रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट आज (सोमवार) पौराणिक परम्पराओं के अनुसार सुबह आठ बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होगी. विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव में होगा. 25 नवम्बर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी.
देवस्थानम बोर्ड अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि आज भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होकर मैखम्भा, कूनचट्टी, नानौ, खटरा, बनातोली यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी. 23 नवम्बर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गांव से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी.
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24 नवम्बर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरुवा, मनसूना यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी. 25 नवम्बर को गिरीया गांव से प्रस्थान कर फापंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली, डंगवाडी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी.
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भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के मंगोलचारी पहुंचने पर रावल भीमाशंकर लिंग सहित सैकड़ों भक्तों द्वारा डोली की अगुवाई की जायेगी. भगवान मद्महेश्वर की डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने पर भक्तों द्वारा भगवान बूढ़ा मद्महेश्वर की डोली के दर्शन होंगे.