ETV Bharat / state

रुद्रप्रयाग: बलवीर राणा स्वरोजगार से कमा रहे लाखों, युवाओं के लिए बने प्रेरणास्रोत - rudraprayag fishing news

रुद्रप्रयाग जनपद की मदमहेश्वर घाटी की न्याय पंचायत मनसूना में बलवीर राणा 10 नाली भूमि में स्वरोजगार अपनाकर क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं. बलवीर राणा ने कोरोना काल में अपने घर लौटकर 10 नाली भूमि में पशुपालन, बागवानी, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन और साग सब्जी का उत्पादन शुरू किया. अब वो सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं.

Rudraprayag
रुद्रप्रयाग
author img

By

Published : Jul 16, 2022, 2:08 PM IST

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी की न्याय पंचायत मनसूना के गैड़ बष्टी निवासी बलवीर राणा युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं. उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बाद बष्टी तोक में लगभग 10 नाली भूमि में पशुपालन, बागवानी, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन (मौन पालन) और साग सब्जी के उत्पादन व्यवसाय को अपनाकर स्वरोजगार तथा आत्मनिर्भर बनने की शानदार पहल की है.

उन्होंने जंगलों में लावारिस भटक रही गायों को सहारा दिया, जो आज उनकी आजीविका का सहारा बनी हुई हैं. भविष्य में बलवीर राणा का सपना बष्टी गांव को होम स्टे की तर्ज पर विकसित करने और बष्टी-देवरिया ताल दो किमी पैदल ट्रैक को विकसित कर स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देना है.

बलवीर राणा स्वरोजगार करके कमा रहे लाखों.

वर्तमान समय में बलवीर राणा प्रति वर्ष मत्स्य पालन से तीन लाख, सब्जी उत्पादन से एक लाख और पशुपालन से भी एक लाख रुपये की शुद्ध आय अर्जित कर रहे हैं. उनसे प्रेरणा लेकर बष्टी तोक के चार परिवारों ने भी बागवानी के तहत कार्य करना शुरू कर दिया है. विगत दो वर्ष पूर्व जहां पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से जूझ रहा था और आम जनमानस के लिए दो जून की रोटी का संकट बना हुआ था, तो बलवीर राणा ने ग्राम पंचायत गैड़ के बष्टी तोक में सबसे पहले पशुपालन व्यवसाय का शुभारंभ किया.

बलवीर राणा जंगलों में आवारा घूम रही गायों के लिए देवदूत बने और गायों को आशियाना देकर खूब परवरिश की. आज इन गायों का दूध बेचकर वे अपनी आजीविका को सुदृढ़ कर रहे हैं. इसके उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा है. बलवीर राणा ने धीरे-धीरे मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से मत्स्य पालन शुरू किया तो आज उन्हें मत्स्य पालन से प्रति वर्ष 3 लाख रुपये की आय अर्जित हो रही है. उनके अनुसार मत्स्य पालन पर प्रति वर्ष डेढ़ लाख रुपये व्यय भी हो जाता है. बलवीर राणा ने 10 नाली भूमि पर 800 सेब, 10 आडू़, 20 माल्टा, 20 केवी, 190 तेजपाती तथा 20 पौधे नाशपाती के रोपित कर बागवानी को भी बढ़ावा दिया है.

उनके अनुसार बागवानी में बहुत मेहनत करनी पड़ती है. पेड़ पौधों की देखभाल सही तरीके से होने पर फलदार पौधों में चार वर्ष में फलों की पैदावार शुरू हो जाती है. प्रति वर्ष राई, आलू, बन्दगोभी, फूलगोभी, बीन्स, बैंगन, टमाटर सहित कई प्रकार के सब्जी उत्पादन से लगभग एक लाख रुपये कमा लेते हैं. दो वर्षों में जीवन पथ पर अग्रसर होने के लिए पशुपालन, कृषि, मत्स्य पालन और उद्यान विभाग ने भरपूर सहयोग किया है.
पढ़ें- हरेला पर्व पर सीएम धामी ने किया पौधारोपण, कांवड़ियों से की पर्यावरण संरक्षण की अपील

बलवीर राणा से प्रेरणा लेकर बष्टी तोक के चार परिवारों ने भी बागवानी शुरू कर दी है. बलवीर राणा का कहना है कि दो जून रोटी के लिए जन्मभूमि से पलायन करने के बजाय अपनी माटी से लगाव होना चाहिए. मेहनत का फल देर सवेर मिल ही जाता है. उनका कहना है कि किसी भी लघु उद्योग को विकसित करने के लिए मेहनत, लगन व निष्ठा अनिवार्य होनी चाहिए तभी कामयाबी मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि अगर बष्टी तोक यातायात से जुड़ता है, तो विपणन की समस्या कम हो सकती है. भविष्य में बष्टी तोक को होम स्टे योजना के तहत विकसित करने और बष्टी-देवरिया ताल पैदल ट्रैक को विकसित करने की सामूहिक पहल की जायेगी.

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी की न्याय पंचायत मनसूना के गैड़ बष्टी निवासी बलवीर राणा युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं. उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बाद बष्टी तोक में लगभग 10 नाली भूमि में पशुपालन, बागवानी, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन (मौन पालन) और साग सब्जी के उत्पादन व्यवसाय को अपनाकर स्वरोजगार तथा आत्मनिर्भर बनने की शानदार पहल की है.

उन्होंने जंगलों में लावारिस भटक रही गायों को सहारा दिया, जो आज उनकी आजीविका का सहारा बनी हुई हैं. भविष्य में बलवीर राणा का सपना बष्टी गांव को होम स्टे की तर्ज पर विकसित करने और बष्टी-देवरिया ताल दो किमी पैदल ट्रैक को विकसित कर स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देना है.

बलवीर राणा स्वरोजगार करके कमा रहे लाखों.

वर्तमान समय में बलवीर राणा प्रति वर्ष मत्स्य पालन से तीन लाख, सब्जी उत्पादन से एक लाख और पशुपालन से भी एक लाख रुपये की शुद्ध आय अर्जित कर रहे हैं. उनसे प्रेरणा लेकर बष्टी तोक के चार परिवारों ने भी बागवानी के तहत कार्य करना शुरू कर दिया है. विगत दो वर्ष पूर्व जहां पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से जूझ रहा था और आम जनमानस के लिए दो जून की रोटी का संकट बना हुआ था, तो बलवीर राणा ने ग्राम पंचायत गैड़ के बष्टी तोक में सबसे पहले पशुपालन व्यवसाय का शुभारंभ किया.

बलवीर राणा जंगलों में आवारा घूम रही गायों के लिए देवदूत बने और गायों को आशियाना देकर खूब परवरिश की. आज इन गायों का दूध बेचकर वे अपनी आजीविका को सुदृढ़ कर रहे हैं. इसके उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा है. बलवीर राणा ने धीरे-धीरे मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से मत्स्य पालन शुरू किया तो आज उन्हें मत्स्य पालन से प्रति वर्ष 3 लाख रुपये की आय अर्जित हो रही है. उनके अनुसार मत्स्य पालन पर प्रति वर्ष डेढ़ लाख रुपये व्यय भी हो जाता है. बलवीर राणा ने 10 नाली भूमि पर 800 सेब, 10 आडू़, 20 माल्टा, 20 केवी, 190 तेजपाती तथा 20 पौधे नाशपाती के रोपित कर बागवानी को भी बढ़ावा दिया है.

उनके अनुसार बागवानी में बहुत मेहनत करनी पड़ती है. पेड़ पौधों की देखभाल सही तरीके से होने पर फलदार पौधों में चार वर्ष में फलों की पैदावार शुरू हो जाती है. प्रति वर्ष राई, आलू, बन्दगोभी, फूलगोभी, बीन्स, बैंगन, टमाटर सहित कई प्रकार के सब्जी उत्पादन से लगभग एक लाख रुपये कमा लेते हैं. दो वर्षों में जीवन पथ पर अग्रसर होने के लिए पशुपालन, कृषि, मत्स्य पालन और उद्यान विभाग ने भरपूर सहयोग किया है.
पढ़ें- हरेला पर्व पर सीएम धामी ने किया पौधारोपण, कांवड़ियों से की पर्यावरण संरक्षण की अपील

बलवीर राणा से प्रेरणा लेकर बष्टी तोक के चार परिवारों ने भी बागवानी शुरू कर दी है. बलवीर राणा का कहना है कि दो जून रोटी के लिए जन्मभूमि से पलायन करने के बजाय अपनी माटी से लगाव होना चाहिए. मेहनत का फल देर सवेर मिल ही जाता है. उनका कहना है कि किसी भी लघु उद्योग को विकसित करने के लिए मेहनत, लगन व निष्ठा अनिवार्य होनी चाहिए तभी कामयाबी मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि अगर बष्टी तोक यातायात से जुड़ता है, तो विपणन की समस्या कम हो सकती है. भविष्य में बष्टी तोक को होम स्टे योजना के तहत विकसित करने और बष्टी-देवरिया ताल पैदल ट्रैक को विकसित करने की सामूहिक पहल की जायेगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.