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कोरोना: खौफ और असुरक्षा के बीच काम करने को मजबूर आशा कार्यकत्रियां, भेजा ज्ञापन - आशा कार्यकत्रियों की मांग

स्वास्थ्य परीक्षण करने को लेकर आशा कार्यकत्रियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. उनका कहना है कि आशा कार्यकत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत गांवों में प्रोत्साहन राशि पर तैनात हैं. आशा न तो सरकारी कर्मचारी है और न ही उसे कोई वेतन मिलता है.

asha workers uttarakhand
आशा कार्यकत्री उत्तराखंड
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Published : Jun 14, 2020, 12:56 PM IST

Updated : Jun 14, 2020, 1:26 PM IST

रुद्रप्रयाग: आशा कार्यकत्रियों ने थर्मामीटर से स्वास्थ्य परीक्षण करने और घर-घर जाकर सर्वे करने में असमर्थता जताई है. उन्होंने इसके लिए वेतनधारी कर्मचारियों को नियुक्त करने की मांग की है. इस संबंध में आशा कार्यकत्रियों ने चिकित्साधिकारी को भी पत्र भेजा है. उनका कहना है कि आशा कार्यकत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत गांवों में प्रोत्साहन राशि पर तैनात हैं. आशा न तो सरकारी कर्मचारी है और न ही उसे कोई वेतन मिलता है.

Asha workers sent a letter to the medical officer
आशा कार्यकत्रियों ने चिकित्साधिकारी को भेजा पत्र

बता दें कि, आशा संगठन जखोली की सचिव बबीता भट्ट, कुसुम बर्तवाल, सरिता नेगी, दीपा देवी, लक्ष्मी देवी, विजया देवी, आशा भंडारी, गीता सेवी, लता देवी ने चिकित्साधिकारी को पत्र भेजा है. उनका आरोप है कि कोरोना जैसी महामारी के दौर में उनकी बिना सहमति के पहले तो उनसे सर्वे कराया गया और अब ग्राम निगरानी समिति के सदस्य के रूम में क्वारंटाइन सेंटरों में निगरानी का काम कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आशाओं के स्वास्थ्य की चिंता किसी को नहीं है. बाहरी राज्यों से घर आए युवाओं के स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है और ऐसे में आशा कार्यकत्री और उसका परिवार संक्रमित होता है, उसकी सुध लेने वाले कोई नहीं है.

ये भी पढ़ें- कोरोना इफेक्ट: राजाजी टाइगर रिजर्व में पसरा सन्नाटा, लगातार हो रहा घाटा

वहीं, जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने बताया कि उनका संगठन आशा कार्यकत्रियों के साथ खड़ा है. कोरोना महामारी में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कार्य करने वाली आशा कार्यकत्रियों की सुरक्षा होनी जरूरी है. लॉकडाउन में आशाएं कोरोना वॉरियर्स बनकर काम कर रही हैं और स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बनी हुई हैं. इसके साथ ही फील्ड में स्वास्थ्य सेवाओं का भी लाभ पहुंचा रही हैं. स्वास्थ्य विभाग की जारी एडवाइजरी तहत कोरोना वायरस के बारे में जन जागरूकता अभियान चला रही हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने न तो इस कार्य के लिए आशाओं को कोई आकस्मिक फंड उपलब्ध कराया है और न ही कोई मानदेय या प्रोत्साहन राशि ही दी जा रही है.

रुद्रप्रयाग: आशा कार्यकत्रियों ने थर्मामीटर से स्वास्थ्य परीक्षण करने और घर-घर जाकर सर्वे करने में असमर्थता जताई है. उन्होंने इसके लिए वेतनधारी कर्मचारियों को नियुक्त करने की मांग की है. इस संबंध में आशा कार्यकत्रियों ने चिकित्साधिकारी को भी पत्र भेजा है. उनका कहना है कि आशा कार्यकत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत गांवों में प्रोत्साहन राशि पर तैनात हैं. आशा न तो सरकारी कर्मचारी है और न ही उसे कोई वेतन मिलता है.

Asha workers sent a letter to the medical officer
आशा कार्यकत्रियों ने चिकित्साधिकारी को भेजा पत्र

बता दें कि, आशा संगठन जखोली की सचिव बबीता भट्ट, कुसुम बर्तवाल, सरिता नेगी, दीपा देवी, लक्ष्मी देवी, विजया देवी, आशा भंडारी, गीता सेवी, लता देवी ने चिकित्साधिकारी को पत्र भेजा है. उनका आरोप है कि कोरोना जैसी महामारी के दौर में उनकी बिना सहमति के पहले तो उनसे सर्वे कराया गया और अब ग्राम निगरानी समिति के सदस्य के रूम में क्वारंटाइन सेंटरों में निगरानी का काम कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आशाओं के स्वास्थ्य की चिंता किसी को नहीं है. बाहरी राज्यों से घर आए युवाओं के स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है और ऐसे में आशा कार्यकत्री और उसका परिवार संक्रमित होता है, उसकी सुध लेने वाले कोई नहीं है.

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वहीं, जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने बताया कि उनका संगठन आशा कार्यकत्रियों के साथ खड़ा है. कोरोना महामारी में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कार्य करने वाली आशा कार्यकत्रियों की सुरक्षा होनी जरूरी है. लॉकडाउन में आशाएं कोरोना वॉरियर्स बनकर काम कर रही हैं और स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बनी हुई हैं. इसके साथ ही फील्ड में स्वास्थ्य सेवाओं का भी लाभ पहुंचा रही हैं. स्वास्थ्य विभाग की जारी एडवाइजरी तहत कोरोना वायरस के बारे में जन जागरूकता अभियान चला रही हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने न तो इस कार्य के लिए आशाओं को कोई आकस्मिक फंड उपलब्ध कराया है और न ही कोई मानदेय या प्रोत्साहन राशि ही दी जा रही है.

Last Updated : Jun 14, 2020, 1:26 PM IST
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