ETV Bharat / state

New Rules of Marriage: रं समाज का क्रांतिकारी फैसला, 1 रुपए के शगुन में होगी शादी - उत्तराखंड का रं समुदाय

उत्तराखंड के अति दुर्गम जिले पिथौरागढ़ में रं समुदाय के लोग रहते हैं. बर्फीले क्षेत्र में रहने वाले रं समुदाय के प्रयास की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात में कर चुके हैं. रं समुदाय ने अब एक और प्रेरक काम किया है. रं समाज की एक प्रतिनिधि संस्था ने सभी घाटियों में होने वाली शादियों में आधुनिकता के नाम पर आ रही बुराइयों और फिजूलखर्ची को दूर करने के लिए कुछ नियम बनाए हैं.

Ran Community News
रं समुदाय समाचार
author img

By

Published : Jan 20, 2023, 2:13 PM IST

पिथौरागढ़: रं समुदाय के लोगों ले अपनी बोली और भाषा को बचाए रखने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किया है. अति दुर्गम क्षेत्र होने के बाद भी जिस तरह से उन्‍होंने अपनी पहचान को बचाए रखने का प्रयास किया निश्चित तौर पर वह अनुकरणीय है. इस समुदाय के लोग न सिर्फ अपनी कला, संस्‍कृति और बोली को संजोए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं, बल्कि इनका परस्‍पर सहयोग और सामाजिक सहभागिता हर समाज के लिए प्रेरणादायक है. इतना ही नहीं ये देश की सीमा पर तैनात एक तरह से अवैतनिक प्रहरी हैं, जो भारत सरकार के लिए आंख-कान की तरह काम करते हैं.

कुमाऊं में है रं समुदाय की बसाहत: अनेक शताब्दियों से कुमाऊं की नेपाल और तिब्बत सीमा से लगी इस धारचूला तहसील की व्यांस, चौंदास और दारमा घाटियों में रं समाज की बसासत है. परंपरागत रूप से व्यापार करने वाला यह समाज पिथौरागढ़ जिले के सबसे संपन्न समुदायों में गिना जाता रहा है. कुमाऊं में इस समाज की सांस्कृतिक और सांगठनिक एकता की मिसाल दी जाती है.

अपनी संस्कृति से बहुत प्यार करते हैं रं समाज के लोग: रं समाज के लोगों की कोशिश रहती है कि वो अपनी परंपरा, संस्कृति, खानपान और रीति रिवाजों को बचाकर रखें. वर्तमान समय में शहरों से गांवों तक आधुनिकता के नाम पर जो अंधी दौड़ शुरू हुई है, रं समाज उससे बचकर रहने का हर प्रयास कर रहा है. मध्यवर्गीय शादी और अन्य समारोहों में सम्पन्नता के भौंडे प्रदर्शन से रं समाज के लोग बचकर चल रहे हैं.

आधुनिकता के नाम पर दिखावे के विरोधी हैं रं समाज के लोग: कुछ ही दिन पहले रं समाज की एक प्रतिनिधि संस्था द्वारा पिथौरागढ़ की घाटियों में होने वाली शादियों में आधुनिकता के नाम पर आ रही बुराइयों और फिजूलखर्ची को दूर करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इन नियमों को अगर आप पढ़ेंगे तो कानफोड़ू डीजे, हवा में नोट लहराते बाराती और शादी के भोजन के बाद बर्बाद होते अन्न की यादें आपके जेहन में ताजा हो जाएंगी.

शादी ब्याह के लिए रं समाज ने बनाए ये नियम: रं समाज ने जो नियम बनाए हैं वो कुछ इस तरह हैं- 1. समारोहों में न डीजे बजेगा न शराब परोसी जाएगी. 2. शगुन की रकम एक रुपया तय की गई है. 3. बारातियों का मुंह टॉफ़ी से मीठा किया जाएगा. 4. बारात के लिए रास्ते में न जनवासे का बंदोबस्त होगा न शराब का. गौरतलब है कि उत्तराखंड में रहने वाले रं समाज में दहेज़ प्रथा पहले से नहीं रही है. अब बनाए गए इन नए नियमों से गरीब और धनवान, दोनों ही परिवारों की युवतियों और युवाओं की शादी एक तरह से ही होंगी. यही रं समाज की इच्छा भी है.

नियम तोड़ने पर जुर्माना लगेगा: कहने को तो हमारे देश और समाज में अनेक नियम हैं. लेकिन लोक ज्यातर का पालन ही नहीं करते हैं. रं समाज ने अपने नियमों का सख्ती के पालन कराने के लिए जुर्माने का प्रावधान रखा है. जो भी ये नियम तोड़ेगा उसे आर्थिक दंड भरना पड़ेगा. मंगलवार 17 जनवरी 2023 से ये नियम लागू भी हो गए हैं.

कौंन हैं रं समाज के लोग: चीन और नेपाल सीमा पर उच्च और उच्च मध्य हिमालय की तीन घाटियों दारमा, व्यास और चौदास के मूल निवासियों को जिन्हें आज सरकारी तौर पर भोटिया कहा जाता है ये ही रं लोग हैं. रं समाज के लोग अपनी कला, जीवट, व्यापार, संस्कृति, लोकजीवन को लेकर अपनी अलग पहचान रखते हैं. अतीत में तिब्बत में व्यापार करने वाले रं समाज के लोगों ने वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद काफी दुर्दिन झेले हैं.
ये भी पढ़िए: रं समाज का अपनी कला और संस्कृति को संजोने का प्रयास, PM मोदी भी कर चुके हैं सराहना

इससे पूर्व तिब्बत व्यापार में इस समाज के लोग काफी आगे थे. विषम भौगोलिक परिस्थिति में जीवन जीने वाले रं लोग भारत चीन युद्ध के बाद आजीविका विहीन हो गए थे, परंतु समाज के लोगों ने हार नहीं मानी. शिक्षा के प्रति अपनी अभिरुचि बढ़ा आज वे सरकारी महकमों में ऊंचे पदों पर तैनात हैं. सबसे बड़ी विशेषता यह है कि देश, विदेश में कहीं भी रहें, परंतु अपने समाज, बोली, भाषा और लोकजीवन नहीं छोड़ते हैं.

पिथौरागढ़: रं समुदाय के लोगों ले अपनी बोली और भाषा को बचाए रखने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किया है. अति दुर्गम क्षेत्र होने के बाद भी जिस तरह से उन्‍होंने अपनी पहचान को बचाए रखने का प्रयास किया निश्चित तौर पर वह अनुकरणीय है. इस समुदाय के लोग न सिर्फ अपनी कला, संस्‍कृति और बोली को संजोए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं, बल्कि इनका परस्‍पर सहयोग और सामाजिक सहभागिता हर समाज के लिए प्रेरणादायक है. इतना ही नहीं ये देश की सीमा पर तैनात एक तरह से अवैतनिक प्रहरी हैं, जो भारत सरकार के लिए आंख-कान की तरह काम करते हैं.

कुमाऊं में है रं समुदाय की बसाहत: अनेक शताब्दियों से कुमाऊं की नेपाल और तिब्बत सीमा से लगी इस धारचूला तहसील की व्यांस, चौंदास और दारमा घाटियों में रं समाज की बसासत है. परंपरागत रूप से व्यापार करने वाला यह समाज पिथौरागढ़ जिले के सबसे संपन्न समुदायों में गिना जाता रहा है. कुमाऊं में इस समाज की सांस्कृतिक और सांगठनिक एकता की मिसाल दी जाती है.

अपनी संस्कृति से बहुत प्यार करते हैं रं समाज के लोग: रं समाज के लोगों की कोशिश रहती है कि वो अपनी परंपरा, संस्कृति, खानपान और रीति रिवाजों को बचाकर रखें. वर्तमान समय में शहरों से गांवों तक आधुनिकता के नाम पर जो अंधी दौड़ शुरू हुई है, रं समाज उससे बचकर रहने का हर प्रयास कर रहा है. मध्यवर्गीय शादी और अन्य समारोहों में सम्पन्नता के भौंडे प्रदर्शन से रं समाज के लोग बचकर चल रहे हैं.

आधुनिकता के नाम पर दिखावे के विरोधी हैं रं समाज के लोग: कुछ ही दिन पहले रं समाज की एक प्रतिनिधि संस्था द्वारा पिथौरागढ़ की घाटियों में होने वाली शादियों में आधुनिकता के नाम पर आ रही बुराइयों और फिजूलखर्ची को दूर करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इन नियमों को अगर आप पढ़ेंगे तो कानफोड़ू डीजे, हवा में नोट लहराते बाराती और शादी के भोजन के बाद बर्बाद होते अन्न की यादें आपके जेहन में ताजा हो जाएंगी.

शादी ब्याह के लिए रं समाज ने बनाए ये नियम: रं समाज ने जो नियम बनाए हैं वो कुछ इस तरह हैं- 1. समारोहों में न डीजे बजेगा न शराब परोसी जाएगी. 2. शगुन की रकम एक रुपया तय की गई है. 3. बारातियों का मुंह टॉफ़ी से मीठा किया जाएगा. 4. बारात के लिए रास्ते में न जनवासे का बंदोबस्त होगा न शराब का. गौरतलब है कि उत्तराखंड में रहने वाले रं समाज में दहेज़ प्रथा पहले से नहीं रही है. अब बनाए गए इन नए नियमों से गरीब और धनवान, दोनों ही परिवारों की युवतियों और युवाओं की शादी एक तरह से ही होंगी. यही रं समाज की इच्छा भी है.

नियम तोड़ने पर जुर्माना लगेगा: कहने को तो हमारे देश और समाज में अनेक नियम हैं. लेकिन लोक ज्यातर का पालन ही नहीं करते हैं. रं समाज ने अपने नियमों का सख्ती के पालन कराने के लिए जुर्माने का प्रावधान रखा है. जो भी ये नियम तोड़ेगा उसे आर्थिक दंड भरना पड़ेगा. मंगलवार 17 जनवरी 2023 से ये नियम लागू भी हो गए हैं.

कौंन हैं रं समाज के लोग: चीन और नेपाल सीमा पर उच्च और उच्च मध्य हिमालय की तीन घाटियों दारमा, व्यास और चौदास के मूल निवासियों को जिन्हें आज सरकारी तौर पर भोटिया कहा जाता है ये ही रं लोग हैं. रं समाज के लोग अपनी कला, जीवट, व्यापार, संस्कृति, लोकजीवन को लेकर अपनी अलग पहचान रखते हैं. अतीत में तिब्बत में व्यापार करने वाले रं समाज के लोगों ने वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद काफी दुर्दिन झेले हैं.
ये भी पढ़िए: रं समाज का अपनी कला और संस्कृति को संजोने का प्रयास, PM मोदी भी कर चुके हैं सराहना

इससे पूर्व तिब्बत व्यापार में इस समाज के लोग काफी आगे थे. विषम भौगोलिक परिस्थिति में जीवन जीने वाले रं लोग भारत चीन युद्ध के बाद आजीविका विहीन हो गए थे, परंतु समाज के लोगों ने हार नहीं मानी. शिक्षा के प्रति अपनी अभिरुचि बढ़ा आज वे सरकारी महकमों में ऊंचे पदों पर तैनात हैं. सबसे बड़ी विशेषता यह है कि देश, विदेश में कहीं भी रहें, परंतु अपने समाज, बोली, भाषा और लोकजीवन नहीं छोड़ते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.