बेरीनाग: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आम जनजीवन के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के लोकपर्व व लोकपरंपराएं भी प्रभावित हुई हैं. उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोकपंरपरा भिटौली इसका एक उदाहरण है. हर साल चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में मनाई जाने वाली यह लोकपरंपरा इस साल कोरोना वायरस के कारण नहीं मनाई जा रही है.
परंपरा के अनुसार भिटौली पर्व के दौरान चैत्र मास में माता-पिता या फिर भाई विवाहित बेटी या बहन को लजीज पकवान बनाकर उसे भेंट करते हैं. बहू-बेटियों को भिटौली का बेसब्री से इंतजार रहा करता है. इसके चलते इस पूरे महीने शहरों से लेकर गांव-कस्बों तक में खासी चहल-पहल रहा करती है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के मद्देनजर पूरे देश में लॉकडाउन हो रखा है. ऐसे में लोग कहीं बाहर नहीं जा सकते हैं. 14 अप्रैल तक लॉकडाउन और 13 अप्रैल को भिटौली का महीना खत्म हो रहा है. जिस कारण इस साल भिटौली पर्व नहीं मनाया जा रहा है.
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भिटौली पर्व के साथ ही सिंघवी समुदाय का त्योहार, महावीर जयंती 6 अप्रैल, शब-ए-बरात 9 अप्रैल, गुड फ्राइडे 10 अप्रैल, अंबेडकर जयंती 14 अप्रैल अन्य त्यौहार और कार्यक्रमों में लोग हिस्सा नहीं ले पाएंगे.
पूर्व ब्लाक प्रमुख रेखा भंडारी ने बताती है कि पहली बार भिटौली पर्व लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में निराश है हर साल चैत्र मास में भिटौली पर्व मनाया जाता था. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण वे इस पर्व को नहीं मना रहे हैं. लेकिन जब भारत कोरोना को हाराएगा उसके बाद भिटौली पर्व जश्न के रूप में मनाया जाएगा.
प्रधानाचार्य देवबाला बिष्ट ने बताया कि भिटौली उत्तराखंड का विशेष पर्व है. लेकिन अभी त्यौहार मनाने से ज्यादा कोरोना से बचाना जरूरी है. इसीलिए वे भिटौली पर्व नहीं मना रहे हैं. भिटौली पर्व की राशि वे प्रधानमंत्री राहत कोष में भेजेंगी.