पिथौरागढ़: शिक्षक व किताबों की मांग को लेकर पिछले 24 दिनों से आंदोलन कर रहे छात्र-छात्राओं से बात करने बुधवार को पिथौरागढ़ जिलाधिकारी महाविद्यालय पहुंचे. इस दौरान जिलाधिकारी ने शिक्षकों की अटेंडेंस रजिस्टर की जांच के साथ ही लाइब्रेरी का भी निरीक्षण किया. हालांकि, जिला प्रशासन आंदोलनरत छात्रों को मनाने में नाकाम रहा.
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लक्ष्मण सिंह महर महाविद्यालय में चल रहा शिक्षक-पुस्तक आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे धरने पर डटे छात्रों से मिलने पहुंचे. जिलाधिकारी ने बताया कि महाविद्यालय में 120 स्वीकृत पदों के सापेक्ष रेगुलर, संविदा और टेम्परेरी व्यवस्था में कुल 99 शिक्षक कार्यरत हैं. नियमित 63 पदों पर ही प्रोफेसर हैं. 22 गेस्ट फैकल्टी और 14 अतिथि शिक्षक हैं. होम साइंस डिपार्टमेंट में तो कोई शिक्षक ही नहीं है. शेष खाली पड़े 20 पदों के लिए शासन और विश्वविद्यालय स्तर से पत्राचार किया जाएगा.
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गौर हो कि कॉलेज की छात्र संख्या करीब सात हजार है और सिलेबस के हिसाब से छात्र-छात्राओं के लिए किताबें नहीं हैं. सीमांत क्षेत्र का सबसे बड़ा कॉलेज होने के कारण यहां पड़ोसी जिले अल्मोड़ा और चंपावत से भी बड़ी संख्या में युवा पढ़ाई करने के लिए आते हैं. नेपाल से भी छात्र-छात्राएं यहां पढ़ने आते हैं. इन सबके बावजूद यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. एक छात्र को सालभर में महज दो ही किताबें लाइब्रेरी से मिल पाती हैं. यही नहीं, यहां की लाइब्रेरी में अब भी नब्बे के दशक की किताबें रखी हैं. लैब धूल खा रही हैं. ऐसा लगता है कि साइंस के विद्यार्थियों को शायद ही कभी इन प्रयोगशालाओं में ले जाया गया हो. किताबें न होने की सूरत में छात्र गाइड से काम चलाते हैं या नोट्स कॉपी करते हैं.
हालांकि, पुस्तकों की मांग पर जिलाधिकारी ने अपने स्तर से किताबों की खरीद के लिए तत्काल एक लाख रुपये की धनराशि देने का एलान किया है. शासन स्तर से धन स्वीकृत होने के बाद ये धनराशि रिफंड कर दी जाएगी. वहीं आंदोलनकारी छात्र धरने पर डटे हुए हैं. छात्रों का कहना है कि अब इस आंदोलन को और उग्र किया जाएगा.
गौर हो कि सोशल मीडिया पर जब से इन छात्रों की पोस्ट वायरल हुई तभी से महाविद्यालय में छात्रों को देशभर से समर्थन मिल रहा है. दरअसल, सीमांत जिले पिथौरागढ़ के लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने 17 जून से धरना शुरू किया है. पांच बार जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से भी किताबों और शिक्षकों को लेकर ज्ञापन भेजा जा चुका है. नैनीताल जाकर कुलपति और उच्च शिक्षा निदेशालय से भी बात भी की गई है. जब ये कोशिशें सार्थक साबित नहीं हुईं तो धरने पर बैठने से पहले जिलाधिकारी के माध्यम से कुलपति और शिक्षा मंत्रालय को पत्र भेजा गया. इसका भी जब जवाब न आया तो छात्रों द्वारा आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया.
छात्रों की मांगें-
- कुलपति महाविद्यालय में आकर उनकी समस्याएं सुनें.
- कॉलेज में सभी किताबें उपलब्ध की जाएं.
- प्रोफेसरों के खाली पदों को तुरंत भरा जाए और नए पदों का सृजन हो.
- रिसर्च करने वाले छात्रों को मदद सहायता दी जाए.
- सब-रजिस्ट्रार कार्यालय पिथौरागढ़ में खोला जाए.
- अभी छात्रों को डिग्री लेने या मार्कशीट में गलती होने पर भी नैनीताल जाना पड़ता है.