पिथौरागढ़: चैत्र के महीने में कुमाऊं में मनाया जाने वाला भिटौली पर्व भाई-बहन के मिले बिना ही बीत गया. लॉकडाउन के कारण लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं. जिसकी वजह से भाई अपनी बहनों को भिटौली (भेंट) देने नहीं जा सके. हालांकि बहनों ने भाइयों को याद करते हुए घरों में कई पकवान बनाए. भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भिटौली पर्व लॉकडाउन के कारण यूं ही बीत जाने से पूरे कुमाऊं में मायूसी छाई हुई है.
कुमाऊं मंडल में हर साल चैत्र में मायके पक्ष से भाई अपनी बहन के लिए भिटौली लेकर उसके ससुराल जाता है. सदियों से चली आ रही भिटौली परंपरा का महिलाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है. पहाड़ की महिलाओं को समर्पित यह परंपरा महिला के मायके से जुड़ी भावनाओं और संवेदनाओं को बयां करती है.
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क्या है भिटौली पर्व
भिटौली का अर्थ है भेंट यानी मुलाकात करना. उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों और पुराने समय में संसाधनों की कमी के कारण विवाहित महिला को सालों तक अपने मायके जाने का मौका नहीं मिल पाता था. ऐसे में चैत्र में मनाई जाने वाली भिटौली के जरिए भाई अपनी विवाहित बहन के ससुराल जाकर उससे भेंट करता था और उसका कुशलक्षेम पूछता था. इस दौरान भाई उपहार स्वरूप पकवान लेकर बहन के ससुराल पहुंचता था. भाई-बहन के इस अटूट प्रेम को ही भिटौली कहा जाता है.