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निर्जीव में जान फूंक रहे अशोक चौधरी, कलाकृतियों को देखकर रह जाएंगे हैरान

रुद्रप्रयाग के रहने वाले अशोक चौधरी इन दिनों अपने काम से खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. पेशे से वो फेब्रिकेटर का काम करते हैं. साथ ही इस कार्य के लिए युवाओं को भी जागरूक कर रहे हैं.

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गली टैलेंट
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Published : Jan 5, 2020, 12:40 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 12:57 PM IST

रुद्रप्रयाग: कहते हैं किसी भी काम को अगर शिद्दत से किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. इसकी बानगी रुद्रप्रयाग के अशोक चौधरी हैं. जिन्होंने लकड़ियों को अपने हाथों से ऐसे तराशा है, जिसका हर कोई मुरीद है. उनकी कलाकृतियां समाज को प्ररेणा देने का काम भी कर रही हैं.

गली टैलेंट

दरअसल, अशोक चौधरी फेब्रिकेटर का काम करते हैं. उनके बनायी गई कलात्मक आकृतियां दिखने में काफी संजीदा लगती हैं. उन्होंने लकड़ियों से बनी इन आकृतियों में तीर्थाटन और वन्य जीवों से लेकर इंसान के व्यक्तित्व को सजीव चित्रण किया है. उनका मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में कई ऐसे युवा हैं, जो रोजगार को लेकर शहरों का रुख करते हैं. ऐसे युवा अगर अपनी प्रतिभा को पहचान कर उसे पर काम करें तो एक अच्छा मुकाम पा सकते हैं.

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उधर, अशोक चौधरी की बनाई कलाकृतियां काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. लोगों का कहना है कि इन कलाकृतियों को देखकर ऐसा महसूस होता है जैसे उन्होंने जीवन का संदर्भ ही बदल दिया है. वे लकड़ी के हर हिस्से में अपनी कला से जान फूंक देते हैं.

ये भी पढ़ें: बर्फबारी और बारिश के बाद मसूरी का हुआ ये हाल, देखें हकीकत

वहीं, अशोक चौधरी ने बताया कि काॅलेज के दिनों में उन्हें इस काम का शौक था, जो कि धीरे-धीरे परवान चढ़ता गया. वे अब अपने इस शौक को जी रहे हैं. उनका मानना है कि पेड़ों में भी जान होती है. वो भी हर किसी से बात करते हैं. चौधरी का कहना है कि इन कलाकृतियों के जरिये रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है. जिन युवाओं में इस कार्य की रुचि है. वो अपना भविष्य इस काम में लगाकर इसे रोजगार का जरिया भी बना सकते हैं.

रुद्रप्रयाग: कहते हैं किसी भी काम को अगर शिद्दत से किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. इसकी बानगी रुद्रप्रयाग के अशोक चौधरी हैं. जिन्होंने लकड़ियों को अपने हाथों से ऐसे तराशा है, जिसका हर कोई मुरीद है. उनकी कलाकृतियां समाज को प्ररेणा देने का काम भी कर रही हैं.

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दरअसल, अशोक चौधरी फेब्रिकेटर का काम करते हैं. उनके बनायी गई कलात्मक आकृतियां दिखने में काफी संजीदा लगती हैं. उन्होंने लकड़ियों से बनी इन आकृतियों में तीर्थाटन और वन्य जीवों से लेकर इंसान के व्यक्तित्व को सजीव चित्रण किया है. उनका मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में कई ऐसे युवा हैं, जो रोजगार को लेकर शहरों का रुख करते हैं. ऐसे युवा अगर अपनी प्रतिभा को पहचान कर उसे पर काम करें तो एक अच्छा मुकाम पा सकते हैं.

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उधर, अशोक चौधरी की बनाई कलाकृतियां काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. लोगों का कहना है कि इन कलाकृतियों को देखकर ऐसा महसूस होता है जैसे उन्होंने जीवन का संदर्भ ही बदल दिया है. वे लकड़ी के हर हिस्से में अपनी कला से जान फूंक देते हैं.

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वहीं, अशोक चौधरी ने बताया कि काॅलेज के दिनों में उन्हें इस काम का शौक था, जो कि धीरे-धीरे परवान चढ़ता गया. वे अब अपने इस शौक को जी रहे हैं. उनका मानना है कि पेड़ों में भी जान होती है. वो भी हर किसी से बात करते हैं. चौधरी का कहना है कि इन कलाकृतियों के जरिये रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है. जिन युवाओं में इस कार्य की रुचि है. वो अपना भविष्य इस काम में लगाकर इसे रोजगार का जरिया भी बना सकते हैं.

Intro:गली टेलेंट स्टोरी -
लकड़ियों में जान फूंकने का काम कर रहे हैं युवा अशोक चैधरी
उनकी कलात्मक आकृतियों का बना है हर कोई कायल
रुद्रप्रयाग शहर के संगम बाजार में रहते हैं चैधरी
पेशे से फैब्रिकेटर हैं युवा व्यापारी, शौक के तौर पर करते हैं ये काम
रुद्रप्रयाग। कहते हैं किसी काम को अगर मेहनत और लगन से किया जाय तो वह कार्य अवश्य ही मुकाम हासिल करता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है रुद्रप्रयाग नगर क्षेत्र के अशोक चैधरी ने। युवा अशोक ने लकड़ियों में ऐसी कलात्मक आकृतियां उकेरी हैं, जिसका आज हर कोई कायल बना है। दिखने में ये आकृतियां काफी संजीदा लगती है। जैसे उन्होंने इन आकृतियों के माध्यम से समाज एक संदेश देने का काम किया है। उन्हांेने लकड़ियों से बने इन आकृतियों में तीर्थाटन, वन्य जीव से लेकर इंसान के व्यक्तित्व का सजीव चित्रण पेश किया है। उनका मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसे कई युवा हैं जो रोजगार को लेकर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। अगर वे अपनी कलाकारी को यहीं रहकर पेश करें तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। Body:वीओ -1- पेश से फैब्रिकेटर और शौक लकड़ियों में जान फूंकने का। नगर क्षेत्र के संगम बाजार निवासी अशोक चैधरी पेश से फैब्रिकेटर का काम करते हैं। उनका काम यही है, मग रवह अपने शौक के लिए विभिन्न तरह की कलात्मक आकृतियां उकेरकर लकड़ियों में जान फूंकने का काम कर रहे हैं। उनकी इन आकृतियों को देखकर हर कोई मोहित हो जाता है। इन दिनों अशोक चैधरी काफी सुर्खियों में हैं। उनकी आकृतियों को देखने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंच रहे हैं और खरीद भी रहे हैं। उनकी इन कलाकृतियों को देखकर ऐसा महसूस होता है कि अशोक ने अपने जीवन में इसका संदर्भ ही बदल दिया है। उन्हें हर ठूंठ, हर जड़, हर टुकड़े में किसी न किसी कलाकृति का रूप दिखता है। अक्सर देखने को मिलता है कि जिन्दगी की जद्दोजहद में हम अपने हुनर और शौक को पीछे छोड़ जाते हैं, मगर अशोक चैधरी अपने जीवन में काम के साथ ही शौक को भी पूरा कर रहे हैं। सच मायनों में यह बड़ी बात है कि एक व्यक्ति बिखरी पड़ी लकड़ियों को समेटरकर उनको जुबान देने का काम कर रहा है।
अशोक चैधरी का कहना है कि काॅलेज के दिनों में उनका यह शौक था, जो धीरे-धीरे बढ़ता गया और आज वे अपने शौक को पूरा कर रहे हैं। उनका मानना है कि हर किसी में जीवन होता है। जीवन का अर्थ यह नहीं कि वह चले-फिरे। पेड़ों में जीवन होता है, जिसमें जान फंूकने का काम कर रहा हूॅं। उन्होंने कहा कि इन कलाकृतियों के जरिये रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है। कई युवा ऐसे हैं, जो ऐसा शौक रखते हैं। उन्हें सरकारी मदद के जरिये रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है। कहा कि इस रोजगार के जरिये युवा महीनों में हजारों की कमाई कर सकते हैं। इन कलाकृतियों की डिमांड शहरी इलाकों में ज्यादा है और वहां पर इन्हें बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
बाइट - अशोक चैधरी, व्यवसायी Conclusion:
Last Updated : Jan 5, 2020, 12:57 PM IST
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