पिथौरागढ़: पूरे देश के साथ ही सीमांत जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ में भी रामलीला का मंचन किया जा रहा है. टकाना की रामलीला का आगाज यहां के कलेक्ट्रेट कर्मचारियों ने 1960 में किया था. वहीं जिला बनने के साथ ही टकाना की रामलीला का मंचन शुरू हुआ, जो बदस्तूर जारी है. रामलीला देखने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
पिथौरागढ़ जिला कला, संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है. जिसकी झलक टकाना की रामलीला में देखने को मिलती है. जो आज भी शास्त्रीय संगीत के सुरों को खुद में समेटे हुए है. यहां मंच पर कलाकारों का अभिनय किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देता है. 1960 में पिथौरागढ़ जिला बनने के बाद से यहां रामलीला का मंचन बदस्तूर जारी है. सोरघाटी की ये रामलीला जितनी पुरानी है उतने ही यहां के कलाकार भी मझे हुए हैं.
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राम के जन्म से रावण वध तक की पूरी रामलीला लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहती है. कलाकारों का बेहतरीन अभिनय जहां दर्शकों के लिए मनोरंजन का जरिया है. वहीं स्थानीय कलाकारों को रामलीला के जरिये एकमात्र मंच भी मिलता है. संचार क्रांति के इस दौर में भले ही लोगों के पास मनोरंजन के साधनों की कमी नहीं है. लेकिन पहाड़ों में आज भी रामलीला देखने के लिए लोग दूर-दूर से लोग खिंचे चले आते हैं. वहीं रामलीला में देवभूमि की संस्कृति और विरासत की झलक देखने को मिलती है. जिसको लोग आज भी जीवंत रखे हुए हैं.