पिथौरागढ़: भारत और नेपाल के बीच नेपाली नागरिकों को पेंशन लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय झुला पुलों को 3 दिनों तक खोलने पर सहमति बनी थी, लेकिन आखिरी दिन धारचूला में तनाव की स्थिति देखने को मिली. शुक्रवार को सुबह 9 बजे नेपाल की ओर से पुल खोला गया. इस दौरान नेपाली पेंशनरों के साथ ही बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक रोजमर्रा के सामान लेने धारचूला पहुंचे, लेकिन जब नेपाली नागरिक भारत से सामान खरीदकर नेपाल जाने लगे तो नेपाल पुलिस ने ज्यादा सामान देखकर झूला पुल को 11 बजे ही बंद कर दिया. जिसके चलते सैकड़ों नेपाली नागरिक भारत में ही घंटों फंसे रहे.
वहीं, नेपाल पुलिस के रवैये को लेकर नेपाली नागरिकों में भारी आक्रोश देखने को मिला. भारतीय प्रशासन की ओर से नेपाल प्रशासन से बातचीत करने के बाद शाम 5 बजे पुल खोला गया. जिसके बाद ही नेपाली नागरिक वापस नेपाल जा सके. दरअसल, दोनों देशों की आपसी सहमति के बाद शुक्रवार को तीसरे दिन भारत से पेंशन लेने वाले नेपाली नागरिकों के लिए धारचूला और जौलजीबी के झूला पुल खोले गए. इस दौरान पेंशन लेने और खरीदारी के लिए भारत आए नेपाली नागरिकों के लिए नेपाल पुलिस का बर्ताव काफी सख्त रहा.
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जब भारत आए लोग वापस नेपाल जाने लगे तो पुलिस ने झूला पुल के गेट बंद कर दिए. जिसके चलते सैकड़ों नेपाली नागरिक छह घंटे तक धारचूला में ही फंसे रहे. मामले की सूचना मिलने पर धारचूला के एसडीएम ने नेपाल के दार्चुला प्रशासन से बातचीत की, तब जाकर पुल के गेट खोले गए. नेपाल पुलिस की ओर से मनमाने ढंग से गेट बंद करने से नेपाली नागरिकों में जबरदस्त गुस्सा देखने को मिला.
गौर हो कि भारत से पेंशन लेने वाले नेपाली पेंशनधारियों के लिए बीते 21 से 23 अक्टूबर तक धारचूला और जौलजीबी के अंतरराष्ट्रीय झूला पुल खोला गया था. इस दौरान धारचूला पुल से 847 लोग नेपाल से भारत आए. जबकि, 399 लोग भारत से नेपाल गए. वहीं, जौलजीबी पुल से 238 लोग नेपाल से भारत आए, जबकि इतने ही लोग नेपाल से भारत वापस लौटे.