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अगस्त्यमुनि के औरिंग गांव में पुष्कर हुए बीमार तो डंडी कंडी बनी सहारा, 3 किमी पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल

उत्तराखंड के नेता और मंत्री कितने ही दावे कर लें लेकिन दूरस्थ पहाड़ों तक सुविधाएं नहीं पहुंची हैं. आजादी के अमृतकाल में भी पहाड़ के लोग मरीजों को डंडी कंडी और पालकी में बिठाकर मीलों पैदल चल रहे हैं. ऐसा ही वाकया अगस्त्यमुनि के औरिंग गांव से सामने आया है. यहां एक मरीज को लोग 3 किलोमीटर डंडी कंडी के सहारे लेकर मुख्य मार्ग तक लाए.

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रुद्रप्रयाग समाचार
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Published : Jun 27, 2023, 7:00 AM IST

रुद्रप्रयाग: एक ओर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं अगस्त्यमुनि ब्लॉक के दूरस्थ ग्राम औरिंग आज भी मोटर मार्ग होने के बाद भी परेशानियों से जूझ रहा है. आलम यह है कि सड़क कटिंग के बाद स्थिति ऐसी बनी है कि इस पर वाहन चलाना तो दूर, पैदल चलना तक मुश्किल है. जिस कारण बीमार मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाने के लिए पालकी और डंडी का सहारा लेना पड़ता है.

help of Dandi Kandi
मरीज को डंडी कंडी के सहारे ले जाते ग्रामीण

बीमार को 3 किलोमीटर कंधे पर ले जाना पड़ा: ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जब औरिंग गांव के लकवे से पीड़ित पुष्कर सिंह को आवश्यकता पड़ने पर डंडी कंडी पर सुरसाल तक 3 किमी लाना पड़ा. यहां से उन्हें वाहन के जरिये श्रीनगर ले जाया गया. दरअसल, पुष्कर सिंह लकवे से पाीड़ित हैं. उन्हें 10 से 15 दिनों में पेशाब की थैली बदलने श्रीनगर जाना पड़ता है. सोमवार को अचानक उन्हें श्रीनगर जाने की आवश्यकता पड़ी. मगर सड़क मार्ग बन्द होने के कारण उन्हें डंडी पर 3 किमी पैदल लाना पड़ा. वैसे तो कई ग्राम पलायन के कारण खाली पड़े हैं, मगर आजकल गर्मियों की छुट्टियां होने से गावों में प्रवासी घरों की ओर आये हैं.

सड़क का है बुरा हाल: वह तो गनीमत रही कि यहां भी कई युवा आजकल घर आये हुए हैं. ऐसे में उन्होंने शीघ्र ही पुष्कर सिंह को सुरसाल तक पहुंचाकर गाड़ी से श्रीनगर भेजा. कहने को सुरसाल ग्राम से औरिंग के लिए सड़क कट चुकी है, लेकिन इस पर अभी न तो डामर बिछ पाया है और ना ही नाली निर्माण हुआ है. हल्की बरसात होने पर भी कीचड़ के कारण इस सड़क पर चलना दूभर हो जाता है. इधर दिन भर की भारी बरसात से जगह-जगह जलभराव, कीचड़ एवं दलदल के कारण इस सड़क पर आवाजाही ठप्प हो गई है.
ये भी पढ़ें: जौनसार में डंडी कंडी से मरीज को 8 किमी चलकर पहुंचाया अस्पताल, पहाड़ों पर सेवाएं खस्ताहाल

क्या कहते हैं बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष: औरिंग निवासी बाल संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य नरेन्द्र कंडारी ने लोनिवि ऊखीमठ की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि विभाग को कई बार इस सम्बन्ध में शिकायत की गई, परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई. विभाग की यही कार्यशैली रही तो ग्रामीणों को आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

रुद्रप्रयाग: एक ओर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं अगस्त्यमुनि ब्लॉक के दूरस्थ ग्राम औरिंग आज भी मोटर मार्ग होने के बाद भी परेशानियों से जूझ रहा है. आलम यह है कि सड़क कटिंग के बाद स्थिति ऐसी बनी है कि इस पर वाहन चलाना तो दूर, पैदल चलना तक मुश्किल है. जिस कारण बीमार मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाने के लिए पालकी और डंडी का सहारा लेना पड़ता है.

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मरीज को डंडी कंडी के सहारे ले जाते ग्रामीण

बीमार को 3 किलोमीटर कंधे पर ले जाना पड़ा: ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जब औरिंग गांव के लकवे से पीड़ित पुष्कर सिंह को आवश्यकता पड़ने पर डंडी कंडी पर सुरसाल तक 3 किमी लाना पड़ा. यहां से उन्हें वाहन के जरिये श्रीनगर ले जाया गया. दरअसल, पुष्कर सिंह लकवे से पाीड़ित हैं. उन्हें 10 से 15 दिनों में पेशाब की थैली बदलने श्रीनगर जाना पड़ता है. सोमवार को अचानक उन्हें श्रीनगर जाने की आवश्यकता पड़ी. मगर सड़क मार्ग बन्द होने के कारण उन्हें डंडी पर 3 किमी पैदल लाना पड़ा. वैसे तो कई ग्राम पलायन के कारण खाली पड़े हैं, मगर आजकल गर्मियों की छुट्टियां होने से गावों में प्रवासी घरों की ओर आये हैं.

सड़क का है बुरा हाल: वह तो गनीमत रही कि यहां भी कई युवा आजकल घर आये हुए हैं. ऐसे में उन्होंने शीघ्र ही पुष्कर सिंह को सुरसाल तक पहुंचाकर गाड़ी से श्रीनगर भेजा. कहने को सुरसाल ग्राम से औरिंग के लिए सड़क कट चुकी है, लेकिन इस पर अभी न तो डामर बिछ पाया है और ना ही नाली निर्माण हुआ है. हल्की बरसात होने पर भी कीचड़ के कारण इस सड़क पर चलना दूभर हो जाता है. इधर दिन भर की भारी बरसात से जगह-जगह जलभराव, कीचड़ एवं दलदल के कारण इस सड़क पर आवाजाही ठप्प हो गई है.
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क्या कहते हैं बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष: औरिंग निवासी बाल संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य नरेन्द्र कंडारी ने लोनिवि ऊखीमठ की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि विभाग को कई बार इस सम्बन्ध में शिकायत की गई, परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई. विभाग की यही कार्यशैली रही तो ग्रामीणों को आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

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