बेरीनाग: चंपावत जिले में जिला प्रशासन द्वारा आशा वर्कर्स को निकालने जाने के विरोध में शुक्रवार को आशा वर्कर्स ने सीएचसी बेरीनाग परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. आशा वर्कर ने प्रदेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोलते हुए सरकार को घेरा. आशा वर्कर ने कहा कोरोना काल में उन्होंने घर-घर जाकर बिना सुरक्षा के लोगों को जागरूक किया. अब सरकार आशा कार्यकर्ताओं को बाहर कर रही है. जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
आशा वर्कर ने बाहर की गई सभी आशा कार्यकर्ताओं को तत्काल वापस लेने के साथ ही 8 सूत्रीय ज्ञापन एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा. साथ ही उन्होंने राज्य कर्मचारी का दर्जा देने और 18 हजार न्यूतम मानेदय देने की मांग भी की. आशा वर्कर ने लॉकडाउन अवधि में किये गये कार्य का मानेदय, बिना किसी सुविधा के सर्विलांस ड्यूटी वाले फैसले को तत्काल प्रभाव से वापस करने और पूर्व में बकाया मानेदय राशि को देने की मांग की.
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आशा वर्कर ने पेंशन सहित अन्य सुविधा देने के साथ ही डयूटी के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या अन्य बीमारी से निधन होने पर 10 लाख का मुआवजा देने की मांग को भी प्रमुखता से उठाया.
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वहीं, मुनस्यारी में आशा कार्यकर्ताओं ने तहसील परिसर में सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने भी मुख्यमंत्री को सात सूत्रीय ज्ञापन भेजा. जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने आशा कार्यकर्ताओं के आन्दोलन का समर्थन करते हुए सीएम को ज्ञापन भेजा. उन्होंने कहा कोरोना महामारी में आशा कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभाई है. टिहरी और उधम सिंह नगर में कोविड 19 ड्यूटी के दौरान दो आशाओं की मौत हो गयी है. सरकार ने उसके प्रति संवेदना तक व्यक्त नहीं की. आशा कार्यकर्ता काम का दाम मांग रही हैं तो उन्हें बर्खास्त किया जा रहा है.