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केदारघाटी का मोठ बुग्याल, जहां देव कन्याएं करती हैं स्नान! - Dev Kanya comes to bathe in Moth Bugyal of Kedarghati

परियों की कहानियां बचपन में तो आपने जरूरी पढ़ी और सुनी होगी. लेकिन रुद्रप्रयाग के केदारघाटी में एक जगह ऐसा भी है, जहां देव कन्याएं स्नान करने आज भी आती हैं.

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केदारघाटी का मोठ बुग्याल.
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Published : Apr 3, 2021, 5:55 PM IST

रुद्रप्रयाग: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में भगवान बसे हैं और इसके जंगलों में देवी-देवता निवास करते हैं. मध्य हिमालय में स्थित गढ़वाल पुरातन काल से देवी-देवताओं, ऋषि मुनियों और सैलानियों के लिए भी प्रिय है. हिमालय के आंचल में बसे सुरम्य मखमली बुग्याल अपनी सुन्दरता के लिए विश्व विख्यात हैं. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इन बुग्यालों में आज भी ऐड़ी आछरी, वन देवियां और देव कन्याएं अदृश्य रूप में नृत्य करती हैं.

Moth Bugyal of Kedarghati
केदारघाटी का मोठ बुग्याल.

केदारघाटी में त्यूड़ी गांव के ऊपरी हिस्से में स्थित मोठ बुग्याल प्रकृति के अद्भुत नजारों को अपने आंचल में समेटे हुए है. प्रकृति के इस अनमोल खजाने से रूबरू होने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी मोठ बुग्याल पहुंचते हैं. गर्मी और सर्दियों के मौसम में ऐसा आभास होता है कि देवलोक से परियां मोठ बुग्याल में विचरण कर रही हैं.

बेपनाह खूबसूरती के लिए विख्यात मोठ बुग्याल को प्रकृति में बेहद बारीकी से सजाया है. ऊंचे पर्वत, सुंदर जंगल, सघन वृक्षों की झाड़ियों और फूलों की महक देश-विदेश के सैलानियों को आकर्षित करते रहते हैं.

Moth Bugyal of Kedarghati
इस ताल में देव कन्याएं करती हैं स्नान!

मोठ बुग्याल से केदारनाथ, सुमेरु, चैखम्बा, विशोणीताल, मनणामाई तीर्थ,मदमहेश्वर, तुंगनाथ, पवालीकांठा व घंघासू बांगर तथा सैकड़ों गहरी फीट की खाईयों के दुर्लभ फोटो कैमरे में कैद करना इतना आसान नहीं होता. क्योंकि मोठ बुग्याल पहुंचने पर मौसम का साफ होना ही नसीब वालों के भाग्य में लिखा होता है.

ये भी पढ़ें: अब साथ ले जा सकेंगे बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर की प्रतिमा, इतने हैं दाम

देव कन्याएं नैल तालाब में करती हैं स्नान

स्थानीय लोगों के मुताबिक आज भी देव कन्याएं मोठ बुग्याल के नैल तालाब में जल क्रीड़ा करती हैं और वन देवियों के संगीत का आनन्द लेती हैं. केदारघाटी के पर्यटक गांव त्यूड़ी के शीर्ष पर विराजमान पर्यटक स्थल मोठ बुग्याल के साथ नैल तालाब एवं अंगर तालाब को सरोवर नगरी नैनीताल की नैनी झील के समान है. मोठ बुग्याल के चारों तरफ वन औषधियों के भंडार भरे हुए हैं. कस्तूरी मृग, बारहसिंघा सहित कई जंगली जानवर बुग्यालों की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.

स्थानीय लोगों के मुताबिक मोठ बुग्याल में पल भर बैठने से भटके मन को अपार शान्ति मिलती है. मोठ बुग्याल के ऊपरी हिस्से में पत्थर की विशाल शिला केदार शिला के नाम से विख्यात है तथा शिला की पूजा करने से मनुष्य को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. त्यूड़ी गांव से लगभग सात किमी दूर सतगुडू स्थान को भी प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है. यदि प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग बलभद्र मन्दिर त्यूडी को तीर्थाटन व त्यूडी-मोठ बुग्याल के भूभाग को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने की पहल करता है तो स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने और होम स्टे योजना का लाभ ग्रामीणों को मिलने के साथ युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.

रुद्रप्रयाग: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में भगवान बसे हैं और इसके जंगलों में देवी-देवता निवास करते हैं. मध्य हिमालय में स्थित गढ़वाल पुरातन काल से देवी-देवताओं, ऋषि मुनियों और सैलानियों के लिए भी प्रिय है. हिमालय के आंचल में बसे सुरम्य मखमली बुग्याल अपनी सुन्दरता के लिए विश्व विख्यात हैं. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इन बुग्यालों में आज भी ऐड़ी आछरी, वन देवियां और देव कन्याएं अदृश्य रूप में नृत्य करती हैं.

Moth Bugyal of Kedarghati
केदारघाटी का मोठ बुग्याल.

केदारघाटी में त्यूड़ी गांव के ऊपरी हिस्से में स्थित मोठ बुग्याल प्रकृति के अद्भुत नजारों को अपने आंचल में समेटे हुए है. प्रकृति के इस अनमोल खजाने से रूबरू होने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी मोठ बुग्याल पहुंचते हैं. गर्मी और सर्दियों के मौसम में ऐसा आभास होता है कि देवलोक से परियां मोठ बुग्याल में विचरण कर रही हैं.

बेपनाह खूबसूरती के लिए विख्यात मोठ बुग्याल को प्रकृति में बेहद बारीकी से सजाया है. ऊंचे पर्वत, सुंदर जंगल, सघन वृक्षों की झाड़ियों और फूलों की महक देश-विदेश के सैलानियों को आकर्षित करते रहते हैं.

Moth Bugyal of Kedarghati
इस ताल में देव कन्याएं करती हैं स्नान!

मोठ बुग्याल से केदारनाथ, सुमेरु, चैखम्बा, विशोणीताल, मनणामाई तीर्थ,मदमहेश्वर, तुंगनाथ, पवालीकांठा व घंघासू बांगर तथा सैकड़ों गहरी फीट की खाईयों के दुर्लभ फोटो कैमरे में कैद करना इतना आसान नहीं होता. क्योंकि मोठ बुग्याल पहुंचने पर मौसम का साफ होना ही नसीब वालों के भाग्य में लिखा होता है.

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देव कन्याएं नैल तालाब में करती हैं स्नान

स्थानीय लोगों के मुताबिक आज भी देव कन्याएं मोठ बुग्याल के नैल तालाब में जल क्रीड़ा करती हैं और वन देवियों के संगीत का आनन्द लेती हैं. केदारघाटी के पर्यटक गांव त्यूड़ी के शीर्ष पर विराजमान पर्यटक स्थल मोठ बुग्याल के साथ नैल तालाब एवं अंगर तालाब को सरोवर नगरी नैनीताल की नैनी झील के समान है. मोठ बुग्याल के चारों तरफ वन औषधियों के भंडार भरे हुए हैं. कस्तूरी मृग, बारहसिंघा सहित कई जंगली जानवर बुग्यालों की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.

स्थानीय लोगों के मुताबिक मोठ बुग्याल में पल भर बैठने से भटके मन को अपार शान्ति मिलती है. मोठ बुग्याल के ऊपरी हिस्से में पत्थर की विशाल शिला केदार शिला के नाम से विख्यात है तथा शिला की पूजा करने से मनुष्य को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. त्यूड़ी गांव से लगभग सात किमी दूर सतगुडू स्थान को भी प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है. यदि प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग बलभद्र मन्दिर त्यूडी को तीर्थाटन व त्यूडी-मोठ बुग्याल के भूभाग को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने की पहल करता है तो स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने और होम स्टे योजना का लाभ ग्रामीणों को मिलने के साथ युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.

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