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गौरीकुंड में लगेगा बायोगैस प्लांट, 15 घरों को मिलेगी बिजली-गैस की सुविधा - नमामि गंगे कार्यक्रम

गौरीकुंड में एक बॉयोगैस प्लांट और कम्पोस्ट पिट का निर्माण किया जाएगा. इससे यात्रियों को घोड़े-खच्चरों की लीद से होने वाली गंदगी से निजात मिलेगी. साथ ही 15 घरों को बिजली और गैस आपूर्ति सुविधा मिलेगी.

biogas plant
बायोगैस प्लांट
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Published : Jul 7, 2021, 5:21 PM IST

रुद्रप्रयागः केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के आधार शिविर गौरीकुंड में स्वच्छ गंगा मिशन के तहत विभिन्न निर्माण कार्य होने हैं. जिसमें बॉयोगैस प्लांट और एक कम्पोस्ट पिट का निर्माण भी शामिल है. इन योजनाओं से पैदल पड़ाव पर घोड़े-खच्चरों की लीद से होने वाली गंदगी से तीर्थयात्रियों को निजात मिलेगी. जिसे लेकर नमामि गंगे योजना के मॉनिटरिंग विशेषज्ञ रोहित जयाड़ा ने स्थलीय निरीक्षण किया.

बता दें कि गौरीकुंड में स्वच्छ गंगा मिशन के तहत एक बॉयोगैस प्लांट (Biogas Plant) और जिला प्रशासन की ओर से एक कम्पोस्ट पिट (Compost) का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है. जिसके भूमि चयन को लेकर नमामि गंगे के साथ ही जिला प्रशासन की टीम ने केदारनाथ पड़ाव का निरीक्षण किया. जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार ऊखीमठ जयबीर बधानी और पटवारी सुंदर लाल मौजूद रहे.

ये भी पढ़ेंः केदारनाथ में पसरा सन्नाटा, यात्रा से जुड़े सैकड़ों लोगों पर गहराया आर्थिक संकट

गौरीकुंड-केदारनाथ यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहां से श्रद्धालु अपनी पैदल यात्रा शुरू करते हैं. यात्रा को सुगम करने के लिए गौरीकुंड में तीर्थ यात्री घोड़े-खच्चरों का इस्तेमाल करते हैं. गौरीकुंड में यात्रा के दौरान लगभग छः हजार (6000) घोड़े-खच्चर मौजूद रहते हैं.

इन घोड़े-खच्चरों से होने वाले मल से केदारनाथ यात्रा मार्ग में गंदगी रहती है. कभी-कभार तो लीद में फिसलकर यात्री चोटिल भी हो जाते हैं, जिससे पैदल चलने वाले यात्रियों को काफी समस्या होती है और बारिश के दौरान सारा मल बहकर मंदाकिनी नदी को भी प्रदूषित करता है.

ये भी पढ़ेंः तीरथ को लगा केदारनाथ का श्राप, इसलिए गंवानी पड़ी कुर्सी: तीर्थ पुरोहित

इस समस्या के निस्तारण के लिए गौरीकुंड में स्वच्छ भारत मिशन के प्रोत्साहन अनुदान के ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन मद से स्वीकृत एक बायोगैस प्लांट लगाया जाएगा. जिससे इन घोड़े-खच्चरों के लीद (मल) से 15 लैंप, 15 घरों को बिजली एवं गैस आपूर्ति सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

प्रथम चरण में बायोगैस प्लांट छोटे स्तर पर लगाया जाएगा, जिसके सफल परीक्षण के बाद यह परियोजना दूसरे चरण में बड़े स्तर पर लगाई जाएगी. साथ ही गौरीकुंड में एक कम्पोस्ट पिट का निर्माण भी किया जाना है, जिससे घोड़े-खच्चरों के मल से खाद बनाई जाएगी. इन परियोजनाओं के लागू होने से गौरीकुंड क्षेत्र में गंदगी नहीं होगी और तीर्थयात्रियों को गंदगी से निजात मिल जाएगी.

रुद्रप्रयागः केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के आधार शिविर गौरीकुंड में स्वच्छ गंगा मिशन के तहत विभिन्न निर्माण कार्य होने हैं. जिसमें बॉयोगैस प्लांट और एक कम्पोस्ट पिट का निर्माण भी शामिल है. इन योजनाओं से पैदल पड़ाव पर घोड़े-खच्चरों की लीद से होने वाली गंदगी से तीर्थयात्रियों को निजात मिलेगी. जिसे लेकर नमामि गंगे योजना के मॉनिटरिंग विशेषज्ञ रोहित जयाड़ा ने स्थलीय निरीक्षण किया.

बता दें कि गौरीकुंड में स्वच्छ गंगा मिशन के तहत एक बॉयोगैस प्लांट (Biogas Plant) और जिला प्रशासन की ओर से एक कम्पोस्ट पिट (Compost) का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है. जिसके भूमि चयन को लेकर नमामि गंगे के साथ ही जिला प्रशासन की टीम ने केदारनाथ पड़ाव का निरीक्षण किया. जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार ऊखीमठ जयबीर बधानी और पटवारी सुंदर लाल मौजूद रहे.

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गौरीकुंड-केदारनाथ यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहां से श्रद्धालु अपनी पैदल यात्रा शुरू करते हैं. यात्रा को सुगम करने के लिए गौरीकुंड में तीर्थ यात्री घोड़े-खच्चरों का इस्तेमाल करते हैं. गौरीकुंड में यात्रा के दौरान लगभग छः हजार (6000) घोड़े-खच्चर मौजूद रहते हैं.

इन घोड़े-खच्चरों से होने वाले मल से केदारनाथ यात्रा मार्ग में गंदगी रहती है. कभी-कभार तो लीद में फिसलकर यात्री चोटिल भी हो जाते हैं, जिससे पैदल चलने वाले यात्रियों को काफी समस्या होती है और बारिश के दौरान सारा मल बहकर मंदाकिनी नदी को भी प्रदूषित करता है.

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इस समस्या के निस्तारण के लिए गौरीकुंड में स्वच्छ भारत मिशन के प्रोत्साहन अनुदान के ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन मद से स्वीकृत एक बायोगैस प्लांट लगाया जाएगा. जिससे इन घोड़े-खच्चरों के लीद (मल) से 15 लैंप, 15 घरों को बिजली एवं गैस आपूर्ति सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

प्रथम चरण में बायोगैस प्लांट छोटे स्तर पर लगाया जाएगा, जिसके सफल परीक्षण के बाद यह परियोजना दूसरे चरण में बड़े स्तर पर लगाई जाएगी. साथ ही गौरीकुंड में एक कम्पोस्ट पिट का निर्माण भी किया जाना है, जिससे घोड़े-खच्चरों के मल से खाद बनाई जाएगी. इन परियोजनाओं के लागू होने से गौरीकुंड क्षेत्र में गंदगी नहीं होगी और तीर्थयात्रियों को गंदगी से निजात मिल जाएगी.

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