रुद्रप्रयागः बच्छणस्यूं पट्टी को जोड़ने वाले खेड़ाखाल-डुंगरीपंथ मोटरमार्ग पर घटिया कार्य से ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है. आलम ये है कि दो साल में सड़क का कार्य दो किलोमीटर तक भी नहीं हो पाया. ग्रामीणों का आरोप है कि मार्ग पर लगाए जा रहे पुश्तों और स्कबर में रेत और बजरी की जगह मिट्टी का प्रयोग हो रहा है. मामले में शिकायत मिलने पर डीएम वंदना सिंह ने एसडीएम की अध्यक्षता में बनी कमेटी को जांच के आदेश दे दिए हैं.
दरअसल, खेड़ाखाल-डुंगरीपंथ मोटरमार्ग का दो किमी का हिस्सा रुद्रप्रयाग जनपद में पड़ता है. जबकि बाकी का हिस्सा पौड़ी में. ये दो किमी का हिस्सा वर्षों से विभागीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण उबड़-खाबड़ था. ग्रामीणों की मांग पर लोनिवि डिवीजन श्रीनगर ने दो किमी हिस्से के सुधारीकरण को लेकर टेंडर निकाले और निर्माण कार्य शुरू करवाया.
मगर दो साल बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. दो साल में दो किमी मोटरमार्ग पर निर्माण कार्य पूरा न होना विभागीय ठेकेदार के कार्य की हकीकत को बयां कर रहा है. इन दिनों मोटरमार्ग पर स्कबर और पुश्तों का कार्य चल रहा है. जिसमें रेत और बजरी की जगह मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है. मोटरमार्ग चौड़ीकरण से निकाली जा रही मिट्टी को पुश्तों में लगाया जा रहा है. ऐसे में यह पुश्ता कितने समय तक टिक पायेगा, यह भी सवाल बना हुआ है.
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इसके अलावा मोटरमार्ग चौड़ीकरण से निकाली जा रही मिट्टी को डपिंग जोन में डालने के बजाय ग्रामीणों के खेतों में फेंका जा रहा है. इसकी शिकायत ग्रामीणों ने कई बार विभागीय अभियंताओं से की, मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई. कोरोना महामारी के कारण विभिन्न राज्यों से अपने गांव लौटे प्रवासियों ने जब मोटरमार्ग का निर्माण कार्य देखा, तो उन्होंने कार्य की गुणवत्ता पर सवालियां निशान उठाने शुरू कर दिए हैं.
प्रवासी ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की योजनाओं को गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. विभागीय अभियंताओं और ठेकेदार की मिली-भगत से निर्माण कार्य में गुणवत्ता का कोई भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
वहीं, मोटरमार्ग का निरीक्षण करने पहुंचे क्षेत्रीय विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि यह ग्रामीणों के साथ धोखाधड़ी है. निर्माण कार्य करवा रही एजेंसी और ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इसके लिए डिवीजन के अधिकारियों से वार्ता की जायेगी. उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी डीपीआर बनाई जाती है, उसमें साफ होता है कि निर्माण कार्य के दौरान किस तरह की गुणवत्ता रहेगी और डंपिंग जोन कहां रहेगा? उसके बाद ही कार्य किया जाता है. मगर इस मोटरमार्ग पर ठेकेदार अपनी मनमानी करने में लगा है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.
उधर, मामले में जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि मोटरमार्ग के निर्माण कार्य की जांच को लेकर एसडीएम की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गई है. इसमें दो तकनीकि एजेंसी के अधिकारियों को रखा गया है. कमेटी की ओर से मोटरमार्ग पर चल रहे निर्माण कार्यों की जांच की जायेगी और एक सप्ताह के भीतर आख्या प्रस्तुत की जायगी.