पिथौरागढ़: चीन बॉर्डर को जोड़ने वाली सोबला-ढाकर रोड दो महीने से बंद है. सामरिक नजरिए से अहम माने जाने वाले इस सड़क के बंद होने से दारमा और चौंदास घाटी के 50 गांवों का शेष दुनिया से संपर्क कटा हुआ है. अब हालात ये है कि इन गांवों में रोजमर्रा की चीजें भी खत्म होने लगी हैं.
गौर हो कि बीते 16 जून को आई आसमानी आफत ने दारमा और चौंदास घाटी को जोड़ने वाली सड़क को तबाह कर दिया था. हालात तो ये हैं कि बॉर्डर की ये अहम रोड दर्जनों जगह से बंद पड़ी हुई है. इतना ही नहीं कई पुल भी जमींदोज हुए हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि 2 महीने गुजरने के बाद भी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) रत्ती भर भी रोड नहीं खोल पाई है.
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अहम रोड बंद होने से बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बलों को तो दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं, साथ ही दर्जनों गांव कैद हो गए हैं. कई गांवों के तो हालात इस कदर खराब हैं कि रोजमर्रा की चीजें भी खत्म होने लगी है. गांव की छोटी दुकानों में जो बचा-खुचा सामान है, उसकी कीमत कई गुना बढ़ गई है. कहने को तो सरकार ने यहां एक हेलीकॉप्टर भी तैनात किया है, लेकिन खराब मौसम ने हेलीकॉप्टर को सफेद हाथी बना दिया है.
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ऐसे में सबसे अधिक संकट बीमार लोगों पर मंडरा रहा है. इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर एक पीएससी भी नहीं है. इस बॉर्डर रोड के जो ताजा हालात हैं, उससे निकट भविष्य में भी इसके खुलने के आसार नहीं है. ऐसे में तय है कि सीमांत इलाकों में रहने वालों को जल्द राहत मिलने वाली नहीं है. ऐसे में बेहतर होगा कि प्रशासन किसी अन्य प्लान पर गंभीरता से अमल करें, ताकि हजारों लोगों की जिंदगी पटरी पर आ सके.
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क्या बोले अधिकारी? जिलाधिकारी आशीष चौहान का कहना है कि सड़क को खोलने का काम कार्यदायी संस्था की ओर से किया जा रहा है. जिससे स्थिति सामान्य हो सके. साथ ही हेलीकॉप्टर की मदद से जरूरी राहत सामग्री भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाई जा रही है.
विधानसभा सत्र में उठाएंगे मुद्दाः धारचूला के विधायक हरीश धामी का कहना है कि सड़क बंद होने से बॉर्डर इलाकों में लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. साथ ही कार्यदायी संस्था की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले को वो आगामी विधानसभा सत्र में उठाएंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे.