ETV Bharat / state

2013 आपदा के बाद भी खतरे की जद में मदकोट, करोड़ों खर्च होने के बाद भी 'जख्म' हैं हरे

पिथौरागढ़ के मदकोट के 2013 आपदा के जख्म अबतक हरे. करोड़ों खर्च होने के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति. जानिए आखिर क्या है वजह

खतरे की जद में मदकोट
author img

By

Published : Feb 8, 2019, 12:02 AM IST

पिथौरागढ़: 2013 में आयी प्राकृतिक आपदा ने पिथौरागढ़ की बंगापानी तहसील के मदकोट क्षेत्र में जमकर कहर बरपाया था. आपदा को 5 साल गुजरने के बाद आज भी मदकोट क्षेत्र खतरे के मुहाने पर खड़ा है. मदकोट में बाढ़ नियंत्रण के नाम पर करोड़ों खर्च किये गये हैं फिर भी इलाके के हालात नहीं सुधरे हैं.

गोरी और मंदाकिनी नदी के संगम पर बसा मदकोट क्षेत्र आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है. साल 2013 में गोरी नदी के कहर के कारण 3 मकान जमींदोज हो गये थे और कई मकान आज भी खतरे की जद में हैं. आपदा में मदकोट क्षेत्र की सड़क धस गई, जो लोगों के लिए खतरा बनी हुई है. स्थानीय लोगों ने कई बार सड़क के निर्माण की मांग प्रशासन से की, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.

खतरे की जद में मदकोट
undefined

करीब 10,000 की आबादी वाले मदकोट क्षेत्र में आज भी कई परिवार खतरे में हैं. इस क्षेत्र को आपदा से सुरक्षित करने के लिए करोड़ों की लागत से तटबंधों का निर्माण किया गया है. लेकिन ये सभी प्रयास नाकाफी ही साबित हो रहे हैं. हर साल मॉनसून में तटबंध गोरी नदी में समा जाते हैं. प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि मदकोट क्षेत्र का जियोलॉजिकल सर्वे किया जा रहा है, जल्द ही क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए नया प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा.

मदकोट क्षेत्र भी धीरे-धीरे गोरी नदी में समाता जा रहा है. आपदा प्रबंधन के सारे इंतजाम यहां ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं. अगर मदकोट क्षेत्र को पूरी तरह सुरक्षित नहीं किया गया तो आपदा के दौरान यहां की हजारों की आबादी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है.

पिथौरागढ़: 2013 में आयी प्राकृतिक आपदा ने पिथौरागढ़ की बंगापानी तहसील के मदकोट क्षेत्र में जमकर कहर बरपाया था. आपदा को 5 साल गुजरने के बाद आज भी मदकोट क्षेत्र खतरे के मुहाने पर खड़ा है. मदकोट में बाढ़ नियंत्रण के नाम पर करोड़ों खर्च किये गये हैं फिर भी इलाके के हालात नहीं सुधरे हैं.

गोरी और मंदाकिनी नदी के संगम पर बसा मदकोट क्षेत्र आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है. साल 2013 में गोरी नदी के कहर के कारण 3 मकान जमींदोज हो गये थे और कई मकान आज भी खतरे की जद में हैं. आपदा में मदकोट क्षेत्र की सड़क धस गई, जो लोगों के लिए खतरा बनी हुई है. स्थानीय लोगों ने कई बार सड़क के निर्माण की मांग प्रशासन से की, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.

खतरे की जद में मदकोट
undefined

करीब 10,000 की आबादी वाले मदकोट क्षेत्र में आज भी कई परिवार खतरे में हैं. इस क्षेत्र को आपदा से सुरक्षित करने के लिए करोड़ों की लागत से तटबंधों का निर्माण किया गया है. लेकिन ये सभी प्रयास नाकाफी ही साबित हो रहे हैं. हर साल मॉनसून में तटबंध गोरी नदी में समा जाते हैं. प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि मदकोट क्षेत्र का जियोलॉजिकल सर्वे किया जा रहा है, जल्द ही क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए नया प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा.

मदकोट क्षेत्र भी धीरे-धीरे गोरी नदी में समाता जा रहा है. आपदा प्रबंधन के सारे इंतजाम यहां ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं. अगर मदकोट क्षेत्र को पूरी तरह सुरक्षित नहीं किया गया तो आपदा के दौरान यहां की हजारों की आबादी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है.

Intro:Body:

2013 आपदा के बाद भी खतरे की जद में मदकोट, करोड़ों खर्च होने के बाद भी 'जख्म' हैं हरे

 



पिथौरागढ़: 2013 में आयी प्राकृतिक आपदा ने पिथौरागढ़ की बंगापानी तहसील के मदकोट क्षेत्र में जमकर कहर बरपाया था. आपदा को 5 साल गुजरने के बाद आज भी मदकोट क्षेत्र खतरे के मुहाने पर खड़ा है. मदकोट में बाढ़ नियंत्रण के नाम पर करोड़ों खर्च किये गये हैं फिर भी इलाके के हालात नहीं सुधरे हैं.



गोरी और मंदाकिनी नदी के संगम पर बसा मदकोट क्षेत्र आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है. साल 2013 में गोरी नदी के कहर के कारण 3 मकान जमींदोज हो गये थे और कई मकान आज भी खतरे की जद में हैं. आपदा में मदकोट क्षेत्र की सड़क धस गई, जो लोगों के लिए खतरा बनी हुई है. स्थानीय लोगों ने कई बार सड़क के निर्माण की मांग प्रशासन से की, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.  



करीब 10,000 की आबादी वाले मदकोट क्षेत्र में आज भी कई परिवार खतरे में हैं. इस क्षेत्र को आपदा से सुरक्षित करने के लिए करोड़ों की लागत से तटबंधों का निर्माण किया गया है. लेकिन ये सभी प्रयास नाकाफी ही साबित हो रहे हैं. हर साल मॉनसून में तटबंध गोरी नदी में समा जाते हैं. प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि मदकोट क्षेत्र का जियोलॉजिकल सर्वे किया जा रहा है, जल्द ही क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए नया प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा.



मदकोट क्षेत्र भी धीरे-धीरे गोरी नदी में समाता जा रहा है. आपदा प्रबंधन के सारे इंतजाम यहां ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं. अगर मदकोट क्षेत्र को पूरी तरह सुरक्षित नहीं किया गया तो आपदा के दौरान यहां की हजारों की आबादी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है.




Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.