रुद्रप्रयाग: घोड़े-खच्चरों को केदारनाथ यात्रा की रीढ़ माना जाता है. धाम पहुंचने वाले अधिकांश यात्री घोड़े-खच्चरों से ही आवाजाही करते हैं, जबकि सामान भी धाम तक इन्हीं के जरिए पहुंचाया जाता है. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार घोड़े-खच्चरों की मौतें कम हुई हैं, इसलिए प्रशासन स्तर पर बेहतर सुविधाएं प्रदान की गई हैं. निरंतर घोड़े-खच्चरों का ट्रीटमेंट किया जा रहा है, जबकि जगह-जगह पशु चिकित्सक भी तैनात किए गए हैंं.
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर अस्थाई पशु चिकित्सालय संचालित: घोड़े-खच्चरों के संचालन के लिए इस वर्ष शासन ने एसओपी निर्धारित की है. जिसका पूर्ण रूप से पालन किया जा रहा है. इसमें यात्रा ट्रैक की अधिकतम क्षमता भी निर्धारित की गई है. पशुपालन विभाग की ओर से केदारनाथ यात्रा मार्ग पर सोनप्रयाग, गौरीकुंड, लिनचोली और केदारनाथ में अस्थाई पशु चिकित्सालय संचालित किए जा रहे हैं. जिनके माध्यम से यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों को पशुचिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं. साथ ही प्रतिदिन मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है.
24 घंटे पशु चिकित्सा सुविधा उपलब्ध: घोड़े-खच्चरों के लिए गत वर्ष मात्र 4 पशुचिकित्सकों को नियुक्त किया गया था, जबकि इस वर्ष विभाग ने कुल 7 पशु चिकित्सक और 5 सहायक कर्मी यात्रा मार्ग पर नियुक्त किए हैं. सोनप्रयाग, केदारनाथ और लिनचोली में एक-एक पशुचिकित्सक और यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में 4 पशुचिकित्सक तैनात किए गए हैं. जिनके द्वारा 24 घंटे पशु चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ ही पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का भी अनुपालन करवाया जा रहा है.
यात्रा मार्ग पर कुल 2890 पशुओं का किया गया उपचार: पशुपालन विभाग के चिकित्सकों ने सोनप्रयाग में 444, गौरीकुंड में 1721, लिनचोली 398 और केदारनाथ में 327 घोड़े-खच्चरों सहित यात्रा मार्ग पर कुल 2,890 पशुओं का उपचार कर उनकी प्राणरक्षा की है. पहली बार सभी घोड़े-खच्चरों की ग्लैण्डर्स जांच भी करवाई गई है. यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों को इनडोर सुविधा सहित बेहतर पशुचिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए वृहद इनफर्मरी के लिये सोनप्रयाग में भूमि का चयन कर लिया गया है. घोड़े-खच्चरों को ठंडा पानी पीने से होने वाले कोलिक रोग से बचाव के लिये यात्रा मार्ग के 18 स्थानों पर गीजर युक्त गर्म पानी की चरहियां संचालित की जा रही हैं, जिनकी देखरेख म्यूल टास्क फोर्स के जवानों के सुपुर्द की गई है और घोड़े-खच्चरों को रूकवा कर पानी पिलवाया जा रहा है.
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मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने कही ये बात: मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅक्टर अशोक पंवार ने बताया कि पिछले वर्ष 60 दिनों की यात्रा में 194 घोड़े-खच्चरों की मौत के सापेक्ष इस वर्ष 90 पशुओं की मौत हुई है. यात्रा मार्ग पर अश्व-कल्याण के लिए प्रशासन और विभिन्न विभागों का मूल लक्ष्य भी यही है कि घोड़े-खच्चरों की मृत्यु दर न्यूनतम रखते हुए यात्रा को घोड़े-खच्चरों के साथ तीर्थ यात्रियों के लिए भी सुगम बनाया जा सके, जिससे यात्री केदारनाथ से सुखद अनुभव लेकर जाएं.
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