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केदारनाथ के चौराबाड़ी ताल और वासुकी ताल में आवाजाही पर रोक, हिमस्खलन के बाद लिया फैसला - Kedarnath Dham

रुद्रप्रयाग प्रशासन ने केदारनाथ मंदिर के पीछे चार किमी दूर स्थित चौराबाड़ी ताल और आठ किमी दूर स्थित वासुकी ताल में यात्रियों के जाने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. दरअसल, कुछ दिनों में चौराबाड़ी ग्लेशियर में तीन बार हिमस्खलन होने के बाद प्रशासन ने फैसला लिया है.

Kedarnath
चौराबाड़ी ताल
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Published : Oct 16, 2022, 1:34 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ मंदिर के पीछे चार किमी दूर स्थित चौराबाड़ी ताल (Chorabari Tal)और आठ किमी दूर स्थित वासुकीताल में यात्रियों के जाने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. प्रत्येक दिन यहां प्रशासन की अनुमति के बगैर ही भारी संख्या में यात्री पहुंच रहे थे, पिछले दिनों केदारनाथ मंदिर के पीछे चौराबाड़ी ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन के बाद प्रशासन ने यह फैसला लिया है.

बता दें, 16-17 जून 2013 को चौराबाड़ी ताल के फटने से ही केदारनाथ धाम में भारी तबाही मची थी. इस ताल के फटने से केदारनाथ धाम से लेकर गौरीकुंड तक हजारों लोग अकाल मौत का शिकार हुए थे. आपदा के कुछ वर्षों बाद केदारनाथ यात्रा परवान चढ़ी. इस बार रिकार्ड संख्या में भक्त केदारनाथ पहुंच रहे हैं. लेकिन कई यात्री ऐसे भी हैं, जो प्रशासन की अनुमति के बगैर ही चौराबाड़ी ताल की ओर निकल रहे हैं.

चौराबाड़ी ताल और वासुकी ताल में आवाजाही करने पर रोक

चौराबाड़ी ताल की दूरी केदारनाथ धाम से चार किमी है. कुछ यात्री केदारनाथ धाम से आठ किमी दूर वासुकी ताल भी जा रहे हैं. इन दोनों तालों के चारों ओर बर्फ से ढ़की पहाड़ियां हैं, यहां हर समय मौसम बदलता रहता है और लगातार बर्फबारी होने से अत्यधिक ठंडा भी है. ऐसे में यहां जाने वाले यात्रियों के साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. कुछ दिनों में चौराबाड़ी ग्लेशियर में तीन बार हिमस्खलन हो चुका है.

हालांकि, इस हिमस्खलन में किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है लेकिन प्रशासन सतर्क हो गया है. प्रशासन ने इस हिमस्खलन की जांच कराने का भी शासन से अनुरोध किया है. हिमालयी क्षेत्रों में लगातार बढ़ रही मानव गतिविधियों और बार-बार हो रहे हिमस्खलन को देखते हुए प्रशासन ने चौराबाड़ी ताल और वासुकीताल जाने पर रोक लगा दी है.
पढ़ें- उत्तरकाशी एवलॉन्च: प्रशासन ने लौटाए वायु सेना के हेलीकॉप्टर, जारी रहेगा रेस्क्यू अभियान

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि शासन से ही चौराबाड़ी ताल और वासुकीताल जाने पर रोक लगाई गई है. केदारनाथ में तैनात सभी सुरक्षाकर्मियों को भी सख्त हिदायत दी गई है कि किसी भी यात्री, ट्रैकर और स्थानीय लोगों को चौराबाड़ी ताल के साथ ही वासुकीताल ना जाने दिया जाए.

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ मंदिर के पीछे चार किमी दूर स्थित चौराबाड़ी ताल (Chorabari Tal)और आठ किमी दूर स्थित वासुकीताल में यात्रियों के जाने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. प्रत्येक दिन यहां प्रशासन की अनुमति के बगैर ही भारी संख्या में यात्री पहुंच रहे थे, पिछले दिनों केदारनाथ मंदिर के पीछे चौराबाड़ी ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन के बाद प्रशासन ने यह फैसला लिया है.

बता दें, 16-17 जून 2013 को चौराबाड़ी ताल के फटने से ही केदारनाथ धाम में भारी तबाही मची थी. इस ताल के फटने से केदारनाथ धाम से लेकर गौरीकुंड तक हजारों लोग अकाल मौत का शिकार हुए थे. आपदा के कुछ वर्षों बाद केदारनाथ यात्रा परवान चढ़ी. इस बार रिकार्ड संख्या में भक्त केदारनाथ पहुंच रहे हैं. लेकिन कई यात्री ऐसे भी हैं, जो प्रशासन की अनुमति के बगैर ही चौराबाड़ी ताल की ओर निकल रहे हैं.

चौराबाड़ी ताल और वासुकी ताल में आवाजाही करने पर रोक

चौराबाड़ी ताल की दूरी केदारनाथ धाम से चार किमी है. कुछ यात्री केदारनाथ धाम से आठ किमी दूर वासुकी ताल भी जा रहे हैं. इन दोनों तालों के चारों ओर बर्फ से ढ़की पहाड़ियां हैं, यहां हर समय मौसम बदलता रहता है और लगातार बर्फबारी होने से अत्यधिक ठंडा भी है. ऐसे में यहां जाने वाले यात्रियों के साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. कुछ दिनों में चौराबाड़ी ग्लेशियर में तीन बार हिमस्खलन हो चुका है.

हालांकि, इस हिमस्खलन में किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है लेकिन प्रशासन सतर्क हो गया है. प्रशासन ने इस हिमस्खलन की जांच कराने का भी शासन से अनुरोध किया है. हिमालयी क्षेत्रों में लगातार बढ़ रही मानव गतिविधियों और बार-बार हो रहे हिमस्खलन को देखते हुए प्रशासन ने चौराबाड़ी ताल और वासुकीताल जाने पर रोक लगा दी है.
पढ़ें- उत्तरकाशी एवलॉन्च: प्रशासन ने लौटाए वायु सेना के हेलीकॉप्टर, जारी रहेगा रेस्क्यू अभियान

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि शासन से ही चौराबाड़ी ताल और वासुकीताल जाने पर रोक लगाई गई है. केदारनाथ में तैनात सभी सुरक्षाकर्मियों को भी सख्त हिदायत दी गई है कि किसी भी यात्री, ट्रैकर और स्थानीय लोगों को चौराबाड़ी ताल के साथ ही वासुकीताल ना जाने दिया जाए.

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