पिथौरागढ़: चमोली में ग्लेशियर टूटने के कारण आई आपदा के बाद भारी तबाही देखने को मिली. वहीं, जीपी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान की स्टडी में पाया गया है कि हिमालय के ग्लेशियर साल दर साल छोटे हो रहे हैं. हाल में संस्थान ने पिथौरागढ़ के बालिंग और अरुणाचल के खागरी ग्लेशियर की डीप स्टडी की है. स्पेस एप्लिकेशन सेंटर अहमदाबाद की मदद की गई इस स्टडी में पाया गया कि दोनों ग्लेशियर हर साल 8 मीटर घट रहे हैं.
ये भी पढ़ें: हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने पुलवामा शहीदों को दी श्रद्धांजलि
ग्लेशियरों की घट रही ऊंचाई के लिए इंसानी हस्तक्षेप के साथ ही जलवायु परिवर्तन और जंगलों की आग सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है. ग्लेशियरों में आ रहा ये बदलाव बड़े संकट की ओर इशारा भी कर रहा है. वहीं, इसके चलते एशिया का पर्यावरण भी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में हिमालयी पर्यावरण में हो रहे बदलावों के अनुरूप ठोस नीतियां बनाने की जरूरत है. जिससे मानवीय जिंदगियों पर इसके असर को रोका जा सके.