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पिथौरागढ़: प्राचीन रंग भाषा को संरक्षित कर रहा रं समुदाय, प्रधानमंत्री ने की सराहना

धारचूला में निवास करने वाली रं जाति ने अपनी विलुप्त हो रही प्राचीन रङ्गल्व भाषा को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है. रं जाति की इस मुहिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खूब सराहा है. साथ ही रंग समुदाय की इस प्रेरणा दायक कहानी को उन्होंने पूरी दुनिया के लिए मिशाल के तौर पर बताया और सभी से मात्र भाषा के संरक्षण करने की अपील की.

रं समुदाय के लोग.
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Published : Nov 24, 2019, 7:30 PM IST

Updated : Nov 25, 2019, 9:37 AM IST

पिथौरागढ़: धारचूला में निवास करने वाली रं जाति ने अपनी विलुप्त हो रही प्राचीन रङ्गल्व भाषा को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है. रं जाति की इस मुहिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खूब सराहा है. रविवार को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ के धारचूला में रहने वाली रं जाति समुदाय अपनी सदियों पुरानी भाषा को संरक्षित करने के प्रयास में जुटी है. ये खबर सुनकर उन्हें काफी संतोष हुआ. प्रधानमंत्री के इस संबोधन को सुनकर रंजन समुदाय के लोगों में खासा उत्साह बना हुआ है.

रंग भाषा को संरक्षित करने पर प्रधानमंत्री ने रं समुदाय की सराहना की.

बता दें कि पिथौरागढ़ जिले के दारमा, व्यास और चौदांस घाटी में रहने वाले रं समुदाय के लोग रामायण और महाभारत काल से ही अपनी विशेष भाषा को बचाये हुए हैं. इस भाषा को स्थानीय लोग रंल्वो भी कहते हैं. बहरहाल, इस प्राचीन रङ्गल्व भाषा की कोई लिपि नहीं है. यह सिर्फ बोल-चाल के जरिए ही चलन में है.

रं समुदाय के लोग इस प्राचीन लोकभाषा को सोशल मीडिया के जरिये देवनागरी लिपि में संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. जिसके चलते ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप में भी लोग रंल्वो भाषा से रुबरु हो सकेंगे. वहीं, रं समुदाय के लोग लंबे समय से व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये युवा पीढ़ी को अपनी प्राचीन भाषा से जोड़ रहे हैं. इन ग्रुपों के माध्यम से रं जाति छंदों, गीतों और कहानियों का प्रचार-प्रसार कर रही है.

ये भी पढ़े: गोल्डन कार्ड बनाने का सुनहरा मौका, एक माह और चलेगा अभियान

वहीं, रंल्वो भाषा की अपनी कोई लिपि ना होने के चलते इसके प्रयोग को लेकर दो मत सामने आ रहे हैं. जिसके चलते रं समुदाय के बुजुर्ग इसे देवनागरी लिपि में तैयार करने पर जोर दे रहे हैं. ऐसे में इस समुदाव से जुड़े युवा इसे रोमन लिपि में संरक्षित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में रं समुदाय की भाषा रंल्वो के बारे में चर्चा करने से समुदाय के लोग काफी खुश है और उन्हें इस भाषा के संरक्षण की एक नई उम्मीद दिखाई दे रही है.

पिथौरागढ़: धारचूला में निवास करने वाली रं जाति ने अपनी विलुप्त हो रही प्राचीन रङ्गल्व भाषा को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है. रं जाति की इस मुहिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खूब सराहा है. रविवार को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ के धारचूला में रहने वाली रं जाति समुदाय अपनी सदियों पुरानी भाषा को संरक्षित करने के प्रयास में जुटी है. ये खबर सुनकर उन्हें काफी संतोष हुआ. प्रधानमंत्री के इस संबोधन को सुनकर रंजन समुदाय के लोगों में खासा उत्साह बना हुआ है.

रंग भाषा को संरक्षित करने पर प्रधानमंत्री ने रं समुदाय की सराहना की.

बता दें कि पिथौरागढ़ जिले के दारमा, व्यास और चौदांस घाटी में रहने वाले रं समुदाय के लोग रामायण और महाभारत काल से ही अपनी विशेष भाषा को बचाये हुए हैं. इस भाषा को स्थानीय लोग रंल्वो भी कहते हैं. बहरहाल, इस प्राचीन रङ्गल्व भाषा की कोई लिपि नहीं है. यह सिर्फ बोल-चाल के जरिए ही चलन में है.

रं समुदाय के लोग इस प्राचीन लोकभाषा को सोशल मीडिया के जरिये देवनागरी लिपि में संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. जिसके चलते ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप में भी लोग रंल्वो भाषा से रुबरु हो सकेंगे. वहीं, रं समुदाय के लोग लंबे समय से व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये युवा पीढ़ी को अपनी प्राचीन भाषा से जोड़ रहे हैं. इन ग्रुपों के माध्यम से रं जाति छंदों, गीतों और कहानियों का प्रचार-प्रसार कर रही है.

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वहीं, रंल्वो भाषा की अपनी कोई लिपि ना होने के चलते इसके प्रयोग को लेकर दो मत सामने आ रहे हैं. जिसके चलते रं समुदाय के बुजुर्ग इसे देवनागरी लिपि में तैयार करने पर जोर दे रहे हैं. ऐसे में इस समुदाव से जुड़े युवा इसे रोमन लिपि में संरक्षित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में रं समुदाय की भाषा रंल्वो के बारे में चर्चा करने से समुदाय के लोग काफी खुश है और उन्हें इस भाषा के संरक्षण की एक नई उम्मीद दिखाई दे रही है.

Intro:पिथौरागढ़: धारचूला में निवास करने वाली रं जनजाति ने अपनी विलुप्त हो रही प्राचीन रं ल्वो भाषा को संरक्षित करने का बेड़ा उठाया है। रं जनजाति की इस मुहीम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खूब सराहा है। आज (रविवार) हुये मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ के धारचूला में रहने वाला रं समुदाय अपनी सदियों पुरानी भाषा को संरक्षित करने के प्रयास में जुटा है ये खबर सुनकर उन्हें काफी संतोष हुआ। वहीं प्रधानमंत्री के संबोधन को सुनकर रं समुदाय के लोगो मे खासा उत्साह बना हुआ है।

Body:पिथौरागढ़ जिले की दारमा, व्यास और चौदांस घाटी में रहने वाले रं समुदाय के लोग रामायण और महाभारत काल से ही अपनी विशेष भाषा को बचाये हुए है। इस भाषा को स्थानीय लोग रं ल्वो भी कहते हैं। बहरहाल इस प्राचीन रं ल्वो भाषा की कोई लिपि नहीं है, यह सिर्फ बोलने के जरिए ही चलन में है। रं समुदाय के लोग इस प्राचीन लोकभाषा को सोशल मीडिया के जरिये देवनागरी लिपि में संरक्षित करने का प्रयास कर रहे है। अब ट्विटर, फेसबूक और व्हाट्सएप में भी लोग रं ल्वो भाषा से रुबरु हो सकेंगे। रं समुदाय के लोग लंबे समय से व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये युवा पीढ़ी को अपनी प्राचीन भाषा से जोड़ रहे है। ग्रुप के माध्यम से रं छंदों, गीतों और कहानियों का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। धीरे-धीरे अब इस भाषा का प्रयोग ट्विटर और फेसबूक में भी शुरू हो गया है। रं ल्वो भाषा की अपनी कोई लिपि ना होने के कारण इसके प्रयोग को लेकर दो मत सामने आ रहे है। रं समुदाय के बुजुर्ग लोग इसे देवनागरी लिपि में तैयार करने पर जोर दे रहे है वहीं युवा लोग इसे रोमन में लिखने की मांग कर रहे है। बहरहाल दोनों ही तरीकों से इसका किया जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में रं समुदाय की भाषा रं ल्वो के बारे में चर्चा करने से समुदाय के लोग काफी खुश है और उन्हें इस भाषा के संरक्षण की एक नई उम्मीद दिखाई दी है ।

Byte: उर्मिला गुंज्याल, रं म्यूजियम संचालक
Byte: मोहन सिंह ततवाल, सचिव रं कल्याण संस्था (नीली टोपी में)
Byte: राम सिंह ह्यांकी, महासचिव रं कल्याण संस्था।(सफेद टोपी में)Conclusion:
Last Updated : Nov 25, 2019, 9:37 AM IST
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