ETV Bharat / state

ओंकारेश्वर मंदिर से द्वितीय केदार मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली रवाना, रात्रि प्रवास के लिए पहुंचेगी रांसी - उत्तराखंड में पंच केदार

22 मई को द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे. इससे पहले आज भगवान मदमहेश्वर की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से हिमालय के लिए रवाना हुई. प्रथम रात्रि प्रवास के लिए डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी.

madmaheshwar doli left for kailash
madmaheshwar doli left for kailash
author img

By

Published : May 20, 2023, 1:17 PM IST

Updated : May 20, 2023, 1:49 PM IST

द्वितीय केदार मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली रवाना.

रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर (मध्यमहेश्वर) की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से कैलाश के लिए रवाना हो गयी है. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर सैकड़ों भक्तों ने पुष्प-अक्षत्रों से बाबा की डोली को विदा किया और लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली व विश्व समृद्धि की कामना की.

इससे पहले भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी बांगेश लिंग ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत भगवान मदमहेश्वर सहित 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया तथा भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को परम्परानुसार चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया.

दस्तूरधारी गांवों के ग्रामीणों की ओर से भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी गई. चल विग्रह उत्सव डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा कर कैलाश के लिए से रवाना हुई. रावल भीमाशंकर लिंग सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंगोलचारी तक भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई की.
पढ़ें- मदमहेश्वर धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू, 22 मई से होंगे दर्शन

भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली स्थानीय वाध्य यंत्रो की मधुर धुनों, महिलाओं के मांगलिक जागरों तथा सैकड़ों भक्तों की जयकारों के साथ सलामी, फापंज, मनसूना, बुरुवा, राऊलैंक, उनियाणा सहित विभिन्न यात्रा पडावों पर भक्तों को आशीष देते हुए रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी तथा 21 मई को राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी.

22 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से प्रस्थान कर बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा कूनचटटी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी और डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे.
पढ़ें- केदारनाथ में पुलिस की मुहिम लौटा रही है श्रद्धालुओं की मुस्कान, बिछड़ गए 104 तीर्थ यात्रियों को परिजनों से मिलवाया

इस मौके पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मदमहेश्वर यात्रा की तैयारियों के लिए अधिकारी एवं कर्मचारियों को निर्देश दिये गये हैं. मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया मदमहेश्वर यात्रा की तैयारियों के आदेश के बाद मंदिर समिति का अग्रिम दल मदमहेश्वर मंदिर यात्रा तैयारियों में जुटा हुआ है.

बता दें कि, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर की नाभि की पूजा होती है और यह मंदिर समुद्र तल से 3490 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मदमहेश्वर मंदिर की यात्रा काफी कठिन है, क्योंकि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कई चुनौतीपूर्ण रास्तों से होकर जाना होता है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र मंदिर है, जिसको भारत के सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है.

भगवान मदमहेश्वर का पावन धाम रांसी गांव से लगभग 14 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान है. मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा की जाती है. मदमहेश्वर धाम में पूजा-अर्चना करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है तथा भगवान मदमहेश्वर को न्याय का देवता माना जाता है.

गौर हो कि, उत्तराखंड में स्थित पंच केदारों में से सबसे प्रथम केदारनाथ मंदिर है जो 11 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है. द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के नाम से पूजे जाते हैं. तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर है. ये मंदिर एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है, जो 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर है जबकि पंच केदारों में अंतिम कल्पेश्वर धाम है, जो समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

द्वितीय केदार मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली रवाना.

रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर (मध्यमहेश्वर) की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से कैलाश के लिए रवाना हो गयी है. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर सैकड़ों भक्तों ने पुष्प-अक्षत्रों से बाबा की डोली को विदा किया और लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली व विश्व समृद्धि की कामना की.

इससे पहले भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी बांगेश लिंग ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत भगवान मदमहेश्वर सहित 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया तथा भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को परम्परानुसार चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया.

दस्तूरधारी गांवों के ग्रामीणों की ओर से भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी गई. चल विग्रह उत्सव डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा कर कैलाश के लिए से रवाना हुई. रावल भीमाशंकर लिंग सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंगोलचारी तक भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई की.
पढ़ें- मदमहेश्वर धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू, 22 मई से होंगे दर्शन

भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली स्थानीय वाध्य यंत्रो की मधुर धुनों, महिलाओं के मांगलिक जागरों तथा सैकड़ों भक्तों की जयकारों के साथ सलामी, फापंज, मनसूना, बुरुवा, राऊलैंक, उनियाणा सहित विभिन्न यात्रा पडावों पर भक्तों को आशीष देते हुए रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी तथा 21 मई को राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी.

22 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से प्रस्थान कर बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा कूनचटटी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी और डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे.
पढ़ें- केदारनाथ में पुलिस की मुहिम लौटा रही है श्रद्धालुओं की मुस्कान, बिछड़ गए 104 तीर्थ यात्रियों को परिजनों से मिलवाया

इस मौके पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मदमहेश्वर यात्रा की तैयारियों के लिए अधिकारी एवं कर्मचारियों को निर्देश दिये गये हैं. मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया मदमहेश्वर यात्रा की तैयारियों के आदेश के बाद मंदिर समिति का अग्रिम दल मदमहेश्वर मंदिर यात्रा तैयारियों में जुटा हुआ है.

बता दें कि, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर की नाभि की पूजा होती है और यह मंदिर समुद्र तल से 3490 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मदमहेश्वर मंदिर की यात्रा काफी कठिन है, क्योंकि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कई चुनौतीपूर्ण रास्तों से होकर जाना होता है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र मंदिर है, जिसको भारत के सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है.

भगवान मदमहेश्वर का पावन धाम रांसी गांव से लगभग 14 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान है. मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा की जाती है. मदमहेश्वर धाम में पूजा-अर्चना करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है तथा भगवान मदमहेश्वर को न्याय का देवता माना जाता है.

गौर हो कि, उत्तराखंड में स्थित पंच केदारों में से सबसे प्रथम केदारनाथ मंदिर है जो 11 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है. द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के नाम से पूजे जाते हैं. तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर है. ये मंदिर एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है, जो 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर है जबकि पंच केदारों में अंतिम कल्पेश्वर धाम है, जो समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

Last Updated : May 20, 2023, 1:49 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.