पिथौरागढ़: निर्भया की मौत के बाद महिलाओं और लड़कियों को इंसाफ दिलाने के लिए कानून में कई संशोधन किए गए. इसके बाद भी दुष्कर्म की घटनाएं रुक नहीं रही हैं. ताजा मामला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का है. यहां दुष्कर्म की शिकार एक नाबालिग लड़की ने खुद को आग लगा ली थी. 22 दिनों से हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ाई में आखिर वो मौत से हार गयी. अब उसे इंसाफ दिलाने की मांग हो रही है. पीड़िता के परिजनों ने सरकार से फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए आरोपी की फांसी की सजा दिलाने की मांग की है.
जानकारी के मुताबिक 60 साल का आरोपी पिछले कई महीनों से युवती का यौन शोषण कर रहा था. आरोपी की पोती पीड़िता की सहेली थी. पीड़िता की सौतेली मां उसे अपने पास नहीं रखती थी. इस कारण वो अपने नाना-नानी के पास रहती थी. पीड़िता अपनी क्लास की होनहार छात्रा थी.
पढ़ें- दुष्कर्म पीड़िता की हल्द्वानी के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत
आरोपी कुछ समय पहले ही सरकारी नौकरी से रिटायर हुआ है. बुजुर्ग होने के नाते आरोपी पर कोई शक नहीं करता था. इसका वो हमेशा फायदा उठाता रहा और पीड़िता की अस्मत से खेलता रहा.
मृतका की नानी के बताया कि वो उन से सब बात शेयर करती थी, लेकिन इस बारे में उसने कभी कुछ नहीं बताया. उसे डर रहा होगा कि कोई उसकी बात पर विश्वास नहीं करेगा. इसका आरोपी फायदा उठाता रहा. इसी से परेशान होकर पीड़िता ने आरोपी के सामने ही अपने ऊपर मिट्टी का तेल छिड़ककर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. इस दौरान वह गंभीर रूप झुलस गई थी. गंभीर हालत को देखते हुए उसे पिथौरागढ़ के डॉक्टरों ने सुशील तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर कर दिया था.
अब पीड़िता की नानी और मामा ने प्रदेश सरकार से इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर आरोपी को फांसी देने की मांग की है. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी दुष्कर्म के आरोपी को फांसी देने की मांग की है.