ETV Bharat / state

पलायन का मुंह चिढ़ाता कलूण गांव, ग्रामीणों ने मनाई दूसरी गोल्डन जुबली - Kaloon village in Pauri

उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों के गांव बेरोजगार और सुविधाओं के अभाव में पलायन का दंश झेल रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा गांव है, जो पलायन का मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है. पौड़ी जिले का कलूण गांव अपनी 200 वर्षगांठ मना रहा है. यह आज भी 80 फीसदी परिवार गांव में ही खेती और पशुपालन करके अपनी आजीविका चला रहे हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Nov 29, 2022, 6:01 PM IST

श्रीनगर: पौड़ी जिले का कलूण गांव (Kalun village of Pauri district) 200 साल का सफर पूरा कर चुका है. गांव में बसावट सन 1822 में शुरू हुई थी, जो आज भी आबाद हैं. यहां 80 फीसदी परिवार आज भी गांव में ही कृषि और पशुपालन करके अपनी आजीविका चला रहे हैं. वहीं, गांव को 200 साल पूरे होने पर ग्रामीण दूसरी गोल्डन जुबली स्वयं के संसाधनों मना रहे हैं.

उत्तराखंड का यह पहला गांव है, जो दूसरी बार गोल्डन जुबली मना रहा है. इस मौके पर ग्रामीणों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है. ग्रामीण ने कहा कि कलूण गांव ने 200 साल का सफर पूरा किया (Kalun village completes 200 years of journey) है. आज भी गांव से 80 फीसदी लोग गांव में रहते हैं. दो सौ सालों में महज 20 फीसदी ही लोगों ने पलायन किया है. गांव में रहने वाले खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका चला रहे हैं.

पलायन का मुंह चिढ़ाता कलूण गांव.
ये भी पढ़ें: हल्द्वानी में विज्ञान महोत्सव का आयोजन, रजत ने बनाया किसानों के लिए अनोखा हल

गांव की 200वीं वर्षगांठ पर विधायक पौड़ी राजकुमार पोरी भी ग्रामीणों के इस उत्सव में शामिल हुए. उन्होंने ग्रामीणों को बधाई देते हुए कहा कि इस गांव के प्रति उनकी जिम्मेदारी अब और अधिक बढ़ गई है. विकास योजनाओं से वे कलूण गांव को लाभान्वित करेंगे. साथ ही गांव की समस्याओं का भी निराकरण जल्द करेंगे. ताकि ये गांव इसी तरह से फलता फूलता रहे.

ग्रामीण वीरेंद्र रावत ने कहा कि आज भी गांव में सभी लोग एक-दूसरे के सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं. पलायन हुआ है, लेकिन अधिकांश लोग सालों से गांव में ही रहते हैं. कुछ परिवार ही गांव से बाहर गए हैं. सभी लोग एक साथ खुशी-खुशी गांव में रहते हैं.

श्रीनगर: पौड़ी जिले का कलूण गांव (Kalun village of Pauri district) 200 साल का सफर पूरा कर चुका है. गांव में बसावट सन 1822 में शुरू हुई थी, जो आज भी आबाद हैं. यहां 80 फीसदी परिवार आज भी गांव में ही कृषि और पशुपालन करके अपनी आजीविका चला रहे हैं. वहीं, गांव को 200 साल पूरे होने पर ग्रामीण दूसरी गोल्डन जुबली स्वयं के संसाधनों मना रहे हैं.

उत्तराखंड का यह पहला गांव है, जो दूसरी बार गोल्डन जुबली मना रहा है. इस मौके पर ग्रामीणों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है. ग्रामीण ने कहा कि कलूण गांव ने 200 साल का सफर पूरा किया (Kalun village completes 200 years of journey) है. आज भी गांव से 80 फीसदी लोग गांव में रहते हैं. दो सौ सालों में महज 20 फीसदी ही लोगों ने पलायन किया है. गांव में रहने वाले खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका चला रहे हैं.

पलायन का मुंह चिढ़ाता कलूण गांव.
ये भी पढ़ें: हल्द्वानी में विज्ञान महोत्सव का आयोजन, रजत ने बनाया किसानों के लिए अनोखा हल

गांव की 200वीं वर्षगांठ पर विधायक पौड़ी राजकुमार पोरी भी ग्रामीणों के इस उत्सव में शामिल हुए. उन्होंने ग्रामीणों को बधाई देते हुए कहा कि इस गांव के प्रति उनकी जिम्मेदारी अब और अधिक बढ़ गई है. विकास योजनाओं से वे कलूण गांव को लाभान्वित करेंगे. साथ ही गांव की समस्याओं का भी निराकरण जल्द करेंगे. ताकि ये गांव इसी तरह से फलता फूलता रहे.

ग्रामीण वीरेंद्र रावत ने कहा कि आज भी गांव में सभी लोग एक-दूसरे के सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं. पलायन हुआ है, लेकिन अधिकांश लोग सालों से गांव में ही रहते हैं. कुछ परिवार ही गांव से बाहर गए हैं. सभी लोग एक साथ खुशी-खुशी गांव में रहते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.