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एवरेस्ट विजेता मनीष कसनियाल चाहते हैं सरकार से प्रोत्साहन, दिल में है ये कसक - एवरेस्ट विजेता मनीष कसनियाल

पिथौरागढ़ के पर्वतारोही मनीष कसनियाल को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने के बाद भी राज्य सरकार से कोई सम्मान नहीं मिला, जिससे मनीष निराश हैं. उन्होंने राज्य सरकार से अन्य खिलाड़ियों की तरह उन्हें भी प्रोत्साहित किए जाने की मांग की है.

Mountaineer Manish Kasniyal
Mountaineer Manish Kasniyal
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Published : Jan 6, 2022, 10:10 AM IST

देहरादून: पिथौरागढ़ के मनीष कसनियाल ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह किया था. इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से मनीष को कोई सम्मान नहीं मिला, जिससे मनीष निराश हैं. मनीष का कहना है कि एवरेस्ट फतह करना काफी चुनौतियों भरा रहा. उन्होंने सरकार से अन्य खिलाड़ियों की तरह उन्हें भी प्रोत्साहित किए जाने की मांग की है. ताकि साहसिक खेल सिर्फ एक मजाक या फिर मनोरंजन बनकर न रह जाएं.

बता दें कि, मनीष ने इंडियन एवरेस्ट मैसिफ अभियान के तहत पर्वतारोहण दल में चयनित होने पर भारत के दल का नेतृत्व किया और टीम लीडर की भूमिका निभाई. उन्होंने विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट 8848.86 मीटर पर सफल आरोहण कर उत्तराखंड का मान बढ़ाया. राज्य का प्रथम छात्र व सबसे कम उम्र का युवा बनने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ और राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया से चयन होकर भारतीय पर्वतारोहण टीम में चयनित हुए.

मनीष कसनियाल चाहते हैं सरकार से प्रोत्साहन

मनीष ने बताया कि इससे पहले राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया से एवरेस्ट अभियान 1993 में हुआ था. उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड के समस्त विश्वविद्यालयों के प्रथम एवरेस्ट विजेता छात्र रहे हैं. वे विश्व में मानवता के लिए कार्य कर रहे विश्व रेडक्रॉस के प्रथम स्वयंसेवक और लेक्चरर भी हैं. इसके लिए उन्हें रेडक्रॉस भारत ने नामित किया है. इन सब उपलब्धियों को हासिल करने के बावजूद सरकार ने अब तक उनको प्रोत्साहित नहीं किया है. जैसे अन्य खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाता है. सरकार की तरफ से उन्हें 6 माह बीत जाने के बावजूद प्रोत्साहित नहीं किया गया है.

पढ़ें: उत्तरकाशी में आज राजनाथ सिंह करेंगे विजय संकल्प यात्रा का समापन, जानें क्या है इसका राज

बता दें कि, अभियान 75 दिन का था और 1 जून 2021 को मनीष ने एवरेस्ट फतह किया. जबकि 27 मार्च 2021 को केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने अभियान दल को फ्लैग ऑफ किया था. आइस संस्था के पर्वतारोही मनीष कसनियाल 2018 में वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया भी अपने नाम कर चुके हैं. उन्होंने सबसे कम उम्र में नंदा लपाक पर्वत की अननेम्ड चोटी को फतह किया था. वहीं, मनीष ने एवरेस्ट मिशन को फतह कर साबित कर दिया कि अगर हौसलों में उड़ान हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता है.

देहरादून: पिथौरागढ़ के मनीष कसनियाल ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह किया था. इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से मनीष को कोई सम्मान नहीं मिला, जिससे मनीष निराश हैं. मनीष का कहना है कि एवरेस्ट फतह करना काफी चुनौतियों भरा रहा. उन्होंने सरकार से अन्य खिलाड़ियों की तरह उन्हें भी प्रोत्साहित किए जाने की मांग की है. ताकि साहसिक खेल सिर्फ एक मजाक या फिर मनोरंजन बनकर न रह जाएं.

बता दें कि, मनीष ने इंडियन एवरेस्ट मैसिफ अभियान के तहत पर्वतारोहण दल में चयनित होने पर भारत के दल का नेतृत्व किया और टीम लीडर की भूमिका निभाई. उन्होंने विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट 8848.86 मीटर पर सफल आरोहण कर उत्तराखंड का मान बढ़ाया. राज्य का प्रथम छात्र व सबसे कम उम्र का युवा बनने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ और राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया से चयन होकर भारतीय पर्वतारोहण टीम में चयनित हुए.

मनीष कसनियाल चाहते हैं सरकार से प्रोत्साहन

मनीष ने बताया कि इससे पहले राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया से एवरेस्ट अभियान 1993 में हुआ था. उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड के समस्त विश्वविद्यालयों के प्रथम एवरेस्ट विजेता छात्र रहे हैं. वे विश्व में मानवता के लिए कार्य कर रहे विश्व रेडक्रॉस के प्रथम स्वयंसेवक और लेक्चरर भी हैं. इसके लिए उन्हें रेडक्रॉस भारत ने नामित किया है. इन सब उपलब्धियों को हासिल करने के बावजूद सरकार ने अब तक उनको प्रोत्साहित नहीं किया है. जैसे अन्य खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाता है. सरकार की तरफ से उन्हें 6 माह बीत जाने के बावजूद प्रोत्साहित नहीं किया गया है.

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बता दें कि, अभियान 75 दिन का था और 1 जून 2021 को मनीष ने एवरेस्ट फतह किया. जबकि 27 मार्च 2021 को केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने अभियान दल को फ्लैग ऑफ किया था. आइस संस्था के पर्वतारोही मनीष कसनियाल 2018 में वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया भी अपने नाम कर चुके हैं. उन्होंने सबसे कम उम्र में नंदा लपाक पर्वत की अननेम्ड चोटी को फतह किया था. वहीं, मनीष ने एवरेस्ट मिशन को फतह कर साबित कर दिया कि अगर हौसलों में उड़ान हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता है.

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