देहरादून: दिवंगत अधिवक्ता राजेश सूरी का एडीएम कार्यालय में रखा बंद लिफाफा डेढ़ साल पहले खुल तो गया, लेकिन इसके राज आज तक बंद हैं. राजेश सूरी ने अपनी मौत की आशंका जताते हुए इसमें 42 नाम लिखे थे, लेकिन अब तक इन नामों को उजागर नहीं किया गया है. ऐसे में एक बार फिर अधिवक्ता सूरी की बहन रीता सूरी ने इन नामों को उजागर करने के लिए आईजी गढ़वाल को पत्र लिखा है. वहीं, मामले में कार्रवाई के लिए आईजी की ओर से देहरादून एसएसपी को निर्देश जारी किए गए हैं.
नैनीताल हाईकोर्ट से लौटते समय राजेश सूरी की ट्रेन में हुई थी तबीयत खराब: बता दें कि अधिवक्ता राजेश सूरी ने सूचना का अधिकार के माध्यम से प्रदेश के कई बड़े घोटालों का पर्दाफाश किया था. वो अक्सर इनकी सुनवाई के लिए नैनीताल हाईकोर्ट भी जाते रहते थे. बीती 24 नवंबर 2014 को भी वो नैनीताल गए थे. वहां चार दिन ठहरने के बाद वो 28 नवंबर को लौटने लगे. रास्ते में ट्रेन में बैठे-बैठे उनका स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया.
30 नवंबर 2014 को अस्पताल में राजेश सूरी ने तोड़ा था दम: जब राजेश सूरी देहरादून पहुंचे तो अचेत अवस्था में थे. उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन दो दिन इलाज के बाद भी डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके. जबकि, 30 नवंबर 2014 को उन्होंने दम तोड़ दिया. बहन रीता सूरी ने शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया. मामले में अधिवक्ता रविकांत किरियाना, सुधीर जैन, आनंद प्रकाश जैन, दिव्या जैन आदि को आरोपी बनाया गया.
1 जुलाई 2002 को एडीएम वित्त के ऑफिस में छोड़ा था बंद लिफाफा: इस मामले की जांच एसआईटी बनाकर कराई गई. जिसमें पता चला कि राजेश सूरी ने अपनी मौत से करीब 12 साल पहले 1 जुलाई 2002 को एक बंद लिफाफा एडीएम वित्त के ऑफिस में छोड़ा था. दावा था कि इस लिफाफे के अंदर रखे पत्र में उन्होंने जज क्वार्टर घोटाला, दौलत राम ट्रस्ट घोटाले के संबंध में कई तथ्य लिखे हैं. इसमें कई सफेदपोशों के नाम भी शामिल हैं.
रीता सूरी ने इस लिफाफे को खुलवाने के लिए भी करीब 8 साल तक लड़ाई लड़ी और अदालत के आदेश पर 30 जुलाई 2023 को यह लिफाफा खोल दिया गया, लेकिन इसमें जो नाम लिखे हुए थे, उन्हें उजागर नहीं किया गया. अब एक बार फिर से राजेश सूरी की बहन रीता सूरी ने आईजी गढ़वाल को लिफाफे के राज उजागर करने की मांग की है. रीता सूरी के अनुसार बंद लिफाफा खुलने के बाद भी उन्हें नहीं बताया गया कि लिफाफे में क्या है और किसके नाम हैं?
लिफाफे में 42 लोगों के नाम दर्ज: जांच अधिकारी ने कोर्ट में बताया था कि लिफाफे में 42 लोगों के नाम दर्ज हैं. इसमें से 8 लोगों के बयान दर्ज हो चुके हैं. जबकि, 9 लोगों की मौत हो चुकी है. बाकी बचे 25 लोगों की खोज की जा रही है. न्यायालय को दी प्रगति रिपोर्ट के बाद 9 दिसंबर 2024 तक जांच अधिकारी ने उनसे कोई भी संपर्क नहीं किया और न ही संबंधित जांच के बारे में कोई जानकारी दी.
वहीं, रीता सूरी की मानें तो उनके भाई की हत्या में नामजद और संबंधित बंद लिफाफे (अब खुले) में उल्लेख नाम का पर्दाफाश न होने के कारण उनकी जान-माल का खतरा बढ़ गया है. रीता सूरी ने इन नामों की जानकारी पुलिस से मांगी है. इसे लेकर पुलिस महानिरीक्षक ने देहरादून एसएसपी अजय सिंह को आवश्यक निर्देश दिए हैं.
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