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चीन और नेपाल अपना रहे विरोधी रवैया, भारत की बॉर्डर इलाकों में बुनियादी विकास पर जोर

चीन और नेपाल के भारत विरोधी रवैये को देखते हुए प्रशासनिक तंत्र के साथ सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट मोड़ पर हैं. बॉर्डर इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रशासन ने बुनियादी विकास का खाका तैयार किया है. जिसके तहत सीमांत इलाकों में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और संचार की सुविधाओं को बेहतर बनाने के साथ ही ग्रामीणों की आजीविका को बढ़ाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं.

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Published : Oct 11, 2020, 9:40 PM IST

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बॉर्डर इलाके

पिथौरागढ़: चीन और नेपाल से बढ़ते तनाव के बीच अब बॉर्डर इलाकों में मूलभूत सुविधाओं के विकास पर जोर दिया जा रहा है. सुरक्षा एजेंसियों ने भी सरकार से बॉर्डर इलाकों में जरूरी सुविधाओं का ढांचा तैयार करने को कहा है. आजादी के 7 दशक बाद भी मूलभूत सुविधाओं से मरहूम सीमांत के ये इलाके पलायन की सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं. लिपुलेख सड़क बनने के बाद बॉर्डर इलाकों में विकास की उम्मीद जगी है.

वहीं, सीमांत के गांवों में सोलर प्लांट के जरिये विद्युत आपूर्ति करने के साथ ही गुंजी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने का प्लान तैयार किया जा रहा है. जबकि, संचार के लिए हर गांव में सैटेलाइट फोन दिया जा रहा है. इतना ही नहीं बीएडीपी के तहत द्वितीय रक्षा पंक्ति कहलाने वाले सीमांत के बाशिंदों की आजीविका बढ़ाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.

भारत बॉर्डर इलाकों में बुनियादी विकास पर देने लगा जोर.

ये भी पढ़ेंः बॉर्डर इलाकों को हवाई सेवा से जोड़ रहा नेपाल, एयरपोर्ट का किया उद्घाटन

बता दें कि पिथौरागढ़ उत्तराखंड का इकलौता ऐसा जिला है, जिसकी सीमाएं चीन और नेपाल से सटी हैं, लेकिन आज भी दोनों मुल्कों से सटे बॉर्डर इलाके विकास से कोसों दूर हैं. अगर सीमांत क्षेत्रों में बुनियादी विकास पर जोर दिया जाता है तो पलायन की रफ्तार तो थमेंगी ही, साथ ही सुरक्षा तंत्र को भी खासी मजबूती मिलेगी.

पिथौरागढ़: चीन और नेपाल से बढ़ते तनाव के बीच अब बॉर्डर इलाकों में मूलभूत सुविधाओं के विकास पर जोर दिया जा रहा है. सुरक्षा एजेंसियों ने भी सरकार से बॉर्डर इलाकों में जरूरी सुविधाओं का ढांचा तैयार करने को कहा है. आजादी के 7 दशक बाद भी मूलभूत सुविधाओं से मरहूम सीमांत के ये इलाके पलायन की सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं. लिपुलेख सड़क बनने के बाद बॉर्डर इलाकों में विकास की उम्मीद जगी है.

वहीं, सीमांत के गांवों में सोलर प्लांट के जरिये विद्युत आपूर्ति करने के साथ ही गुंजी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने का प्लान तैयार किया जा रहा है. जबकि, संचार के लिए हर गांव में सैटेलाइट फोन दिया जा रहा है. इतना ही नहीं बीएडीपी के तहत द्वितीय रक्षा पंक्ति कहलाने वाले सीमांत के बाशिंदों की आजीविका बढ़ाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.

भारत बॉर्डर इलाकों में बुनियादी विकास पर देने लगा जोर.

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बता दें कि पिथौरागढ़ उत्तराखंड का इकलौता ऐसा जिला है, जिसकी सीमाएं चीन और नेपाल से सटी हैं, लेकिन आज भी दोनों मुल्कों से सटे बॉर्डर इलाके विकास से कोसों दूर हैं. अगर सीमांत क्षेत्रों में बुनियादी विकास पर जोर दिया जाता है तो पलायन की रफ्तार तो थमेंगी ही, साथ ही सुरक्षा तंत्र को भी खासी मजबूती मिलेगी.

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