पिथौरागढ़: सितम्बर-अक्टूबर माह में संभावित पंचायत चुनाव के मानसून सीजन के चलते प्रभावित होने की संभावना है. पर्वतीय इलाकों में बारिश के दौरान सड़क, पैदल रास्ते और पुल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में पंचायत चुनाव में लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करना चुनाव आयोग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. पूर्व पंचायत प्रतिनिधि इसे जल्दबाजी में लिया हुआ फैसला करार दे रहे है. वहीं प्रशासन का दावा है कि वो मानसून सीजन को देखते हुए पूरी तरह अलर्ट मोड में है.
बारिश ने सूबे के पर्वतीय क्षेत्रों में तांडव मचाया हुआ है. भारी बारिश के कारण कई सड़कें बंद पड़ी हुई हैं. इस वजह से कई गांवों का संपर्क कस्बों और जिला मुख्यालय से कटा हुआ है. उत्तराखंड में बारिश सितंबर माह तक होती है. ऐसे में यहां पंचायत चुनाव कराना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.
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वहीं नैनीताल हाई कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने सितम्बर-अक्टूबर माह के बीच पंचायत चुनाव कराने का फैसला लिया है. साथ ही सीटों के निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वहीं कई जनप्रतिनिधि मानसून सीजन के दौरान चुनाव कराने पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
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पूर्व जिला पंचायत सदस्य जगदीश कुमार का कहना है कि सरकार ने बिना किसी तैयारी के कोर्ट के दबाव में आकर जल्दबाजी में चुनाव कराने का फैसला लिया है. जबकि इस दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में बरसात के कारण संपर्क मार्ग बंद रहते हैं. वहीं प्रशासन का कहना है कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सम्पर्क मार्ग बंद होने की सबसे अधिक सूचनाएं आ रही हैं, लेकिन 24 घंटे के भीतर बंद पड़े मार्गों को खोला जा रहा है.