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ऑल वेदर रोड निर्माण की वजह से बने कई डेंजर जोन, बढ़ रही हादसों की संख्या - सड़क हादसों में गई कई लोगों की जान

रुद्रप्रयाग में सड़क हादसों में हर साल कई लोगों की जान चली जाती है. सड़क हादसों का प्रमुख कारण ओवरलोडिंग और सड़क की खस्ता हालत है. वहीं ऑल वेदर रोड के निर्माण कार्य की वजह से कई डेंजर जोन पैदा हो गए हैं.

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सड़क हादसा
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Published : Feb 7, 2020, 3:29 PM IST

Updated : Feb 7, 2020, 3:35 PM IST

रुद्रप्रयाग: जिले में ऑल वेदर रोड निर्माण कार्य की शुरूआत से ही लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. केदारनाथ हाईवे पर कई ऐसे डेंजर जोन पैदा हो गए हैं, जो खुलेआम मौत को दावत दे रहे हैं. पिछले वर्ष बांसबाड़ा में चट्टान खिसकने से नौ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. ऐसे में ऑल वेदर रोड निर्माण दुर्घटना का बड़ा कारण बना हुआ है.

पहाड़ी जिलों में सड़क हादसों का मुख्य कारण यह है कि ग्रामीण इलाकों में सड़कों की स्थिति काफी खराब है और ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन चालक शराब पीकर और ओवरलोडिंग करके वाहन चलाते हैं. जिस कारण सड़क हादसे होते हैं. ऐसे में आम जनता का भी यह मानना है कि अगर परिवहन और पुलिस विभाग वाहन स्वामियों और चालकों को जागरूक करे और चेकिंग अभियान चलाए तो सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा.

सड़क हादसा

पिछले 6 सालों में हुई सड़क दुर्घटना में मौत

2014 में 23 दुर्घटनाओं में 12 लोगों की मौत और 48 लोग घायल
2015 में 40 दुर्घटनाओं में 22 लोगों की मौत और 104 लोग घायल
2016 में 35 दुर्घटनाओं में 23 लोगों की मौत और 63 लोग घायल
2017 में 22 दुर्घटनाओं में 11 लोगों की मौत और 55 लोग घायल
2018 में 15 दुर्घटनाओं में 14 लोगों की मौत और 12 लोगों घायल
2019 में 19 दुर्घटनाओं में 17 लोगों की मौत और 43 लोग घायल

इन आंकड़ों पर नजर डाले तो देखा जा सकता है कि रुद्रप्रयाग जिले में दुर्घटनाओं में कमी आई है. 6 साल में 154 दुर्घटनाओं में 99 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 325 लोग घायल हुए हैं. सड़क दुर्घटनाओं का एक कारण ऑल वेदर रोड निर्माण भी माना जा रहा है, क्योंकि जब से निर्माण कार्य की शुरूआत हुई है दुर्घटनाएं बढ़ने लगी हैं.

ये भी पढ़े: एक साल बाद जागा स्वास्थ्य महकमा, दून अस्पताल में लगेगी सिटी स्कैन मशीन

सड़क दुर्घटनाओं को लेकर परिवहन विभाग और पुलिस दोनों ही संयुक्त रूप से अभियान चला रहे हैं. रात के समय वाहनों की चेकिंग की जा रही है और वाहन चालकों का भी टेस्ट किया जा रहा है. जिससे यह पता चल सके कि वाहन चालक कहीं शराब के नशे में वाहन तो नहीं चला रहा है. परिवहन विभाग की ओर से स्कूलों में जाकर भी अभियान चलाया जा रहा है. स्कूली बच्चों को वाहन अधिनियम की जानकारी दी जा रही है.

रुद्रप्रयाग: जिले में ऑल वेदर रोड निर्माण कार्य की शुरूआत से ही लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. केदारनाथ हाईवे पर कई ऐसे डेंजर जोन पैदा हो गए हैं, जो खुलेआम मौत को दावत दे रहे हैं. पिछले वर्ष बांसबाड़ा में चट्टान खिसकने से नौ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. ऐसे में ऑल वेदर रोड निर्माण दुर्घटना का बड़ा कारण बना हुआ है.

पहाड़ी जिलों में सड़क हादसों का मुख्य कारण यह है कि ग्रामीण इलाकों में सड़कों की स्थिति काफी खराब है और ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन चालक शराब पीकर और ओवरलोडिंग करके वाहन चलाते हैं. जिस कारण सड़क हादसे होते हैं. ऐसे में आम जनता का भी यह मानना है कि अगर परिवहन और पुलिस विभाग वाहन स्वामियों और चालकों को जागरूक करे और चेकिंग अभियान चलाए तो सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा.

सड़क हादसा

पिछले 6 सालों में हुई सड़क दुर्घटना में मौत

2014 में 23 दुर्घटनाओं में 12 लोगों की मौत और 48 लोग घायल
2015 में 40 दुर्घटनाओं में 22 लोगों की मौत और 104 लोग घायल
2016 में 35 दुर्घटनाओं में 23 लोगों की मौत और 63 लोग घायल
2017 में 22 दुर्घटनाओं में 11 लोगों की मौत और 55 लोग घायल
2018 में 15 दुर्घटनाओं में 14 लोगों की मौत और 12 लोगों घायल
2019 में 19 दुर्घटनाओं में 17 लोगों की मौत और 43 लोग घायल

इन आंकड़ों पर नजर डाले तो देखा जा सकता है कि रुद्रप्रयाग जिले में दुर्घटनाओं में कमी आई है. 6 साल में 154 दुर्घटनाओं में 99 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 325 लोग घायल हुए हैं. सड़क दुर्घटनाओं का एक कारण ऑल वेदर रोड निर्माण भी माना जा रहा है, क्योंकि जब से निर्माण कार्य की शुरूआत हुई है दुर्घटनाएं बढ़ने लगी हैं.

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सड़क दुर्घटनाओं को लेकर परिवहन विभाग और पुलिस दोनों ही संयुक्त रूप से अभियान चला रहे हैं. रात के समय वाहनों की चेकिंग की जा रही है और वाहन चालकों का भी टेस्ट किया जा रहा है. जिससे यह पता चल सके कि वाहन चालक कहीं शराब के नशे में वाहन तो नहीं चला रहा है. परिवहन विभाग की ओर से स्कूलों में जाकर भी अभियान चलाया जा रहा है. स्कूली बच्चों को वाहन अधिनियम की जानकारी दी जा रही है.

Intro:
रुद्रप्रयाग जिले में आॅल वेदर कार्य ने बढ़ाई है लोगों की मुसीबते
केदारनाथ हाईवे पर आॅले वेदर कार्य से कई डेंजर जोन बने हैं जानलेवा
पिछले वर्ष चट्टान खिसकने से 9 लोगों की हुई थी मौत
ग्रामीण क्षेत्रों में ओवलोडिंग और शराब के नशे में हुई दुर्घटनाएं
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जनपद में पिछले छः वर्षो के आंकड़े पर गौर करें तो सड़क हादसों में निरंतर कमी देखने को मिली है। इसका एक कारण यह भी माना जा रहा है कि समय-समय पर परिवहन विभाग और पुलिस की ओर संयुक्त अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है और उन्हें समझाया जा रहा है कि गलत तरीके से वाहन चलाने से हादसो को न्यौता दिया जाता है। लेकिन जिले में आॅल वेदर कार्य की शुरूआत से ही लोगों को मुसीबतों से गुजरना पड़ा है। केदारनाथ हाईवे पर निर्माणदायी संस्था ने कई ऐसे डेंजर जोन पैदा किये हैं जो मौत को दावत दे रहे हैं। पिछले वर्ष बांसबाड़ा में चट्टान खिसकने से नौ लोगों को अपनी जान को गंवाना पड़ा। ऐसे में आॅल वेदर भी दुर्घटना का बड़ा कारण बना हुआ है।
Body:उत्तराखण्ड के पहाड़ी जिलो में सड़क हादसों का मुख्य कारण यह है कि ग्रामीण इलाकों में सड़कों की स्थिति काफी खराब है और ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन चालक शराब पीकर और ओवरलोडिंग करके वाहन को चलाते हैं, जिस कारण सड़क हादसे होते हैं। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों की स्थिति भी काफी नाजुक है। इन पर नजर दौड़ाये तो जगह-जगह गड्डे आर उबड़-खाबड़ सड़क नजर आती है जो मौत को दावत देती है। ऐसी उबड़-खाबड़ सड़कों पर वाहन चालकर अगर तेजी से वाहन को दौड़ाये तो हादसे होना आम बात है। ऐसे में आम जनता का भी यह मानना है कि अगर परिवहन और पुलिस विभाग वाहन स्वामियों और चालकों को जागरूक कर और चैकिंग अभियान चलाए तो लोगों में समझदारी आयेगी और सड़क दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा।
पिछले छः वर्षो के आंकड़ों पर नजर दौड़ाये तो वर्ष 2014 में 23 दुर्घटनाओं में 12 लोगांे की मौत और 48 लोग घायल हुए हैं। वर्ष 2015 में 40 घटनाएं घटी, जिनमें 22 की मौत और 104 लोग घायल हुए। वर्ष 2016 में 35 घटनाएं और 23 की मौत व 63 लोग घायल हुए हैं। वर्ष 2017 में 22 घटनाएं, 11 की मौत और 55 लोग सड़क दुर्घटना में घायल हुए। वर्ष 2018 में 15 घटनाएं, 14 मौतें और 12 लोगों के घायल होने की सूचना है। इसके अलावा वर्ष 2019 में 19 घटनाएं हुई तो 17 लोगों ने जान गंवाई और 43 लोग घायल हुए। वर्षवार आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाय तो समझा जा सकता है रुद्रप्रयाग जिले में वर्षवार दुर्घटनाएं कम होने के साथ ही मौतें भी कम हुइ हैं। छः वर्ष के भीतर 154 दुर्घटनाओं में 99 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 325 लोग घायल हुए हैं। सड़क दुर्घटनाओं का एक कारण और माना जा रहा है कि आॅल वेदर कार्य की शुरूआत से ही घटनाएं बढ़ने भी शुरू हुई है। पहाड़ी चट्टाने अचानक खिसकने से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
रुद्रप्रयाग - मोहित कोठारी, एआरटीओ
वीओ -3- सरकार की ओर से दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कई तरीके के नियम लागू किये जाते हैं, जिससे लोगों में जागरूकता आये। साथ ही वे नियम को अपनाए और सही तरीके से वाहनों को चलाएं, मगर इसके बावजूद भी कई लोग ऐसे होते हैं जो वाहनों को सही तरीके से चलाना पसंद नहीं करते और अपनी मनमर्जी से वाहन को दौड़ाते हैं। अगर सही तरीके से वाहन अधिनियम को अपनाया जाय तो सड़क दुर्घटनाएं कम हो सकती है। जो नियम बनाए जाते हैं वे विशेषज्ञों की ओर से बनाए जाते हैं, जिन्हें जनता को अपनाना चाहिए।
बाइट - भरत सिंह चैधरी, विधायक रुद्रप्रयाग
वीओ -4- सड़क दुर्घटनाओं को लेकर परिवहन विभाग और पुलिस दोनांे ही संयुक्त रूप से अभियान चला रहे हैं। रात के समय वाहनों की चैकिंग की जा रही है और वाहन चालकों का टेस्ट किया जा रहा है। जिससे यह पता चल सके कि वाहन चालक कहीं शराब के नशे में वाहन तो नहीं चला रहा है। परिवहन विभाग की ओर से स्कूलों में जाकर भी अभियान चलाया जा रहा है। स्कूली बच्चों को वाहन अधिनियम की जानकारी दी जा रही है। Conclusion:
Last Updated : Feb 7, 2020, 3:35 PM IST
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