रुद्रप्रयाग: जनपद के सतेराखाल क्षेत्र के कई गांवों की ईष्ट चंडिका देवी तीस वर्षों के बाद दिवारा यात्रा पर निकली है. लगभग छह महीने तक देवी अनेक गांवों का भ्रमण करेगी और भक्तों को आशीष देगी. देवी की दिवारा यात्रा की सबसे खास बात यह है कि यात्रा में साथ चल रहे लोग नंगे पैर चलेंगे, एक समय भोजन करेंगे और सुबह से सायं तक किसी से बात नहीं करेंगे. छह महीने तक यह क्रम नित्य जारी रहेगा.
केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद केदारघाटी में अनेक धार्मिक यात्राओं का आयोजन होता है. इन दिनों केदारघाटी के अलग-अलग गांवों में पांडव नृत्य व लीलाओं का मंचन जारी है. दूसरी ओर केदारघाटी के सतेराखाल के दर्जनों गांवों की आराध्य चंडिका देवी भी तीस वर्षों के लंबे अंतराल के बाद क्षेत्र भ्रमण पर निकली हैं. वैसे तो यह देवी प्रत्येक 12 वर्ष बाद गांवों का भ्रमण करके भक्तों को आशीष देती हैं, लेकिन इस बार 30 वर्षों बाद देवी जनपद के गांवों का भ्रमण कर रही हैं. मान्यता है कि प्रत्येक 12 वर्षों में देवी के गांव में एक प्रकार का घास उगता है. घास उगने को यह समझा जाता है कि देवी दिवारा यात्रा पर जाना चाहती है. इसके बाद सभी गांवों के लोग एकत्रित होते हैं.
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यदि कोई रोजगार के लिये बाहरी क्षेत्रों में है तो उसे भी इस यात्रा में शामिल होना पड़ता है. जिन लोगों पर देवी अवतरित होती है और जो देवी के निशान को साथ लेकर चलते हैं, उन्हें यात्रा के दौरान कुछ नियमों का पालन भी करना होता है. इन लोगों को सुबह से लेकर सायं तक किसी से बात नहीं करनी होती है. दिनभर इनके मुंह ढ़के रहते हैं. साथ ही एक समय का भोजन करना होता है और जहां भी जाना होता है, नंगे पैर जाना होता है. छह माह तक यह यात्रा चलेगी और इन नियमों का पालन सख्ती से होता है.यात्रा के संरक्षक जयकृत सिंह बिष्ट ने बताया कि छह माह तक देवी अनेक गांवों का भ्रमण करके अपने भक्तों को आशीष देगी. उन्होंने बताया कि जब भी गांव या घर में एक प्रकार का घास उगता है तो देवी संकेत देती है कि उसे यात्रा पर जाना है.