पर व्यवस्थित टूरिज्म जोन विकसित होने से राज्य सरकार एवं स्थानीय जनता दोनों को लाभ होगा.

ये होंगे आकर्षण का केंद्र: चोपता इको-टूरिज्म जोन कुल 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में तैयार होगा, जिसमें एनएच-107 के आस-पास के रागसी, मक्कू और उषाडा आरक्षित वन के क्षेत्र को सम्मलित किया जाएगा. इसका मुख्य आकर्षण इको पार्क, ट्री हाउस, बर्ड-इंटरप्रेटेशन सेंटर और कल्चरल और हेरिटेज सेंटर होंगे. इको-टूरिज्म विकास के समस्त कार्यों को इको-फ्रेंडली तरीके से प्रकृति को अनावश्यक छेड़छाड़ किए बिना तैयार किया जाएगा.
ये भी पढ़ेंः खुशखबरी: चोपता घाटी में तैयार होगा इको टूरिज्म जोन, स्थानीय लोगों को मिलेगी संचालन की अनुमति

पर्यटकों को मिलेगा सुखद समय व्यतीत करने का मौका: चोपता राजमार्ग के आस-पास फोटो प्वाइंट, साइनेज एवं एंट्रेंस प्लाजा और जानवरों के थ्री डी मॉडल भी स्थापित किए जाएंगे. उषाड़ा वन पंचायत के आरक्षित वन क्षेत्र में इको-पार्क विकसित किया जाएगा. इसमें इको-टेल, ट्री हाउस, एडवेंचर गतिविधियां और कैनोपी ब्रिज, फोटो प्वाइंट, साइनेजेज आदि विकसित होंगे, जिससे पर्यटकों को प्रकृति के बीच सुखद समय व्यतीत करने का मौका मिले. बर्ड-इंटरप्रेटेशन सेंटर में क्षेत्र के स्थानीय पक्षियों के मॉडल और उनके संबंध में जानकारी तथा साथ ही दुर्लभ वन्यजीव व पक्षियों का विवरण और रोचक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. यहां बर्ड वाचिंग के लिए आए सैलानियों को बर्ड गाइड, दूरबीन, बर्ड बुक और पक्षियों से संबंधित सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी.

स्थानीय लोगों एवं वन पंचायत की होगी अहम भूमिका: जिले में तैयार होने जा रहे इको-टूरिज्म जोन के संचालन में स्थानीय लोगों एवं वन पंचायत की अहम भूमिका होगी. इनकी मदद से ही कैंपिंग साइट का संचालन, पार्किंग, एडवेंचर स्पोर्ट्स का संचालन, ट्रेकिंग, बर्ड वाचिंग गाइड, अपशिष्ट कूड़ा प्रबंधन आदि कार्य वन विभाग की देख-रेख में किए जाएंगे. इको-टूरिज्म जोन में पर्यावरण संरक्षण एवं सुधार कार्य के लिए बुग्यालों को जियो जूट विधि से उपचार, जल एवं मृदा संरक्षण कार्य एवं सुरक्षा और संचालन को लेकर इंट्रेंस प्लाजा, चेकपोस्ट का निर्माण और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी.
ये भी पढ़ेंः प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज है देवभूमि की वादियां, इन पर्यटक स्थलों का दीदार करने पर मिलेगा सुकून

स्थानीय लोगों और पर्यटकों की सुविधा के लिए बायो-टॉयलेट, फूड कैफे, टूरिस्ट इन्फॉरमेशन बूथ, सोवेनियर शॉप भी विकसित किए जाएंगे. वहीं औषधीय एवं सुगंध पादपों के संरक्षण के लिए हर्बल गार्डन की भी स्थापना की जाएगी. कल्चर एंड हेरिटेज सेंटर में पारंपरिक वेशभूषा, पुरातन औजार, क्षेत्र के हस्तकृति की झलक के साथ-साथ स्थानीय लोक कथा, धार्मिंक आस्था और आध्यात्मिक महत्व की जानकारी मिलेगी. कैंप साइट के लिए चयनित क्षेत्र में ही परमिट के आधार पर स्थानीय ग्रामीणों को सशर्त अनुमति दी जाएगी.

इको टूरिज्म जोन से खुलेंगे रोजगार के अवसर: वन प्रभाग रुद्रप्रयाग के डीएफओ अभिमन्यु सिंह ने बताया कि चोपता में इको टूरिज्म विकसित करने को लेकर 11 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई है. इको टूरिज्म पार्क को धनौल्टी एवं मुनस्यारी की तर्ज पर बनाया जा रहा है. यह कार्य तीन चरणों में पूरा होना है. प्रथम चरण में पांच करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है, जिसमें एक करोड़ रूपये वन विभाग को प्राप्त हो चुके हैं. इन दिनों चोपता में अतिक्रमण हटाने का कार्य जोरों पर चल रहा है. अतिक्रमण हटाए जाने के बाद इको टूरिज्म का कार्य तेजी से कर दिया जाएगा. इको टूरिज्म पार्क निर्माण के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे.

Last Updated : Dec 2, 2023, 7:19 PM IST
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