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पिथौरागढ़ के जवान पंकज कन्याल का जम्मू में हादसे में निधन, परिजन 4 दिन से कर रहे शव का इंतजार

Pithoragarh soldier Pankaj Kanyal passes away जम्मू में तैनात पिथौरागढ़ के जवान पंकज कन्याल का दुर्घटना में निधन हो गई. हादसे चार दिन पहले हुआ. सेना द्वारा जवान के पिता को जम्मू बुलाया गया. इसके बाद आज शाम तक पार्थिव शरीर पिथौरागढ़ आने की उम्मीद है.

pankaj kanyal
पंकज कन्याल
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 25, 2023, 5:24 PM IST

पिथौरागढ़: भारतीय सेना की 432 इंडिपेंडेंट इंजीनियर स्कॉर्डन में सेवारत सैनिक पंकज कन्याल जम्मू में ड्यूटी के दौरान हादसे का शिकार हो गए, जिससे उनका निधन हो गया. आज शाम तक उनका पार्थिव शरीर उनके गृह जनपद पिथौरागढ़ स्थित उनके आवास पवन विहार कॉलोनी बिण पहुंचेगा. पंकज की दो साल पहले ही शादी हुई थी. पंकज अपने पीछे पत्नी और 6 माह बच्चे को पीछे छोड़ गए है. मंगलवार को मुवनी में सैनिक सम्मान के साथ पंकज का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

जानकारी के मुताबिक, 24 वर्षीय जवान पंकज कन्याल जम्मू में पोस्टेड थे. 22 दिसंबर को एक घटना में उनका निधन हो गया. सेना की तरफ से इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं दी गई. वहीं, पंकज पूर्व सैनिक श्याम सिंह साहब के छोटे बेटे थे. दो साल पूर्व ही उनकी शादी हुई थी और उनका 6 माह का बच्चा भी है. घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी पार्थिव शरीर घर नहीं पहुंचने से घर पर बेहद गमगीन माहौल है. जवान पंकज की मां बेसुध पड़ी है. बताया जा रहा है कि शहीद के पिता पार्थिव शरीर को साथ लेकर आ रहे हैं. घटना के बाद सेना ने जवान के पिता को जम्मू बुलाया था.

वहीं, जवान पंकज के ताऊजी रिटायर्ड कैप्टन जसवंत सिंह कन्याल ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि देश सेवा के लिए जान देने वाले सैनिकों के पार्थिव शरीर को अवश्य ही हवाई मार्ग से उनके घर तक पहुंचाएं. क्योंकि जिस प्रकार की पीड़ा हमारा परिवार झेल रहा है, भगवान न करें किसी अन्य परिवार को भी यह दुख देखना पड़ा. चार दिन तक इस प्रकार से अपने बच्चे के अंतिम दर्शन के लिए तड़पना सबसे बड़ी पीड़ा के समान है.
ये भी पढ़ेंः शहीद बीरेंद्र सिंह पंचतत्व में विलीन, 5 साल की बेटी श्रद्धांजलि देने पहुंची तो लोगों की छलकी आंखें

वहीं, पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष रिटायर्ड मेजर ललित सिंह के साथ सदस्यों द्वारा उनके घर पर जाकर परिवारजनों को सांत्वना दी गई. संगठन द्वारा बताया गया कि देश सेवा में शहीद होने वाले जवानों के पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द हवाई मार्ग से घर लाने की बात को पूर्व में कई बार शासन, प्रशासन और सेना के सम्मुख रखा गया है. लेकिन इसके बाद भी शहीदों की इस प्रकार की उपेक्षा सरकार, प्रशासन और सेना की कार्य प्रणाली पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. संगठन द्वारा बताया गया कि पुनः इस बात को पुरजोर तरीके से संगठन द्वारा उठाया जाएगा.

पिथौरागढ़: भारतीय सेना की 432 इंडिपेंडेंट इंजीनियर स्कॉर्डन में सेवारत सैनिक पंकज कन्याल जम्मू में ड्यूटी के दौरान हादसे का शिकार हो गए, जिससे उनका निधन हो गया. आज शाम तक उनका पार्थिव शरीर उनके गृह जनपद पिथौरागढ़ स्थित उनके आवास पवन विहार कॉलोनी बिण पहुंचेगा. पंकज की दो साल पहले ही शादी हुई थी. पंकज अपने पीछे पत्नी और 6 माह बच्चे को पीछे छोड़ गए है. मंगलवार को मुवनी में सैनिक सम्मान के साथ पंकज का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

जानकारी के मुताबिक, 24 वर्षीय जवान पंकज कन्याल जम्मू में पोस्टेड थे. 22 दिसंबर को एक घटना में उनका निधन हो गया. सेना की तरफ से इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं दी गई. वहीं, पंकज पूर्व सैनिक श्याम सिंह साहब के छोटे बेटे थे. दो साल पूर्व ही उनकी शादी हुई थी और उनका 6 माह का बच्चा भी है. घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी पार्थिव शरीर घर नहीं पहुंचने से घर पर बेहद गमगीन माहौल है. जवान पंकज की मां बेसुध पड़ी है. बताया जा रहा है कि शहीद के पिता पार्थिव शरीर को साथ लेकर आ रहे हैं. घटना के बाद सेना ने जवान के पिता को जम्मू बुलाया था.

वहीं, जवान पंकज के ताऊजी रिटायर्ड कैप्टन जसवंत सिंह कन्याल ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि देश सेवा के लिए जान देने वाले सैनिकों के पार्थिव शरीर को अवश्य ही हवाई मार्ग से उनके घर तक पहुंचाएं. क्योंकि जिस प्रकार की पीड़ा हमारा परिवार झेल रहा है, भगवान न करें किसी अन्य परिवार को भी यह दुख देखना पड़ा. चार दिन तक इस प्रकार से अपने बच्चे के अंतिम दर्शन के लिए तड़पना सबसे बड़ी पीड़ा के समान है.
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वहीं, पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष रिटायर्ड मेजर ललित सिंह के साथ सदस्यों द्वारा उनके घर पर जाकर परिवारजनों को सांत्वना दी गई. संगठन द्वारा बताया गया कि देश सेवा में शहीद होने वाले जवानों के पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द हवाई मार्ग से घर लाने की बात को पूर्व में कई बार शासन, प्रशासन और सेना के सम्मुख रखा गया है. लेकिन इसके बाद भी शहीदों की इस प्रकार की उपेक्षा सरकार, प्रशासन और सेना की कार्य प्रणाली पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. संगठन द्वारा बताया गया कि पुनः इस बात को पुरजोर तरीके से संगठन द्वारा उठाया जाएगा.

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