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पुण्यतिथि पर नमन: विक्टोरिया क्रॉस दरबान सिंह ने अंग्रेजों से मांगी थी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन - 71th anniversary of Victoria Cross Winner Darwan Singh Negi

आज विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी की 71वीं पुण्यतिथि है. उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों की ओर से लड़ते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे.

दरबान सिंह नेगी की पुण्यतिथि
दरबान सिंह नेगी की पुण्यतिथि
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Published : Jun 24, 2021, 1:32 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 1:38 PM IST

श्रीनगर: आज विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी की 71वीं पुण्यतिथि है. इस अवसर पर श्रीनगर वासियों ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान शहर के विभिन्न सामाजिक सगठनों के लोगों ने उन्हें याद करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण कर नई पीढ़ी को उनसे सीख लेने की अपील की.

इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों ने मांग उठाई की स्वर्गीय दरबान सिंह नेगी का जीवन परिचय स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए. साथ में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का नाम वॉर मेमोरियल रेलवे लाइन किया जाना चाहिए. साथ-साथ रेलवे स्टेशन पर स्वर्गीय दरबान सिंह की मूर्ति की स्थापना करने की मांग भी सरकार से की गई.

दरबान सिंह नेगी की पुण्यतिथि

पढ़ें: थोड़ी राहत: रेलवे ने घटाए प्लेटफॉर्म टिकट के दाम, अब 30 रुपये करने होंगे खर्च

लोगों का कहना है कि सबसे पहले अंग्रेज हुकूमत से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनाने का प्रस्ताव विक्टोरिया क्रॉस विजेता स्वर्गीय दरबान सिंह द्वारा ही किया गया था. जिसके फलस्वरूप 1918 से 1924 तक ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक अंग्रेज सरकार द्वारा सर्वे भी किया गया. लेकिन आज रेलवे लाइन निर्माण में उनके कार्यों की उपेक्षा की जा रही है.

कौन थे विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी

ब्रिटेन के सबसे बड़े सैनिक सम्मान विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी का जन्म नवम्बर 1881 को हुआ था. 24 जून 1950 में उनका देहांत हो गया. वे चंद पहले भारतीयों में से थे जिन्हें ब्रिटिश राज का सबसे बड़ा युद्ध पुरस्कार मिला था.

वे करीब 33 साल के थे और 39th गढ़वाल राइफल्स की पहली बटालियन में नायक के पद पर तैनात थे. उन्हें 4 दिसम्बर 1914 को विक्टोरिया क्रॉस पुरस्कार प्रदान किया गया. प्रथम विश्व युद्ध में फ्रांस के फेस्टबर्ट शहर में उनकी टुकड़ी ने दुश्मनों पर धावा बोला.

युद्ध में दोनों तरफ से भयंकर गोलीबारी हुई इनकी टुकड़ी के कई साथी घायल और शहीद हो गये. इन्होंने खुद कमान अपने हाथ में लेते हुए दुश्मनों पर धावा बोल दिया. दरबान सिंह के सर में दो जगह घाव हुए और कन्धे पर भी चोट आई. परन्तु घावों की परवाह न करते हुए अदम्य साहस का परिचय देते हुए आमने-सामने की नजदीकी लड़ाई में गोलियों और बमों की परवाह ना करते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए.

पढ़ें: पूर्व छात्र ने की IIT रुड़की को 20 करोड़ का अनुदान देने की घोषणा

दरबान सिंह नेगी सूबेदार के पद से सेवा निवृत्त हुए. विक्टोरिया क्रॉस ग्रहण करने के समय इनसे अपने लिए कुछ मांगने को कहा गया. इन्होंने कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन बनाने की मांग की. दरबान सिंह नेगी की मांग को मानते हुए ब्रिटिश सरकार ने 1924 में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे कार्य पूरा करा लिया. ऐसे थे हमारे वीर जो हर दम अपने समाज के लिए सोचते थे.

श्रीनगर: आज विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी की 71वीं पुण्यतिथि है. इस अवसर पर श्रीनगर वासियों ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान शहर के विभिन्न सामाजिक सगठनों के लोगों ने उन्हें याद करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण कर नई पीढ़ी को उनसे सीख लेने की अपील की.

इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों ने मांग उठाई की स्वर्गीय दरबान सिंह नेगी का जीवन परिचय स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए. साथ में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का नाम वॉर मेमोरियल रेलवे लाइन किया जाना चाहिए. साथ-साथ रेलवे स्टेशन पर स्वर्गीय दरबान सिंह की मूर्ति की स्थापना करने की मांग भी सरकार से की गई.

दरबान सिंह नेगी की पुण्यतिथि

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लोगों का कहना है कि सबसे पहले अंग्रेज हुकूमत से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनाने का प्रस्ताव विक्टोरिया क्रॉस विजेता स्वर्गीय दरबान सिंह द्वारा ही किया गया था. जिसके फलस्वरूप 1918 से 1924 तक ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक अंग्रेज सरकार द्वारा सर्वे भी किया गया. लेकिन आज रेलवे लाइन निर्माण में उनके कार्यों की उपेक्षा की जा रही है.

कौन थे विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी

ब्रिटेन के सबसे बड़े सैनिक सम्मान विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी का जन्म नवम्बर 1881 को हुआ था. 24 जून 1950 में उनका देहांत हो गया. वे चंद पहले भारतीयों में से थे जिन्हें ब्रिटिश राज का सबसे बड़ा युद्ध पुरस्कार मिला था.

वे करीब 33 साल के थे और 39th गढ़वाल राइफल्स की पहली बटालियन में नायक के पद पर तैनात थे. उन्हें 4 दिसम्बर 1914 को विक्टोरिया क्रॉस पुरस्कार प्रदान किया गया. प्रथम विश्व युद्ध में फ्रांस के फेस्टबर्ट शहर में उनकी टुकड़ी ने दुश्मनों पर धावा बोला.

युद्ध में दोनों तरफ से भयंकर गोलीबारी हुई इनकी टुकड़ी के कई साथी घायल और शहीद हो गये. इन्होंने खुद कमान अपने हाथ में लेते हुए दुश्मनों पर धावा बोल दिया. दरबान सिंह के सर में दो जगह घाव हुए और कन्धे पर भी चोट आई. परन्तु घावों की परवाह न करते हुए अदम्य साहस का परिचय देते हुए आमने-सामने की नजदीकी लड़ाई में गोलियों और बमों की परवाह ना करते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए.

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दरबान सिंह नेगी सूबेदार के पद से सेवा निवृत्त हुए. विक्टोरिया क्रॉस ग्रहण करने के समय इनसे अपने लिए कुछ मांगने को कहा गया. इन्होंने कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन बनाने की मांग की. दरबान सिंह नेगी की मांग को मानते हुए ब्रिटिश सरकार ने 1924 में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे कार्य पूरा करा लिया. ऐसे थे हमारे वीर जो हर दम अपने समाज के लिए सोचते थे.

Last Updated : Jun 24, 2021, 1:38 PM IST
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