पिथौरागढ़: चीन सीमा को जोड़ने वाला तवाघाट-ढांकर मोटर मार्ग बदहाली की मार झेल रहा है. सामरिक नजरिये से अहम ये सड़क इस कदर खस्ताहाल है कि किसी भी वक्त इस मार्ग पर बड़ा हादसा हो सकता. ये मोटर मार्ग चौदांस और दारमा घाटी में बसें हजारों लोगों के लिए लाइन लाइन का काम करता है. इसके अलावा चीन सीमा तक सुरक्षा बलों को सामान पहुंचाने का ये ही एक मात्र रास्ता है.
बता दें कि इस सड़क का तवाघाट से लेकर सोबला तक का जिम्मा बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) के पास है, लेकिन बीआरओ के पास इस मार्ग की मरम्मत के लिए बजट ही नहीं है. इसीलिए बीआरओ ने हाथ खड़े कर दिए है. जबकि सोबला से ढांकर तक सड़क का जिम्मा सीपीडब्ल्यूडी (केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग) के पास है. स्थानीय लोगों ने सीपीडब्ल्यूडी की कार्यप्रणाली पर भी रोष जताया है.
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दारमा और चौदांस घाटी के दर्जनों गांवों की लाइफ लाइन कहा जाने वाला तवाघाट-ढांकर मोटरमार्ग हादसों को दावत दे रहा है. बरसात से कारण ये मार्ग कई स्थानों पर खस्ताहाल है. जिस पर वाहनों का चलना दूभर हो गया है. चीन सीमा पर तैनात आईटीबीपी और आर्मी के जवान इसी मार्ग से होकर जाते है. बावजूद इसके इस सड़क की कोई सुध लेने वाला कोई नहीं है.
सामरिक नजरिये से अहम ये मोटर मार्ग बीआरओ की लापरवाही की भेंट चढ़ रहा है. 2013 में आई आपदा के बाद से इस सडक पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. सडक लगातार धसती जा रही है, जिससे किसी भी वक्त बडा हादसा हो सकता है.
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ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और बीआरओ को अवगत कराने के बाद भी यहां कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जब इस संबंध में उपजिलाधिकारी अनिल कुमार शुक्ला बात कि गई तो उन्होंने कहा कि इस मार्ग के रखरखाव के लिए कोई पैसा बीआरओ को नहीं मिला है. जिस कारण बीआरओ इस मार्ग पर कोई काम नहीं कर रहा है. लेकिन सड़क की बदहाली को देखते हुए बीआरओ से बात की जाएगी.