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केदारनाथः चोराबाड़ी ताल में नहीं बन रही कोई झील, सिक्स सिग्मा का वायरल हो रहा वीडियो फर्जी - फर्जी वीडियो

सिक्स सिग्मा के एक कर्मचारी ने चोराबाड़ी ताल से एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया. इस वीडियो के वायरल होने के बाद हर तरफ से चोराबाड़ी ताल में झील बनने की खबरे आने लगी.

प्रशासन ने वायरल वीडियो को बताया अफवाह.
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Published : Jun 23, 2019, 10:49 PM IST

Updated : Jun 24, 2019, 10:03 PM IST

रुद्रप्रयाग: साल 2013 में आई भीषण त्रासदी का दर्द लोगों के जहन में अभी भी ताजा है. वहीं एक वीडियो ने जिले में हड़कंप मचा दिया है. बीते 15 जून को सिक्स सिग्मा के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज के नेतृत्व में केदारनाथ से टीम चोराबाड़ी पहुंची थी. टीम द्वारा फोटो और वीडियो प्रशासन को भी भेजे गए थे. वहीं झील की हकीकत जानने के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर बीते शनिवार को केदारनाथ से डीडीआरएफ की दो सदस्यीय टीम चोराबाड़ी गई थी.
डीडीआरएफ की टीम ने वहां किसी भी प्रकार की झील होने से इनकार किया है. टीम का कहना है कि जो झील बताई गई है, वह छोटे आकार में है और चोराबाड़ी से ढाई किमी ऊपर ग्लेशियर क्षेत्र में है.

प्रशासन ने वायरल वीडियो को बताया अफवाह.
सिक्स सिग्मा की टीम ने केदारनाथ से 3 किमी ऊपर चोराबाड़ी ताल में बने ग्लेशियर को झील बताकर यात्रियों के मन में डर पैदा कर दिया था. साथ ही चोराबाड़ी का वीडियो बनाकर इसे सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर दिया था.

दरअसल, साल 2013 में आई भीषण त्रासदी का कारण चोराबाड़ी ताल को माना जाता है, इससे लोगों के मन में चोराबाड़ी ताल को लेकर आज भी खौफ कायम है. कुछ दिन पहले सिक्स सिग्मा के एक कर्मचारी ने चोराबाड़ी ताल से एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था. इस वीडियो के वायरल होने के बाद हर तरफ से चोराबाड़ी ताल में झील बनने की खबरे आने लगी.

वायरल वीडियो से बना दहशत का माहौल

बता दें कि सिक्स सिग्मा के कर्मचारी केदारनाथ में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले ही वे भी यहां से चले गए और वीडियो वायरल कर लोगों में डर का माहौल बना दिया.

मिली जानकारी के अनुसार, डॉक्टरों की टीम ने 16 जून को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, पुलिस और जिला प्रशासन की एक टीम के साथ चोराबाड़ी झील का दौरा किया था. जहां उन्होंने देखा कि झील फिर से पानी से घिर गई है.

ये भी पढ़ें: समुद्र में तैरने से बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा

चोराबाड़ी झील के जीवित होने की कोई आशंका नहीं: भू-वैज्ञानिक
रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने झील को लेकर देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी को अलर्ट कर दिया है. वहीं, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भू-वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने कहा कि जिस झील के बारे में उन्हें जानकारी मिली है वो चोराबाड़ी नहीं हो सकती. क्योंकि, चोराबाड़ी झील केदारनाथ से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर है और जिस झील के बारे में बताया जा रहा है वो ग्लेशियर के बीच में बनी हुई, जिसकी दूरी केदारनाथ से 5 किलोमीटर है. उन्होंने कहा कि चोराबाड़ी झील के जीवित होने की कोई आशंका नहीं है.

भू-वैज्ञानिक की टीम करेगी मौके पर जांच
भू-वैज्ञानिक के अनुसार, ये कोई अन्य ग्लेशियर हो सकती है, जिसकी मौके पर जाकर जांच की जाएगी. वैज्ञानिक ने बताया कि जब ग्लेशियर पिघलता है तो जगह-जगह छोटे-छोटे लेक बन जाते हैं. इस साल ग्लेशियरों में ज्यादा लेक बनने के आसार हैं, क्योंकि इस बार बहुत ज्यादा बारिश और बर्फबारी हुई है. इस वजह से अभी ग्लेशियर पिघल रहे हैं और इकट्ठा होकर छोटे-छोटे लेक बना लेते हैं. लेकिन इनसे कोई खतरा नहीं होता.

ये भी पढ़ें: फिर आ सकती है केदरानाथ में 2013 जैसी तबाही, जानें वजह

वीडियो में झील बनने की बात अफवाह: डीएम मंगेश घिल्डियाल
मीडिया में खबर आने के बाद केदारनाथ धाम में चोराबाड़ी ग्लेशियर का निरीक्षण करने के लिए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने डीडीआरएफ की एक टीम को चोराबाड़ी भेजा. डीडीआरएफ टीम ने चोराबाड़ी ग्लेश्यिर पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया. साथ ही वीडियो में झील बनने वाली बात को झूठा करार दिया.

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि कुछ लोगों ने ग्लेशियर को झील का नाम देकर अफवाह फैलाने का काम किया है. जिस स्थान पर चोराबाड़ी ताल है, वहां पर कोई झील नहीं बनी है. संभवत ग्लेशियर की तलहटी पर झील हो सकती है, जिसके सर्वे के लिए जल्द ही वैज्ञानिकों की टीम पहुंचेगी.

रुद्रप्रयाग: साल 2013 में आई भीषण त्रासदी का दर्द लोगों के जहन में अभी भी ताजा है. वहीं एक वीडियो ने जिले में हड़कंप मचा दिया है. बीते 15 जून को सिक्स सिग्मा के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज के नेतृत्व में केदारनाथ से टीम चोराबाड़ी पहुंची थी. टीम द्वारा फोटो और वीडियो प्रशासन को भी भेजे गए थे. वहीं झील की हकीकत जानने के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर बीते शनिवार को केदारनाथ से डीडीआरएफ की दो सदस्यीय टीम चोराबाड़ी गई थी.
डीडीआरएफ की टीम ने वहां किसी भी प्रकार की झील होने से इनकार किया है. टीम का कहना है कि जो झील बताई गई है, वह छोटे आकार में है और चोराबाड़ी से ढाई किमी ऊपर ग्लेशियर क्षेत्र में है.

प्रशासन ने वायरल वीडियो को बताया अफवाह.
सिक्स सिग्मा की टीम ने केदारनाथ से 3 किमी ऊपर चोराबाड़ी ताल में बने ग्लेशियर को झील बताकर यात्रियों के मन में डर पैदा कर दिया था. साथ ही चोराबाड़ी का वीडियो बनाकर इसे सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर दिया था.

दरअसल, साल 2013 में आई भीषण त्रासदी का कारण चोराबाड़ी ताल को माना जाता है, इससे लोगों के मन में चोराबाड़ी ताल को लेकर आज भी खौफ कायम है. कुछ दिन पहले सिक्स सिग्मा के एक कर्मचारी ने चोराबाड़ी ताल से एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था. इस वीडियो के वायरल होने के बाद हर तरफ से चोराबाड़ी ताल में झील बनने की खबरे आने लगी.

वायरल वीडियो से बना दहशत का माहौल

बता दें कि सिक्स सिग्मा के कर्मचारी केदारनाथ में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले ही वे भी यहां से चले गए और वीडियो वायरल कर लोगों में डर का माहौल बना दिया.

मिली जानकारी के अनुसार, डॉक्टरों की टीम ने 16 जून को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, पुलिस और जिला प्रशासन की एक टीम के साथ चोराबाड़ी झील का दौरा किया था. जहां उन्होंने देखा कि झील फिर से पानी से घिर गई है.

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चोराबाड़ी झील के जीवित होने की कोई आशंका नहीं: भू-वैज्ञानिक
रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने झील को लेकर देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी को अलर्ट कर दिया है. वहीं, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भू-वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने कहा कि जिस झील के बारे में उन्हें जानकारी मिली है वो चोराबाड़ी नहीं हो सकती. क्योंकि, चोराबाड़ी झील केदारनाथ से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर है और जिस झील के बारे में बताया जा रहा है वो ग्लेशियर के बीच में बनी हुई, जिसकी दूरी केदारनाथ से 5 किलोमीटर है. उन्होंने कहा कि चोराबाड़ी झील के जीवित होने की कोई आशंका नहीं है.

भू-वैज्ञानिक की टीम करेगी मौके पर जांच
भू-वैज्ञानिक के अनुसार, ये कोई अन्य ग्लेशियर हो सकती है, जिसकी मौके पर जाकर जांच की जाएगी. वैज्ञानिक ने बताया कि जब ग्लेशियर पिघलता है तो जगह-जगह छोटे-छोटे लेक बन जाते हैं. इस साल ग्लेशियरों में ज्यादा लेक बनने के आसार हैं, क्योंकि इस बार बहुत ज्यादा बारिश और बर्फबारी हुई है. इस वजह से अभी ग्लेशियर पिघल रहे हैं और इकट्ठा होकर छोटे-छोटे लेक बना लेते हैं. लेकिन इनसे कोई खतरा नहीं होता.

ये भी पढ़ें: फिर आ सकती है केदरानाथ में 2013 जैसी तबाही, जानें वजह

वीडियो में झील बनने की बात अफवाह: डीएम मंगेश घिल्डियाल
मीडिया में खबर आने के बाद केदारनाथ धाम में चोराबाड़ी ग्लेशियर का निरीक्षण करने के लिए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने डीडीआरएफ की एक टीम को चोराबाड़ी भेजा. डीडीआरएफ टीम ने चोराबाड़ी ग्लेश्यिर पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया. साथ ही वीडियो में झील बनने वाली बात को झूठा करार दिया.

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि कुछ लोगों ने ग्लेशियर को झील का नाम देकर अफवाह फैलाने का काम किया है. जिस स्थान पर चोराबाड़ी ताल है, वहां पर कोई झील नहीं बनी है. संभवत ग्लेशियर की तलहटी पर झील हो सकती है, जिसके सर्वे के लिए जल्द ही वैज्ञानिकों की टीम पहुंचेगी.

चोराबाड़ी ताल में झील बनने का सच आया सामने
जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन टीम को भेजा, मौके पर पहुंचे कर्मचारियों ने बताया सच
चोराबाड़ी में नहीं बनी है कोई झील, जिलाधिकारी को छायाचित्र भेजकर बताई सच्चाई
केदारनाथ में स्वास्थ्य सेवाएं दे रही सिक्स सिग्मा के एक कर्मचारी ने ग्लेशियर को बताया झील
केदारनाथ से जाते-जाते अफवाह भी फैला गया कर्मचारी
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ से तीन किमी ऊपर चोराबाड़ी ताल में बनी झील का सच सामने आ गया है। कुछ लोगों ने चोराबाड़ी में बने ग्लेशियर को झील बताकर यात्रियों के मन में डर पैदा कर दिया। यहां तक कि चोराबाड़ी में वीडीओ बनाकर इसे आग की तरह फैला दिया। जिला प्रशासन की ओर से आपदा प्रबंधन की टीम को मौके पर भेजा गया, जिसके बाद सच्चाई सामने आ गई।
दरअसल, चोराबाड़ी ताल को वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा का कारण माना जाता है। इससे लोगों के मन में चोराबाड़ी ताल को लेकर आज भी खौफ बना हुआ है। कुछ दिन पहले सिक्स सिग्मा के एक कर्मचारी ने चोराबाड़ी ताल से अपना एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया। इस वीडीओ को वट्सअप से लेकर हर गु्रप में देखा गया, जिसके बाद मीडिया में चोराबाड़ी ताल में झील बनने की खबरे आने लगी। सिक्स सिग्मा के कर्मचारी केदारनाथ में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे थे, मगर कुछ दिन पहले ही वे भी यहां से चले गये और जाते-जाते केदारनाथ में डर का माहौल भी पैदा कर गये। सिक्स सिग्मा के कर्मचारी ने चोराबाड़ी ताल से नहीं, बल्कि केदारनाथ से कुछ ऊपर ही जाकर अपना वीडियो बनाया। ग्लेशियर के बगल में खड़े होकर कर्मचारी ने उसे चोराबाड़ी ताल बताकर गलत-गलत सूचना दे दी। वीडीओ में कर्मचारी कह रहा है कि यह झील जो आप देख रहे हैं कि ये चोराबाड़ी ताल है। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा का मुख्य कारण चोराबाड़ी ताल है। फिर से चोराबाड़ी ताल में झील बनने लगी है। कर्मचारी ने इस वीडीओ को सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया और कुछ मीडिया कर्मियों ने इस वीडीओ को सच मानकर आग की तरह फैला दिया, जिसके बाद देश-विदेश से यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियों के मन में डर पैदा हो गया और यात्रा का आंकड़ा एकदम से घटता गया। कुछ मीडिया कर्मियों की गलती के कारण केदारनाथ यात्रा पर भारी असर देखने को मिला। बिना किसी सच्चाई और पुख्ता सबूत के चोराबाड़ी ताल में झील बनने की खबर को प्रकाशित किया गया। मीडिया में खबर आने के बाद प्रशासन भी हरकत में आ गया और वाॅडिया इंस्ट्टयूट से चोराबाड़ी ताल की जांच करने को कहा गया, लेकिन इससे पहले प्रशासन की ओर से आपदा प्रबंधन की टीम को वस्तुस्थिति जानने के लिए चोराबाड़ी भेजा गया। केदारनाथ धाम में चोराबाडी ग्लेशियर की झील को लेकर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने डीडीआरएफ की एक टीम को चोराबाडी भेजा। डीडीआरएफ टीम ने चोराबाडी ग्लेश्यिर पर पहंुचने पर जिलाधिकारी को अवगत कराया कि ग्लेश्यिर में कोई झील नहीं है और टीम की ओर से ग्लेशियर के छायाचित्र भेजे गये। जिलाधिकारी ने बताया कि कुछ लोगों ने ग्लेशियर को झील का नाम देकर अफवाह फैलाने का काम किया है। जिस स्थान पर चोराबाड़ी ताल है, वहां पर कोई झील नहीं बनी है। उन्होंने बताया कि चोराबाडी में कोई झील नहीं है। संभवतः ग्लेश्यिर की तलहटी पर झील हो सकती है, जिसके सर्वे के लिए जल्द ही वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की टीम आ रही है।
चोराबाड़ी ताल, जहां पर झील बनने की अफवाह ने बनाया दहशत का माहौल 
Last Updated : Jun 24, 2019, 10:03 PM IST
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