रुद्रप्रयाग: 16 दिन की केदारनाथ धाम की यात्रा में अभी तक 16 घोड़े-खच्चरों की मौते हुई है. हालांकि, 2022 की यात्रा की तुलना में घोड़े-खच्चरों की मौत का यह आंकड़ा बेहद कम है लेकिन पैदल यात्रा मार्ग पर नियमों की अनदेखी करने वाले 100 से अधिक घोड़े-खच्चर संचालकों के चालान किये गए हैं, जबकि पशु क्रूरता करने वाले तीन घोड़े-खच्चर संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
केदारनाथ धाम की यात्रा में प्रथम चरण में रुद्रप्रयाग जनपद के घोड़े-खच्चर संचालकों को ही अनुमति मिली थी, लेकिन विरोध के बाद अब चमोली व टिहरी जनपद के जिलों के घोड़े-खच्चर संचालकों को भी धाम तक जाने की स्वीकृति मिल गई है. 25 अप्रैल से अभी तक पैदल मार्ग पर संचालित होने वाले 16 घोड़े-खच्चरों की मौते हुई हैं.
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इस बार घोड़े-खच्चरों पर निगरानी रखने के लिये 30 सदस्यीय म्यूल टास्क फोर्स, सात पशु चिकित्सक एवं सात पैरावेट (सहायक) की तैनाती की गई है. इसके अलावा पैदल मार्ग के 18 स्थानों पर घोड़े-खच्चरों के लिए गर्म पानी की व्यवस्था की गई है. अभी तक 8,320 घोड़े-खच्चरों का उपचार किया गया है, जबकि 441 घोड़े-खच्चर अनफिट पाये गए हैं, जिन्हें वापस भेजा गया है.
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि घोड़े-खच्चरों का संचालन इस बार सीमित संख्या में किया जा रहा है. रोटेशन के अनुसार ही घोड़े-खच्चरों की आवाजाही करवाई जा रही है. जगह-जगह घोड़े-खच्चरों के लिये पैदल मार्ग पर गर्म पानी के अलावा पशु चिकित्सकों की तैनाती की गई है. इस बार घोड़े-खच्चरों की मौतें कम हुई हैं. वहीं, नियम विरुद्ध चलने वाले 100 संचालकों के चालान और तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.