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पंचायती राज एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने - रुद्रप्रयाग न्यूज

हाल ही में राज्य सरकार द्वारा किए गए पंचायती राज एक्ट में संशोधन का मुद्दा क्षेत्र पंचायत की बैठक में काफी चर्चा में रहा. इस मामले में सत्तापक्ष के विधायक भरत चौधरी और विपक्षी विधायक मनोज रावत तीखी नोकझोंक भी हुई.

क्षेत्र पंचायत बैठक
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Published : Jun 30, 2019, 6:05 AM IST

Updated : Jun 30, 2019, 6:55 AM IST

रुद्रप्रयागः क्षेत्र पंचायत मन्दाकिनी की अंतिम बैठक में दो विधायकों के बीच गरमागरम बहस देखने को मिली. एक बार लगा कि यह विधानसभा का सदन है जब रुदप्रयाग विधायक भरत चौधरी एवं केदारनाथ विधायक मनोज रावत के बीच नये पंचायती राज एक्ट को लेकर बहस होने लगी. सत्तापक्ष के विधायक चौधरी और विपक्षी विधायक रावत में काफी देर तक नोकझोंक भी हुई.

पंचायती राज एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर दो विधायकों में नोंकझोंक

आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक ओर केदारनाथ विधायक पंचायती राज अधिनियम में हुए संशोधन बिल पर सरकार को घेरते दिखे जबकि रुद्रप्रयाग विधायक सरकार का बचाव करते रहे. इस दौरान सदन में उपस्थित सदस्य तालियां बजाकर क्षेत्र पंचायत सदन में इसका आनंद लेते रहे.

ब्लॉक सभागर अगस्त्यमुनि में जैसे ही ब्लॉक प्रमुख जगमोहन रौथाण ने कार्रवाई शुरू करने की घोषणा की वैसे ही क्षेत्र पंचायत सदस्य योगम्बर नेगी ने विधानसभा में पारित पंचायती राज अधिनियम में पंचायत चुनाव में प्रत्याशी के दो बच्चों से अधिक होने पर अयोग्य होने के फैसले का विरोध किया.

जिसके बाद सदन में एक के बाद एक सदस्य इसका समर्थन करने लगे और ध्वनिमत से इस प्रस्ताव को सदन में पारित किया गया. इसी दौरान विधायक भरत चौधरी ने इस पर सरकार का पक्ष रखना चाहा, लेकिन मौका पाते ही केदारनाथ विधायक ने कहा कि सरकार ने आनन-फानन में सत्र के अंतिम दिन इस विधेयक को हंगामे के बीच पारित किया, जबकि इसमें दर्जनों गलतियां हैं.

जिसके बाद दोनों विधायकों में बहस बढ़ गयी. विधायक चौधरी ने कहा कि यदि जनता न चाहे तो दुनिया की कोई भी सरकार किसी भी नियम को लागू नहीं कर सकती है. विधासभा में जब विधेयक लाया गया उस समय सदन में कांग्रेस के भी 11 विधायक उपस्थित थे, लेकिन किसी ने भी प्रश्न नहीं किया.

उन्होंने कहा कि मैं स्वयं नहीं चाहता हूं कि केवल त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में इसे लागू किया जाए यदि यहां लागू है तो इसे लोकसभा व विधानसभा में भी लागू किये जाने की मांग की जानी चाहिए.

यह भी पढ़ेंः मुफ्ती रईस के खिलाफ FIR, मॉब लिंचिंग को लेकर दिया था भड़काऊ भाषण

उन्होंने कहा कि कई बार जो फैसले हमें गलत लगते हैं उनके परिणाम दूरगामी होते हैं. वहीं, विधायक मनोज रावत ने कहा कि लोकत्रंत के सबसे छोटे व महत्वपूर्ण सदन से निकले इस प्रस्ताव पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.

उन्होंने हाल ही में लागू स्थानान्तरण नीति व पंचायत राज पर सरकार द्वारा जल्द ही अध्यादेश लाने की बात पर भी सरकार को घेरा. जिसके बाद ब्लॉक प्रमुख द्वारा सभी से केवल क्षेत्र की समस्याओं पर अपनी बात रखने के आग्रह के बाद ही सदन की कार्रवाई आगे चल पायी.

रुद्रप्रयागः क्षेत्र पंचायत मन्दाकिनी की अंतिम बैठक में दो विधायकों के बीच गरमागरम बहस देखने को मिली. एक बार लगा कि यह विधानसभा का सदन है जब रुदप्रयाग विधायक भरत चौधरी एवं केदारनाथ विधायक मनोज रावत के बीच नये पंचायती राज एक्ट को लेकर बहस होने लगी. सत्तापक्ष के विधायक चौधरी और विपक्षी विधायक रावत में काफी देर तक नोकझोंक भी हुई.

पंचायती राज एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर दो विधायकों में नोंकझोंक

आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक ओर केदारनाथ विधायक पंचायती राज अधिनियम में हुए संशोधन बिल पर सरकार को घेरते दिखे जबकि रुद्रप्रयाग विधायक सरकार का बचाव करते रहे. इस दौरान सदन में उपस्थित सदस्य तालियां बजाकर क्षेत्र पंचायत सदन में इसका आनंद लेते रहे.

ब्लॉक सभागर अगस्त्यमुनि में जैसे ही ब्लॉक प्रमुख जगमोहन रौथाण ने कार्रवाई शुरू करने की घोषणा की वैसे ही क्षेत्र पंचायत सदस्य योगम्बर नेगी ने विधानसभा में पारित पंचायती राज अधिनियम में पंचायत चुनाव में प्रत्याशी के दो बच्चों से अधिक होने पर अयोग्य होने के फैसले का विरोध किया.

जिसके बाद सदन में एक के बाद एक सदस्य इसका समर्थन करने लगे और ध्वनिमत से इस प्रस्ताव को सदन में पारित किया गया. इसी दौरान विधायक भरत चौधरी ने इस पर सरकार का पक्ष रखना चाहा, लेकिन मौका पाते ही केदारनाथ विधायक ने कहा कि सरकार ने आनन-फानन में सत्र के अंतिम दिन इस विधेयक को हंगामे के बीच पारित किया, जबकि इसमें दर्जनों गलतियां हैं.

जिसके बाद दोनों विधायकों में बहस बढ़ गयी. विधायक चौधरी ने कहा कि यदि जनता न चाहे तो दुनिया की कोई भी सरकार किसी भी नियम को लागू नहीं कर सकती है. विधासभा में जब विधेयक लाया गया उस समय सदन में कांग्रेस के भी 11 विधायक उपस्थित थे, लेकिन किसी ने भी प्रश्न नहीं किया.

उन्होंने कहा कि मैं स्वयं नहीं चाहता हूं कि केवल त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में इसे लागू किया जाए यदि यहां लागू है तो इसे लोकसभा व विधानसभा में भी लागू किये जाने की मांग की जानी चाहिए.

यह भी पढ़ेंः मुफ्ती रईस के खिलाफ FIR, मॉब लिंचिंग को लेकर दिया था भड़काऊ भाषण

उन्होंने कहा कि कई बार जो फैसले हमें गलत लगते हैं उनके परिणाम दूरगामी होते हैं. वहीं, विधायक मनोज रावत ने कहा कि लोकत्रंत के सबसे छोटे व महत्वपूर्ण सदन से निकले इस प्रस्ताव पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.

उन्होंने हाल ही में लागू स्थानान्तरण नीति व पंचायत राज पर सरकार द्वारा जल्द ही अध्यादेश लाने की बात पर भी सरकार को घेरा. जिसके बाद ब्लॉक प्रमुख द्वारा सभी से केवल क्षेत्र की समस्याओं पर अपनी बात रखने के आग्रह के बाद ही सदन की कार्रवाई आगे चल पायी.

खबर में गरमा गरम बहस करते हुए वीडीओ भेजे गये हैं।
केदारनाथ विधायक ने संशोधन बिल पर सरकार को घेरा
सदन में उपस्थित सदस्य तालियां बजाकर आनंद लेते रहे
विधायक रुद्रप्रयाग और केदारनाथ के बीच गरमागरम बहस
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग - विधायकों के बीच बहस
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/29 जून 2019/रुद्रप्रयाग/एवी
एंकर - क्षेत्र पंचायत मन्दाकिनी की अन्तिम बैठक में एक बार लगा कि यह विधानसभा का सदन है, जब रुदप्रयाग विधायक भरत चैधरी एवं केदारनाथ विधायक मनोज रावत के बीच नये पंचायती राज एक्ट पर गरमागरम बहस होने लगी। आरोप प्रत्यारोप के बीच एक ओर केदारनाथ विधायक पंचायती राज अधिनियम में हुये संशोधन बिल पर सरकार को घेरते दिखे, जबकि रुद्रप्रयाग विधायक सरकार का बचाव करते रहे। इस दौरान सदन में उपस्थित सदस्य तालियां बजाकर क्षेत्र पंचायत सदन में विधानसभा का आनंद लेते रहे।
ब्लाॅक सभागर अगत्यमुनि में जैसे ही ब्लाॅक प्रमुख जगमोहन रौथाण ने कार्यवाही शुरू करने की घोषणा की वैसे ही क्षेत्र पंचायत सदस्य योगम्बर नेगी ने विधानसभा में पारित पंचायती राज अधिनियम में पंचायत चुनाव में प्रत्याशी के दो बच्चों से अधिक होने पर अयोग्य होने के फैसले का विरोध किया। जिसके बाद सदन में एक के बाद एक सदस्य इसका समर्थन करने लगा और ध्वनिमत से इस प्रस्ताव को सदन में पारित किया गया। इसी दौरान रुद्रप्रयाग विधायक भरत चैधरी ने इस पर सरकार का पक्ष रखना चाहा, लेकिन मौका पाते ही केदारनाथ विधायक ने कहा कि सरकार ने आनन फानन में सत्र के अंतिम दिन इस विधेयक को हंमामें के बीच पारित किया, जबकि इसमें दर्जनों गलतियां हैं। जिसके बाद दोनांे विधायको में बहस बढ़ गयी। विधायक भरत चैधरी ने कहा कि यदि जनता न चाहे तो दुनिया की कोई भी सरकार किसी भी नियम को लागू नहीं कर सकती है। विधासभा में जब विधेयक लाया गया उस समय सदन में काग्रेस के भी 11 विधायक उपस्थित थे, लेकिन किसी ने भी प्रश्न नहीं किया। उन्हांेने कहा कि मैं स्वयं नही चाहता हूॅ कि केवल त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में इसे लागू किया जाय। बल्कि यदि यहां लागू है तो इसे लोक सभा व विधानसभा में भी लागू किये जाने की मांग की जानी चाहिए। उन्हांेने कहा कि कई बार जो फैसले हमें गलत लगते हैं उनके परिणाम दूरगामी होते हैं। वहीं विधायक मनोज रावत ने कहा कि लोकत्रंत के सबसे छोटे व महत्वपूर्ण सदन से निकले इस प्रस्ताव पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने हाल ही में लागू स्थानान्तरण नीति व पंचायत राज पर सरकार द्वारा जल्द ही अध्यादेश लाने की बात पर भी सरकार को घेरा। जिसके बाद ब्लाॅक प्रमुख द्वारा सभी से केवल क्षेत्र की समस्याओं पर अपनी बात रखने के आग्रह के बाद ही सदन की कार्यवाही आगे चल पायी।  

Last Updated : Jun 30, 2019, 6:55 AM IST
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