पिथौरागढ़: आसमानी आफत ने भारत-नेपाल बॉर्डर के जुम्मा गांव के साथ ही नेपाल में भी जमकर तबाही मचाई है. नेपाल के कालागाड़ में बरसाती नाले से आए भारी मलबे ने काली नदी का प्रवाह रोक दिया है. नेपाल की ओर से हुए भारी भूस्खलन के कारण काली नदी में बड़ी झील बन गई है, जिसने एक और बड़ा खतरा मंडरा रहा है. अगर ये झील टूटती है तो धारचूला और जौलजीबी समेत निचले इलाकों को खतरा हो सकता है.
सोमवार सुबह हुई भारी बारिश ने भारत-नेपाल बॉर्डर पर जमकर कहर बरपाया है. नेपाल की ओर से कालागाड़ की पहाड़ी दरकने से काली नदी का प्रवाह रुक गया है. जिसके चलते इस स्थान पर झील बन गयी है, जो बड़ी तबाही का कारण बन सकती है.
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झील बनने से एनएचपीसी कॉलोनी में जलभराव हो गया है, साथ ही दर्जनों मकानों में मलबा और पानी घुस आया है. यही नहीं तीन वाहन भी बह गए हैं. काली नदी का जलस्तर बढ़ने से बीआरओ का क्रशर प्लांट और हट्स भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं. बीआरओ कर्मी नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद बचाव में जुटे रहे.
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि भू-वैज्ञानिकों की टीम द्वारा झील क्षेत्र का सर्वेक्षण किया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही आगे ही कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल, काली नदी का जलस्तर बढ़ने की सूचना पर प्रशासन और पुलिस ने रात में ही लाउडस्पीकर से लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है.
आसमानी आफत: गौर हो कि सोमवार (30 अगस्त) तड़के धारचूला के जुम्मा गांव में बादल फटने की घटना के बाद अबतक 5 शव बरामद हो चुके हैं और दो लोगों की तलाश की जा रही है. एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, एसएसबी और प्रशासन के साथ ही स्थानीय लोग भी रेस्क्यू में मदद कर रहे हैं. आसमानी आफत में यहां 7 जिंदगियां मौत के आगोश में समा गई हैं. वहीं, 7 मकान भी जमींदोज हो गए हैं. जुम्मा गांव के जामुनी और सिरौउड़यार तोक के सभी आपदा प्रभावितों को सरकारी भवनों और नजदीक के गांव में शिफ्ट कराया जा रहा है, साथ ही चिकित्सा टीम घटना क्षेत्र में पहुंच गई है. राहत एवं बचाव कार्य जारी है.