रुद्रप्रयाग: विश्र्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ में रक्षाबंधन से एक दिन पूर्व मध्य रात्रि से शुरू होने वाला अन्नकूट मेले को लेकर देवास्थानम बोर्ड ने तैयारियां पूरी कर ली है. इस मौके पर केदारनाथ स्थित स्वयं-भू लिंग का श्रृंगार करने के साथ ही नए अनाज का भोग लगाया जाता है. जिसे भक्तजनों को दर्शन के बाद बाबा भोले के आशीर्वाद के तौर पर दिया जाता है. वहीं, विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी समेत कई स्थानों पर भी इसी परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है.
हर साल रक्षाबंधन से एक दिन पहले केदारनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला (भतूज) धूमधाम से मनाया जाता है. ये परम्परा सदियों से चली आ रही है. मेले में सबसे पहले केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान शिव के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा-अर्चना समस्त प्रक्रिया संपन्न करते हैं. जिसके बाद नए अनाज झगोंरा, चावल, कौंणी आदि के लेप लगाकर स्वयं भू लिंग का श्रृंगार किया जाता है. इस दौरान भोले बाबा का श्रृंगार का दृश्य अलौकिक होता है. जिसके बाद सुबह चार
बजे बाबा के भक्त श्रृंगार किए गए भोले के स्वयंभू लिंग के दर्शन करते हैं.
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इसके बाद भगवान को लगाये गये अनाज के लेप को यहां से हटाकर किसी साफ स्थान पर विसर्जित किया जाता है. मंदिर समिति के कर्मचारी मंदिर की साफ सफाई करने के बाद ही अगले दिन भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है.
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इस बार कोविड-19 के चलते भक्त भगवान के इस अलौकिक शक्ति के दर्शन नहीं कर पाएंगे. हालांकि, प्रदेश सरकार ने यात्रियों को केदारनाथ जाने की अनुमति दे दी है लेकिन गर्भगृह में अभी भी प्रवेश वर्जित है. जिससे इस बार भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे.