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DIGITAL INDIA मुहिम को लग रहा पलीता, नेपाल के नेटवर्क के सहारे भारत से सटे गांव - नेपाल के सिम कार्ड

पिथौरागढ़ जिले के नेपाल सीमा से सटे कई गांवों में संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है. जिसके चलते हजारों ग्रामीणों के साथ-साथ बॉर्डर पर तैनात सेना के जवान और सरकारी कर्मचारी भी नेपाल की टेलीकॉम सर्विस पर निर्भर हैं.

Communication Service News in Doda-Pipli Area
यहां संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है
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Published : Jan 11, 2020, 5:14 PM IST

Updated : Jan 11, 2020, 7:28 PM IST

पिथौरागढ़: आज के युग में जहां भारतवर्ष में डिजिटल क्रांति चल रही है. वहीं, पिथौरागढ़ के डोडा-पीपली क्षेत्र के हजारों लोग अपने ही देश की नेटवर्क सेवा से वंचित हैं. जिसके चलते यहां के लोग नेपाल की टेलीकॉम सर्विस पर निर्भर है. हालांकि, पड़ोसी मुल्क नेपाल में ऊंचाई वाले स्थानों पर बसे नेपाली लोग भारतीय मोबाइल नेटवर्क का पूरा लाभ उठा रहे हैं. जबकि, डोडा-पीपली क्षेत्रवासी इन इलाकों को संचार व्यवस्थओं से जोड़ने के लिए लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं लेकिन हालात आज भी जस के तस ही बने हुए हैं.

डोडा-पीपली क्षेत्र के हजारों लोग अपने ही देश की नेटवर्क सेवा से वंचित हैं.

बता दें कि पिथौरागढ़ जिले के नेपाल सीमा से सटे कई गांवों में संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है. लेकिन नेपाली टेलीकॉम कम्पनियां यहां जमकर फलफूल रही हैं. पीपली, झूलाघाट, जौलजीबी, तवाघाट, मांगती, मालपा, बूंदी, नाभीढांग समेत नेपाल से सटे दर्जनों गांवों में भारतीय संचार कम्पनियों के नेटवर्क अपनी पहुंच नहीं बना पाए हैं, जिसके चलते इन गांवों की 25 हजार से अधिक की आबादी नेपाली सिम कार्ड का प्रयोग करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: देहरादून: लंबे समय से 'गायब' चल रहे डॉक्टरों पर गाज गिरनी तय, CMO ने जारी किए नोटिस

आलम ये है कि बॉर्डर पर तैनात सेना के जवान और सरकारी कर्मचारी भी अपने परिवार का हालचाल जानने के लिए नेपाली सिम कार्ड पर ही निर्भर हैं. सीमांत क्षेत्रों में संचार के मामले में भारत नेपाल से ज्यादा पिछड़ा हुआ है. वहीं, इस गंभीर मुद्दे पर जब हमने जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंड़े से बात की तो उन्होंने बताया कि मुनस्यारी और धारचूला बेल्ट पर जितने भी मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाता कंपनियां हैं उनको पहले भी निर्देश दिया गया है कि इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा नेटवर्क टॉवर की स्थापना की जाए. इसके अलावा ऐसे क्षेत्र जहां मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचना असंभव है वहां रेडियो और सेटेलाइट्स के जरिये सूचना व्यवस्था ठीक करने का प्रयास किया गया है.

फिलहाल जो भी प्रयास जारी हों लेकिन भारतीयों द्वारा नेपाल के सिम का प्रयोग करने से उपभोक्ताओं की जेब तो कट ही रही है, साथ ही भारत का राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. यही नहीं, सामरिक नजरिये से भी ये मामला गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है.

पिथौरागढ़: आज के युग में जहां भारतवर्ष में डिजिटल क्रांति चल रही है. वहीं, पिथौरागढ़ के डोडा-पीपली क्षेत्र के हजारों लोग अपने ही देश की नेटवर्क सेवा से वंचित हैं. जिसके चलते यहां के लोग नेपाल की टेलीकॉम सर्विस पर निर्भर है. हालांकि, पड़ोसी मुल्क नेपाल में ऊंचाई वाले स्थानों पर बसे नेपाली लोग भारतीय मोबाइल नेटवर्क का पूरा लाभ उठा रहे हैं. जबकि, डोडा-पीपली क्षेत्रवासी इन इलाकों को संचार व्यवस्थओं से जोड़ने के लिए लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं लेकिन हालात आज भी जस के तस ही बने हुए हैं.

डोडा-पीपली क्षेत्र के हजारों लोग अपने ही देश की नेटवर्क सेवा से वंचित हैं.

बता दें कि पिथौरागढ़ जिले के नेपाल सीमा से सटे कई गांवों में संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है. लेकिन नेपाली टेलीकॉम कम्पनियां यहां जमकर फलफूल रही हैं. पीपली, झूलाघाट, जौलजीबी, तवाघाट, मांगती, मालपा, बूंदी, नाभीढांग समेत नेपाल से सटे दर्जनों गांवों में भारतीय संचार कम्पनियों के नेटवर्क अपनी पहुंच नहीं बना पाए हैं, जिसके चलते इन गांवों की 25 हजार से अधिक की आबादी नेपाली सिम कार्ड का प्रयोग करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: देहरादून: लंबे समय से 'गायब' चल रहे डॉक्टरों पर गाज गिरनी तय, CMO ने जारी किए नोटिस

आलम ये है कि बॉर्डर पर तैनात सेना के जवान और सरकारी कर्मचारी भी अपने परिवार का हालचाल जानने के लिए नेपाली सिम कार्ड पर ही निर्भर हैं. सीमांत क्षेत्रों में संचार के मामले में भारत नेपाल से ज्यादा पिछड़ा हुआ है. वहीं, इस गंभीर मुद्दे पर जब हमने जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंड़े से बात की तो उन्होंने बताया कि मुनस्यारी और धारचूला बेल्ट पर जितने भी मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाता कंपनियां हैं उनको पहले भी निर्देश दिया गया है कि इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा नेटवर्क टॉवर की स्थापना की जाए. इसके अलावा ऐसे क्षेत्र जहां मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचना असंभव है वहां रेडियो और सेटेलाइट्स के जरिये सूचना व्यवस्था ठीक करने का प्रयास किया गया है.

फिलहाल जो भी प्रयास जारी हों लेकिन भारतीयों द्वारा नेपाल के सिम का प्रयोग करने से उपभोक्ताओं की जेब तो कट ही रही है, साथ ही भारत का राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. यही नहीं, सामरिक नजरिये से भी ये मामला गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है.

Intro:आज के डिजिटल युग में भी नेपाल सीमा से सटे घाटी वाले क्षेत्रों में लोग संचार सुविधा से पूरी तरह महरूम है। अगर बात करें काली नदी घाटी से लगे डोडा-पीपली क्षेत्र की तो यहां हजारों की आबादी नेपाली टेलीकॉम सर्विस पर निर्भर है। अपने देश मे मोबाइल सेवा नही होने से यहां लोग आईएसडी की दरों में बात करने को मजबूर है। जबकि पड़ोसी मुल्क नेपाल में लोग ऊंचाई वाले स्थानों पर बसे होने के कारण भारतीय मोबाइल नेटवर्क का पूरा लाभ उठा रहे है। लोग लम्बे समय से काली नदी घाटी से लगे क्षेत्रों को संचार से जोड़ने की मांग करते आ रहे है मगर हालात आज भी जस के तस बने हुए है।


Body:पिथौरागढ़ जिले के नेपाल सीमा से सटे कई गांवों में संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है। मगर नेपाली टेलीकॉम कम्पनियां यहां जमकर फलफूल रही है। पीपली, झूलाघाट, जौलजीबी, तवाघाट, मांगती, मालपा, बूंदी, नाभीढांग समेत नेपाल से सटे दर्जनों गांवों में भारतीय संचार कम्पनियों के नेटवर्क ढूंढने पर भी नही मिलते। जिस कारण इन गांवों की 25 हज़ार से अधिक आबादी नेपाली सिम का प्रयोग करने को मजबूर है। आलम ये है कि बॉर्डर पर तैनात सेना के जवान और सरकारी कर्मचारी भी अपने परिवार का हालचाल जानने के लिए नेपाली सिम पर ही निर्भर है। सीमांत क्षेत्रों में संचार के मामले में भारत नेपाल से ज्यादा पिछड़ा हुआ है। भारतीयों द्वारा नेपाली सिम का प्रयोग करने से उपभोक्ताओं की जेब तो कट ही रही है साथ ही भारत का पैसा नेपाल जा रहा है। यही नही सामरिक नजरिये से भी ये मामला गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। Byte1: नरेंद्र ऐरी,स्थानीय Byte2: परमानंद गिरी, नेपाली नागरिक byte3: विजय कुमार जोगदंडे,जिलाधिकारी,पिथौरागढ़


Conclusion:
Last Updated : Jan 11, 2020, 7:28 PM IST
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