पिथौरागढ़: भारत-कजाकिस्तान के बीच चल रहा संयुक्त सैन्य अभ्यास समाप्त हो गया है. दोनों देशों के बीच ये चौथा सैन्य अभ्यास था. कजिंद नाम से चल रहे इस सैन्य अभ्यास में भारत-कजाकिस्तान के जवानों ने पर्वतीय इलाकों में आंतकवाद से निपटने के गुर सीखे और अपनी सैन्य तकनीक को साझा किया.
भारत और कजाकिस्तान की सेनाओं के बीच 2016 से संयुक्त सैन्य अभ्यास का जो आगाज हुआ था, वो इस साल भी जारी रहा. दोनों देशों के जवानों ने पिथौरागढ़ के पर्वतीय इलाकों में सैन्य अभ्यास किया. इस बार का सैन्य अभ्यास पहाड़ी इलाकों में आतंकवाद से निपटने पर फोकस था. 13 दिनों तक चले सैन्य अभ्यास में दोनों देशों के 60-60 जवानों ने शिरकत की. इस दौरान जवानों ने काउंटर टैररिजम और बम डिफ्यूजल के तौर-तरीकों को भी सीखा. भारत की ओर से सैन्य अभ्यास में राजपूत रेजिमेंट के जवानों ने शिरकत की.
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समापन के मौके पर भारत की ओर से जहां उत्तरी कमान के मेजर जनरल कविन्द्र बिष्ट ने हिस्सेदारी की, वही कजाकिस्तान से डिप्टी आर्मी चीफ दौलत ओस्यानों मौजूद रहे. दोनों मुल्कों के सैन्य अधिकारियों ने ऐसे अभ्यासों को सेना की मजबूती के लिए जरूरी बताया. यही नहीं पहाड़ी क्षेत्र में किए हुए सैन्य अभ्यास से जवानों को पर्वतारोहण के गुर भी सीखे. कजिंद सैन्य अभ्यास से उम्मीद है कि आतंकवाद विरोधी अभियान बेहतर तरीके से संचालित हो सकेंगे.
इस सैन्य अभ्यास का मकसद दोनों देशों की सैन्य तकनीक सांझा करना रहा. ताकि कठिन वक्त में सैनिक आपसी तालमेल और सूझ-बूझ से दुश्मनों के दांत खट्टे कर सकें. साथ ही विश्व स्तर पर लगातार बढ़ रही आतंकवाद की चुनौंतियों का सामना करने के लिए भी दोनों मुल्कों की सेनाओं को तैयार किया जा सके.