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पिथौरागढ़: बर्फबारी के बीच सक्रिय हुए शिकारी, निशाने पर दुर्लभ वन्यजीव

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Published : Dec 10, 2019, 5:42 PM IST

हर साल सर्दियों में भारी बर्फबारी से बचने के लिए हिमालयी जीव निचले इलाकों को आने लगते हैं. ये समय शिकारियों के लिए सबसे अधिक मुफीद होता है.

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पिथौरागढ़

पिथौरागढ़: सर्दियों शुरू होते ही उच्च हिमालयी इलाकों में वन्य जीव तस्कर सक्रिय हो गए है. दुर्लभ वन्यजीवों को अपने जाल में फंसाने के लिए शिकारी पंचाचूली की तलहटी वाले जंगलों को आग के हवाले करने में जुटे हैं. आग लगने से पूरा हिमालयी इलाका धुंध से पट गया है. तस्करों के निशाने पर राजकीय पशु कस्तूरी मृग, राजकीय पक्षी मोनाल, स्नो लैपर्ड और हिमालयन भालू सबसे अधिक है.

बर्फबारी के बाद सक्रिय हुए शिकारी

हर साल सर्दियों में भारी बर्फबारी से बचने के लिए हिमालयी जीव निचले इलाकों को आने लगते हैं. ये समय शिकारियों के लिए सबसे अधिक मुफीद होता है. हालांकि, वन विभाग भी शिकारियों पर लगाम लगाने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है. वन विभाग का कहना है कि आग पर काबू पाने के लिए एक टीम रवाना कर दी गई है. साथ ही तस्करों को पकड़ने के लिए स्थानीय लोगों से मदद की अपील की गई है.

पढ़ें- उत्तराखंड में बदलेगा मौसम का मिजाज, कई इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना

पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र के जंगल पिछले तीनों दिनों से आग से धधक रहे हैं. वन्य जीव तस्करों द्वारा पंचाचूली की तलहटी में आग लगाई गई है. आग लगने के कारण जहां हज़ारों हेक्टेयर की वन सम्पदा जलकर खाक हो गयी है. वहीं, संरक्षित प्रजाति के जंगली जानवरों को भी नुकसान पहुंचा है.

सर्दियों के मौसम में हर साल पंचाचूली की तलहटी में आगजनी की घटनाएं होती है. बावजूद इसके वन विभाग इन शिकारियों के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाया है. जिसके चलते हर साल करोड़ों रुपये की वन सम्पदा के साथ ही कई जंगली जानवर भी आग की भेंट चढ़ जाते है. यही नहीं हिमालय की तलहटी में आये दिन लग रही आग की घटनाओं के कारण पंचाचूली की चोटियों में बर्फ का लेवल साल दर साल कम हो रहा है.

पिथौरागढ़: सर्दियों शुरू होते ही उच्च हिमालयी इलाकों में वन्य जीव तस्कर सक्रिय हो गए है. दुर्लभ वन्यजीवों को अपने जाल में फंसाने के लिए शिकारी पंचाचूली की तलहटी वाले जंगलों को आग के हवाले करने में जुटे हैं. आग लगने से पूरा हिमालयी इलाका धुंध से पट गया है. तस्करों के निशाने पर राजकीय पशु कस्तूरी मृग, राजकीय पक्षी मोनाल, स्नो लैपर्ड और हिमालयन भालू सबसे अधिक है.

बर्फबारी के बाद सक्रिय हुए शिकारी

हर साल सर्दियों में भारी बर्फबारी से बचने के लिए हिमालयी जीव निचले इलाकों को आने लगते हैं. ये समय शिकारियों के लिए सबसे अधिक मुफीद होता है. हालांकि, वन विभाग भी शिकारियों पर लगाम लगाने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है. वन विभाग का कहना है कि आग पर काबू पाने के लिए एक टीम रवाना कर दी गई है. साथ ही तस्करों को पकड़ने के लिए स्थानीय लोगों से मदद की अपील की गई है.

पढ़ें- उत्तराखंड में बदलेगा मौसम का मिजाज, कई इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना

पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र के जंगल पिछले तीनों दिनों से आग से धधक रहे हैं. वन्य जीव तस्करों द्वारा पंचाचूली की तलहटी में आग लगाई गई है. आग लगने के कारण जहां हज़ारों हेक्टेयर की वन सम्पदा जलकर खाक हो गयी है. वहीं, संरक्षित प्रजाति के जंगली जानवरों को भी नुकसान पहुंचा है.

सर्दियों के मौसम में हर साल पंचाचूली की तलहटी में आगजनी की घटनाएं होती है. बावजूद इसके वन विभाग इन शिकारियों के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाया है. जिसके चलते हर साल करोड़ों रुपये की वन सम्पदा के साथ ही कई जंगली जानवर भी आग की भेंट चढ़ जाते है. यही नहीं हिमालय की तलहटी में आये दिन लग रही आग की घटनाओं के कारण पंचाचूली की चोटियों में बर्फ का लेवल साल दर साल कम हो रहा है.

Intro:पिथौरागढ़: जाड़ों का सीजन शुरू होने के साथ ही उच्च हिमालयी इलाकों में वन्य जीव तस्कर सक्रिय हो गए हैं। दुर्लभ वन्यजीवों को अपने जाल में फंसाने के लिए शिकारी पंचाचूली की तलहटी वाले जंगलों को आग के हवाले करने में जुटे हैं। आग लगने से पूरा हिमालयी इलाका धुंध से पट गया है। तस्करों के निशाने पर राजकीय पशु कस्तूरी मृग, राजकीय पक्षी मोनाल, स्नो लैपर्ड और हिमालयन भालू सबसे अधिक हैं। भारी बर्फबारी से बचने के लिए इन दिनों हिमालयी जीव निचले इलाकों को आने लगते हैं। ऐसे में ये वक्त शिकारियों के लिए सबसे अधिक मुफीद होता है। वहीं वन विभाग का कहना है कि आग पर काबू पाने के लिए एक टीम को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है। साथ ही तस्करों को पकड़ने के लिए स्थानीय लोगों से मदद की अपील की है। Body:पिथौरागढ़ ज़िले के उच्च हिमालयी क्षेत्र के जंगल पिछले 3 दिनों से आग से धधक रहे है। वन्य जीव तस्करों द्वारा पंचाचूली की तलहटी में आग लगाई गई है। आग लगने के कारण जहां हज़ारो हेक्टेयर की वन सम्पदा जलकर खाक हो गयी है। वही संरक्षित प्रजाति के जंगली जानवरो को भी नुकसान पहुंचा है। सर्दियों के मौसम में हर साल पंचाचूली की तलहटी में आग लगने की घटनाएं हो रही है। बावजूद उसके वन विभाग इन शिकारियों से निपटने के लिए आज तक कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाया है। जिसके चलते हर साल करोडो रूपये की वन सम्पदा के साथ ही कई जंगली जानवर भी आग की भेंट चढ़ जाते है। यही नही हिमालय की तलहटी में आये दिन लग रही आग की घटनाओं के कारण पंचाचुली की चोटियों में बर्फ का लेवल साल दर साल कम हो रहा है।

Byte: विनय भार्गव , डीएफओ पिथौरागढ़
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