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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने किया 'उद्यमिता एवं हिमालय के प्रेरणादायक उद्यमी' का विमोचन - रुद्रप्रयाग की खबरें

रुद्रप्रयाग में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कर्नल डॉ. डीपी डिमरी द्वारा लिखी प्रेरणादायक पुस्तक “उद्यमिता एवं हिमालय के प्रेरणादायक उद्यमी" का विमोचन किया.

रुद्रप्रयाग
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने किया पुस्तक विमोचन
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Published : Nov 8, 2020, 4:47 PM IST

रुद्रप्रयाग: कर्नल डॉ. डी पी डिमरी द्वारा लिखी प्रेरणादायक पुस्तक “उद्यमिता एवं हिमालय के प्रेरणादायक उद्यमी" का विमोचन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया. पुस्तक में उद्यमी बनने के अनेक गुरों के अलावा 28 ऐसे प्रेरणादायक प्रसंग हैं, जिन्होंने गरीबी से उठकर आज देश-विदेश में सफलता के परचम लहराए हैं.

मूल रूप से सेम भरदार निवासी डॉ. डिमरी ने पुस्तक के बारे में बताया कि वर्तमान संदर्भ में किसी भी सरकार अथवा संस्था को सभी को नौकरी दिलाना संभव नहीं है. ऐसे में समुचित कौशल अर्जित कर उचित नौकरी या स्वरोजगार को प्राप्त किया जा सकता है. उनका मानना है कि विद्या सर्वत्र पूज्यते के साथ-साथ आज के समय में विद्या एवं कौशल सर्वत्र पूज्यते अधिक सार्थक और प्रभावी है. युवाओं को स्वरोजगार अपनाकर नौकरी मांगने वालों के बजाय नौकरी देने वाला बनना चाहिए.

ये भी पढ़ें: राज्य स्थापना दिवस: पहाड़ के सामने 'पहाड़' सी चुनौतियां, अब भी सफर आसान नहीं

डॉ. डिमरी ने कहा कि यह प्रयास कौशल विकास एवं उद्यमिता में सलाहकार रहने, आईएलओ के साथ इस विषय पर प्रोजेक्ट पर काम करने, कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों को कार्यान्वित करने, उत्तराखंड में आराकोट-अस्कोट की लगभग 1040 किलोमीटर पैदल यात्रा के दौरान ग्रामवासियों तथा युवाओं से वार्ताला और जर्मनी में कौशल विकास के कार्यक्रम के अध्ययन एवं युवाओं को कौशल विकास की ओर प्रेरित करने के लंबे अनुभव पर आधारित है. पुस्तक का मुख्य उद्देश्य युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित करना है. पुस्तक में उद्यमी बनने के अनेक गुरों के अलावा 28 ऐसे प्रेरणादायक प्रसंग हैं, जिन्होंने गरीबी से उठकर आज देश-विदेश में सफलता के परचम लहराए हैं.

रुद्रप्रयाग: कर्नल डॉ. डी पी डिमरी द्वारा लिखी प्रेरणादायक पुस्तक “उद्यमिता एवं हिमालय के प्रेरणादायक उद्यमी" का विमोचन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया. पुस्तक में उद्यमी बनने के अनेक गुरों के अलावा 28 ऐसे प्रेरणादायक प्रसंग हैं, जिन्होंने गरीबी से उठकर आज देश-विदेश में सफलता के परचम लहराए हैं.

मूल रूप से सेम भरदार निवासी डॉ. डिमरी ने पुस्तक के बारे में बताया कि वर्तमान संदर्भ में किसी भी सरकार अथवा संस्था को सभी को नौकरी दिलाना संभव नहीं है. ऐसे में समुचित कौशल अर्जित कर उचित नौकरी या स्वरोजगार को प्राप्त किया जा सकता है. उनका मानना है कि विद्या सर्वत्र पूज्यते के साथ-साथ आज के समय में विद्या एवं कौशल सर्वत्र पूज्यते अधिक सार्थक और प्रभावी है. युवाओं को स्वरोजगार अपनाकर नौकरी मांगने वालों के बजाय नौकरी देने वाला बनना चाहिए.

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डॉ. डिमरी ने कहा कि यह प्रयास कौशल विकास एवं उद्यमिता में सलाहकार रहने, आईएलओ के साथ इस विषय पर प्रोजेक्ट पर काम करने, कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों को कार्यान्वित करने, उत्तराखंड में आराकोट-अस्कोट की लगभग 1040 किलोमीटर पैदल यात्रा के दौरान ग्रामवासियों तथा युवाओं से वार्ताला और जर्मनी में कौशल विकास के कार्यक्रम के अध्ययन एवं युवाओं को कौशल विकास की ओर प्रेरित करने के लंबे अनुभव पर आधारित है. पुस्तक का मुख्य उद्देश्य युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित करना है. पुस्तक में उद्यमी बनने के अनेक गुरों के अलावा 28 ऐसे प्रेरणादायक प्रसंग हैं, जिन्होंने गरीबी से उठकर आज देश-विदेश में सफलता के परचम लहराए हैं.

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