पिथौरागढ़: उत्तराखंड में एक ऐसा अद्भुत पर्वत विराजमान है जहां प्रकृति प्राकृतिक रूप से ओम का जाप करती है. ओम पर्वत पर प्राकृतिक रूप से बने ओम से सीधा साक्षात्कार होता है. नग्न आंखों से ओम की स्पष्ट आकृति दिखायी देने के कारण ये पर्वत ओम पर्वत के नाम से विख्यात है. वेद-पुराण से लेकर रामायण-महाभारत जैसे कई धार्मिक ग्रंथों में ओम पर्वत की महिमा बताई गई है. हिन्दू धर्म के साथ ही जैन और बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए भी ओम पर्वत पवित्र तीर्थ स्थल है.
पिछ्ले साल तक इस प्रसिद्ध ओम पर्वत के दर्शन के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रियों को नजंग से मालपा, बूंदी, गर्बयांग होते हुये 69 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई को पार कर नाभीढांग पहुंचना पड़ता था. मगर अब चीन सीमा से सटे लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद यहां का सफर और आसान हो गया है. आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम होने के कारण अब इस पूरे इलाके को विश्व पर्यटन के मानचित्र में स्थापित करने की मांग उठने लगी है.
ट्राई जंक्शन के पास 6191 मीटर की ऊंचाई पर है ओम पर्वत
कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग में नाभीढांग से नेपाल की ओर दिखायी देने वाले इस ओम पर्वत के दर्शन का मौका आज तक गिने चुने लोगों को ही मिल पाया है. दरअसल, उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौजूद ओम पर्वत आमतौर पर बादलों से घिरा रहता है. मौसम साफ होने पर ओम पर्वत दिखाई देता है. उच्च हिमालयी क्षेत्र में इस बार अधिक बर्फबारी होने के कारण गर्मियों के सीजन में भी ये इलाका पूरी तरह बर्फ से ढका हुआ है.
देखते ही बनता है ओम पर्वत का दिव्य नजारा
4,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाभिढांग में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण सांस का फूलना एक आम बात है. मगर नाभीढांग पहुंचकर ओम पर्वत के दुर्लभ दीदार की जो अनुभूति है उसे शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल है. चारों ओर बर्फ से आच्छादित हिमालय की श्रृंखलाओं के बीच ओम पर्वत का आकर्षण देखते ही बनता है. इसे कुदरत का करिश्मा ही कहा जायेगा कि तीन देशों की सीमाओं पर स्थित होने के बावजूद सिर्फ भारत से ही ओम पर्वत का ये अद्भुत नजारा दिखायी पड़ता है.
दैवीय अनुभूति का आभास कराता है ओम पर्वत
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले हर एक तीर्थयात्री का सपना होता है कि वो नाभीढांग से दिखायी देने वाले ओम पर्वत के दर्शन कर पाये. कैलाश मानसरोवर यात्री यहां ओम का जाप करते हुये भगवान शिव को अपनी अंतरात्मा का समर्पण करते हैं. दरअसल, नाभीढांग से नजर आने वाला ये पूरा इलाका दैवीय अनुभूति का आभास कराता है. यहां जर्रे-जर्रे में भगवान शिव मौजूद हैं. ओम पर्वत के ठीक बायीं ओर भारतीय भू-भाग में एक ऐसा हिमाच्छादित पर्वत है जहां भगवान शिव की आकृति हूबहू दिखायी पड़ती है. इसी पर्वत के दूसरी ओर बर्फ से बनी माता पार्वती की आकृति का भी आभास होता है.
अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र पर मुकाम हासिल करेगा ओम पर्वत
ओम पर्वत प्रकृति का एक ऐसा रहस्य है जो किसी ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं है. विश्व के गिने-चुने प्राकृतिक अजूबों में से ओम पर्वत भी एक है. हिमालय में ओम पर्वत का विशेष स्थान है. प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ये पर्वत भगवान शिव का सबसे पसंदीदा स्थान है. हर श्रद्धालु के मन में ये इच्छा जरूर होती है कि वो जीवन में एक बार प्रसिद्ध ओम पर्वत के दीदार कर पाये. चीन सीमा से सटे लिपुलेख तक सीधी रोड कनेक्टिविटी के बाद अब इस पर्वत के दर्शन तीर्थयात्रियों के लिए आसान हो गये हैं. लिपुलेख सड़क बनने के बाद उम्मीद की जा रही है कि ओम पर्वत अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र में एक नया मुकाम हासिल करेगा.