पिथौरागढ़: जिले में नंदाष्टमी सादगी के साथ मनाया गया. पांच दिन की कठिन यात्रा कर नंदा कुंड और बालचंद कुंड क्षेत्र से लाए गए ब्रह्मकमल मां नंदा को चढ़ाए गए. मान्यता है कि हिमालय की देवी मां नंदा को ब्रह्मकमल सबसे प्रिय है. इसलिए भक्त नंगे पांव, व्रत लेकर हिमालय क्षेत्र से चार दिन की यात्रा कर पुष्प लाते है और नंदाष्टमी के दिन ढोल-नगाड़े के साथ मां नंदा को ब्रह्मकमल अर्पित करते हैं.
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मुनस्यारी के सुरिंग, रांथी, डांडाधार, हरकोट, मर्तोली, मिलम, लास्पा, बला, गिन्नी और आमथल में मां नंदा देवी के मंदिरों में पूजा अर्चना की गई. हालांकि कोरोना संकट के चलते इस बार मेले का आयोजन नहीं किया गया. मां भगवती की सात बहनों में एक मां नंदा देवी का ससुराल हिमालय के नजदीक मर्तोली गांव को माना जाता है. जोहार घाटी के मर्तोली में रहने वाले मर्तोलिया जाति के लोग नंदा देवी को अपना ईष्टदेव मानते हैं.