पिथौरागढ़: भारत-नेपाल के बीच कालापानी विवाद गहराता जा रहा है. भारत की ओर से जारी देश के नये राजनीतिक मानचित्र पर नेपाल ने आपत्ति जताई है. नेपाल सरकार का कहना है कि मानचित्र में दर्शाया कालापानी का इलाका नेपाल सीमा में आता है.
वहीं, इस मामले में भारतीय अधिकारियों का कहना है कि कालापानी क्षेत्र काली नदी का उद्गम स्थल है, जिसके एक तरफ नेपाल और दूसरी तरफ भारत का हिस्सा है. ऐसे में किसी भी प्रकार का विवाद उठने की कोई वजह ही नहीं बनती.
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गौर हो कि भारत-नेपाल के बीच लंबे समय से कालापानी विवाद चला आ रहा है. नेपाल की माओवादी पार्टी पूर्व में भी भारतीय सीमा में पड़ने वाले कालापानी क्षेत्र पर अपना दावा जता चुकी है. हालांकि, नेपाल सरकार का ये भी कहना है कि दोनों देशों के बीच सीमा संबंधित लंबित मसलों को आपस में बैठकर सुलझाने की जरूरत है. वहीं, कालापानी विवाद के तूल पकड़ने पर भारत-नेपाल के संबंधों में फिर से खटास पैदा हो गयी है.
इस मामले में पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे का कहना है कि कालापानी क्षेत्र में काली मैय्या का एक मंदिर है जिसके नीचे महाकाली नदी का स्रोत है. इस मंदिर का आधा हिस्सा नेपाल और आधा हिस्सा भारत का है. साथ ही मंदिर से निकलने वाली काली नदी दोनों देशों की सीमाओं का विभाजन करती है.
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बता दें कि साल 2015 में माओवादी पार्टी की छात्र विंग ने भारत के कालापानी और लिपुलेख पर दावा जताते हुए भारत नेपाल बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन किया था. जिसके बाद भारत और नेपाल के बीच रिश्ते कुछ समय तक तनावपूर्ण रहे थे. हालांकि, इस आंदोलन को स्थानीय नेपालियों का समर्थन नहीं मिला था. वहीं, भारत-नेपाल मामलों के जानकारों का कहना है कि पश्चिमी नेपाल में राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ाने के उद्देश्य से माओवादी पार्टी कालापानी विवाद को तूल दे रही है.