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पौड़ी: जलसंकट पर वर्कशॉप, 967 जल स्रोतों में से 50 सूखे, 100 का घटा पानी

पौड़ी में बारिश के पानी के संरक्षण को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के जरिए जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कार्य करने जानकारी विस्तार से दी गई.

जल संरक्षण पर कार्यशाला
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Published : Jul 23, 2019, 3:16 PM IST

Updated : Jul 23, 2019, 7:15 PM IST

पौड़ी: गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी के प्रेक्षागृह में वन विभाग की ओर से जल संरक्षण एवं संवर्धन पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें जनपद के विभिन्न ब्लॉकों से ग्राम विकास अधिकारी, एडीओ पंचायत एवं संबंधित अधिकारियों को जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कार्य करने को कहा गया. इस कार्यशाला में बारिश के पानी को बर्बाद होने से रोकने और इसे संरक्षित करने की लिए जानकारी दी गई.

जल संरक्षण पर कार्यशाला

वन विभाग के एसडीओ एमके बहुखंडी ने बताया कि चाल-खाल के पानी को साइंटिफक तरीके से कैसे संरक्षित किया जाए, इसके बारे में जानकारी दी गई. अब इस जानकारी को समस्त ग्राम विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी पंचायत एवं संबंधित अधिकारी गांव-गांव तक पहुंचाने का काम करेंगे. साथ ही मैदानी एवं ढालदार भमि पर चाल-खाल को किस प्रकार तैयार किया जाए, इस बारे में भी प्रशिक्षण दिया गया, जिससे मृदा संरक्षण के साथ-साथ जल स्रोतों का रिचार्ज हो सकें.

पढ़ें- नेलांग घाटी की खूबसूरती पर इनरलाइन बना 'धब्बा', आरोहण हो तो पर्यटन को लगेगा 'पंख'

एसडीओ एमके बहुखंडी ने बताया कि पौड़ी में जनपद में लगभग 967 जल स्रोत हैं. जिसमें 50 सूख चुके हैं तथा 100 के करीब में पानी घट रहा है. उत्तराखंड वन विभाग ऐसी रूपरेखा तैयार कर रहा है, जिससे जल स्रोतों को रिचार्ज किया जा सकेगा.

पौड़ी: गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी के प्रेक्षागृह में वन विभाग की ओर से जल संरक्षण एवं संवर्धन पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें जनपद के विभिन्न ब्लॉकों से ग्राम विकास अधिकारी, एडीओ पंचायत एवं संबंधित अधिकारियों को जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कार्य करने को कहा गया. इस कार्यशाला में बारिश के पानी को बर्बाद होने से रोकने और इसे संरक्षित करने की लिए जानकारी दी गई.

जल संरक्षण पर कार्यशाला

वन विभाग के एसडीओ एमके बहुखंडी ने बताया कि चाल-खाल के पानी को साइंटिफक तरीके से कैसे संरक्षित किया जाए, इसके बारे में जानकारी दी गई. अब इस जानकारी को समस्त ग्राम विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी पंचायत एवं संबंधित अधिकारी गांव-गांव तक पहुंचाने का काम करेंगे. साथ ही मैदानी एवं ढालदार भमि पर चाल-खाल को किस प्रकार तैयार किया जाए, इस बारे में भी प्रशिक्षण दिया गया, जिससे मृदा संरक्षण के साथ-साथ जल स्रोतों का रिचार्ज हो सकें.

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एसडीओ एमके बहुखंडी ने बताया कि पौड़ी में जनपद में लगभग 967 जल स्रोत हैं. जिसमें 50 सूख चुके हैं तथा 100 के करीब में पानी घट रहा है. उत्तराखंड वन विभाग ऐसी रूपरेखा तैयार कर रहा है, जिससे जल स्रोतों को रिचार्ज किया जा सकेगा.

Intro:पौड़ी के गोविन्द बल्लभ पन्त इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी  के प्रेक्षागृह में वन विभाग की ओर से जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन पर एक प्रशिक्षण कार्याशाला का आयोजन किया गया जिसमे जनपद के विभिन्न ब्लॉकों से  ग्राम विकास अधिकारी, एडीओ पंचायत एवं संबंधित अधिकारियों को जल संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कार्य  करने को कहा गया। बरसात के दौरान बर्बाद हो रहे पानी को रोकने और इसे संरक्षित करने के लिए वन विभाग की ओर से सांईटिफिकल तरीके से जानकारी दी गई। कहा कि समय रहते पानी का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है।





Body:वन विभाग के एसडीओ  एम.के. बहुखण्डी ने बताया कि चाल-खाल खन्तीयां को सांईटिफिकल तरीके से बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में समस्त ग्राम विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी पंचायत एवं संबंधित अधिकारी को दिया गया जो कि गांव गांव तक इस जानकारी को पहुंचाने का कार्य करेंगे। कहा कि कंटूरट्रेच, (समुच्य रेखाएं) तथा स्ट्रेगां ट्रेंशन के माध्यम से चाल-खाल खन्तीयां बनाने का प्रशिक्षण दिया गया जिसमें  मैदानी एवं ढालदार भूमि पर किस प्रकार चाल-खाल खन्तीयां बनाये जाने हैं, जिससे मृदा संरक्षण के साथ-साथ जल स्रोतों का रिचार्ज हो सके। कहा कि जनपद में लगभग 967 जल स्रोत है जिसमें 50 सूख चुके हैं तथा 100 के करीब में पानी घट रहा है, जिसको लेकर ऐसी रूपरेखा बनायी जा रही है, जिससे जल स्रोतों को रिचार्ज किया जा सकेगा। 

बाईट- एम.के. बहुखण्डी ( एसडीओ वन विभाग) 


Conclusion:
Last Updated : Jul 23, 2019, 7:15 PM IST
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