पिथौरागढ़: काली और गोरी नदी के संगम में होने वाले अंतरराष्ट्रीय जौलजीबी व्यापार मेले का आज (रविवार) आगाज हो गया है. 10 दिनों तक चलने वाले इस मेले का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जौलजीबी मेला दोनों मुल्कों की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. ये मेला सीमांत की रहने वाली जनजातियों की आय का मुख्य साधन भी है और भारत-नेपाल के रिश्तों में पुल का काम करता है. मेले के उद्घाटन समारोह के दौरान विभिन्न रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया. इस मौके पर स्थानीय धारचूला विधायक हरीश धामी भी मौजूद रहे.
बता दें कि कोरोना महामारी के चलते पिछले साल जौलजीबी व्यापार मेला आयोजित नहीं हो पाया था. इस व्यापारिक मेले का आगाज 1871 में एक धार्मिक मेले के बतौर हुआ था. अस्कोट रियासत के राजा पुष्कर पाल ने जौलजीबी में ज्वालेश्वर महादेव के मंदिर की स्थापना की थी और तभी से यहां धार्मिक मेले की शुरुआत हुई. आज ये मेला अंतररार्ष्ट्रीय व्यापारिक मेले में तब्दील हो गया है. इस व्यापारिक मेले में बीती एक शताब्दी से भारत-नेपाल और तिब्बत के व्यापारी शिरकत करते आए हैं'.
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1962 से पहले तक तिब्बती व्यापारी इस मेले में स्वतंत्र रूप से शिरकत करते थे, लेकिन भारत-चीन युद्ध के बाद से तिब्बती व्यापारियों का जौलजीबी मेले में आना बंद हो गया. मगर तिब्बत से आयातित सामान यहां जमकर बिकता है. 1975 में इसे यूपी सरकार ने अपने हाथों में ले लिया और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन से इसे मनाने की नई परंपरा का आगाज हुआ. इस राजकीय मेले का आयोजन सप्ताह भर होता है, जबकि व्यापारिक गतिविधियां पूरे 10 दिनों तक जारी रहती है. राजकीय मान्यता प्राप्त इस अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेले में भारत और नेपाल के व्यापारी हर साल शिरकत करते हैं.