पिथौरागढ़: उत्तराखंड में भारी बारिश का दौर जारी है. पिथौरागढ़ में भी निचले इलाकों में जहां भारी बारिश हो रही है तो वहीं उच्च हिमालयी इलाकों में बीती रात से ही बर्फबारी हो रही है. चीन और नेपाल सीमा से लगी दारमा व व्यास घाटी पूरी तरह बर्फ से पट गई है. ऊंचाई वाले इलाकों में स्थित गांवों में 3 फीट से ज्यादा बर्फ पड़ी है. जिसके चलते आम जनजीवन पटरी से उतर गया है.
भारी बर्फबारी के चलते बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बलों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चीन से बढ़ते तनाव को देखते हुए बीते साल की तरह इस साल भी सर्दियों में भारी बर्फबारी के दौरान भी जवान सीमाओं की सुरक्षा में डटे हुए हैं. जबकि, बर्फबारी के बाद माइग्रेशन वाले गांवों का नजारा देखते ही बन रहा है. चीन सीमा पर स्थित व्यास घाटी के अंतिम गांव कुटी (11,500 फीट) में बीती रात हुई भारी बर्फबारी के बाद पूरा इलाका बर्फ की सफेद चादर में लिपट गया है.
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व्यास और दारमा घाटी के इन गांवों में बिछी सफेद चादरः पिथौरागढ़ जिले के व्यास घाटी के बूंदी, गर्ब्यांग, गुंजी, नाबी, नपलच्यु, रोंगकोंग, कुटी के साथ ही दारमा घाटी के दुग्तू, दातू, सौन, ढाकर, गो, तिदांग, मार्छा, सीपू और सेला गांव बर्फ से पूरी तरह ढक गए हैं. बर्फबारी के कारण उच्च हिमालयी इलाकों में मार्ग बंद होने से आम लोगों के साथ ही बॉर्डर पर तैनात जवानों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं.
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अक्टूबर से निचले इलाकों में माइग्रेशन करते हैं ग्रामीणः उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले लोग सर्दियों के मौसम में अपने पशुओं के साथ निचले इलाकों का रुख करते हैं. अक्टूबर महीने से इन इलाकों में माइग्रेशन शुरू हो जाता है. सड़क से जुड़ने के कारण दारमा और व्यास घाटी में अभी भी हजारों की तादाद में लोग मौजूद हैं. बर्फबारी के कारण मार्ग बंद होने से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ही लोग कैद होकर रह गए हैं.