पिथौरागढ़: कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन में अन्य राज्यों में फंसे उत्तराखंड प्रवासी अपने घर लौटने को मजबूर हैं. पिथौरागढ़ में 22 युवाओं का दल गुजरात और हरियाणा से लौटा है. ये युवा करीब 10 सालों से होटल इंडस्ट्री से जुड़े थे. ऐसे में घर वापसी के बाद इन युवाओं के सामने बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है.
उत्तराखंड में हर रोज सैकड़ों की सख्या में घर वापसी कर रहे युवाओं के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गयी है. दशकों से दूसरे प्रदेशों में काम कर रहे ये युवा अब बेरोजगारी का सामना करने को मजबूर हैं. दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले युवाओं की परेशानी तो बढ़ ही रही हैं वहीं, इनके परिवार भी अब आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं.
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पिथौरागढ़ की मुनस्यारी तहसील का सबसे दुर्गम गांव नामिक है, जहां पहुंचने के लिए आज भी 30 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है. 21वीं सदी में भी ये गांव सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार और बिजली से महरूम है. ऐसे में अन्य राज्यों से लौटे युवा अब सरकार से मदद की आस लगाये बैठे हैं.
पूर्व में हरीश रावत सरकार से लेकर वर्तमान त्रिवेंद्र सरकार रिवर्स पलायन का नारा देती रही है. लेकिन, आजादी के 7 दशक बाद भी विकास की गंगा नामिक गांव को नहीं खोज पाई है. कोरोना महामारी ने सरकार के मिशन रिवर्स पलायन पर मुहर तो लगा दी. वहीं, इन युवाओं की मुश्किलें अब पहाड़ जैसी दिख रही है.